कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव, खड़गे की जीत फिक्स थी!
नतीजों से पहले ही खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बता कर राहुल ने साबित किया कि कांग्रेस पार्टी के लिए कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव फॉर्मेलिटी से ज्यादा कुछ नहीं है. कांग्रेस पार्टी में जो होगा उनकी और सोनिया गांधी की मर्जी से ही होगा.
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कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में शुमार मल्लिकार्जुन खड़गे अध्यक्ष घोषित किये जाने के बाद ढंग से अपनी जीत का जश्न मना भी नहीं पाए हैं कि राहुल गांधी के एक बयान ने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव पर सवालिया निशान लगा दिए हैं. दरअसल इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें राहुल गांधी आंध्र प्रदेश में पत्रकारों से मुखातिब हैं और स्लिप ऑफ टंग का शिकार हुए. वीडियो को देखें तो राहुल गांधी ये कहते पाए जा रहे हैं कि मल्लिकार्जुन खड़गे ही पार्टी के अध्यक्ष हैं. ध्यान रहे ये बयान राहुल गांधी ने उस वक़्त दिया जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हुए चुनाव के नतीजे आने में ठीक ठाक वक़्त था. चूंकि राहुल के इस बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव विवादों की भेंट चढ़ गया है तो कहना गलत नहीं है कि नतीजों से पहले ही खड़गे को कांग्रेस अध्यक्ष बता कर राहुल ने साबित किया कि चुनाव फॉर्मेलिटी से ज्यादा कुछ नहीं है. पार्टी में आगे जो कुछ भी होगा उनकी और सोनिया गांधी की मर्जी से ही होगा.
पहले सिर्फ कयास थे अब खुद राहुल ने साबित किया कि कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव फिक्स था
कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव और मल्लिकार्जुन खड़गे के विजय घोषित किये जाने पर यूं तो तमाम तरह की बातें हो रही हैं. कई कयास लगाए जा रहे हैं लेकिन उन बातों का जिक्र करने से पहले हमारे लिए राहुल गांधी के बयान का जिक्र करना बहुत जरूरी हो जाता है. बयान में जो कुछ भी राहुल गांधी ने कहा है स्वतः इस बात की पुष्टि हो जाती है कि चुनाव में धांधली हुई है और मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत पूर्व निर्धारित थी.
जिक्र आंध्र प्रदेश में आयोजित पत्रकार वार्ता का हुआ है तो बताते चलें कि पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए राहुल गांधी ने कहा कि मैं कांग्रेस अध्यक्ष की भूमिका पर टिप्पणी नहीं कर सकता, इस पर खड़गे जी को टिप्पणी करनी है. पार्टी में मेरी भूमिका अध्यक्ष तय करेंगे. ज्ञात हो कि राहुल के इस बयान के फ़ौरन बाद ही खड़गे ने ऐतिहासिक जीत दर्ज कर शशि थरूर को हराया.
#WATCH| "I can't comment on Congress President's role, that's for Mr Kharge (party's Presidential candidate) to comment on. The President will decide what my role is...", says Congress MP Rahul Gandhi, in Andhra PradeshCounting of votes to decide the Congress President underway pic.twitter.com/eRoRBY7QfX
— ANI (@ANI) October 19, 2022
खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, और कांग्रेस कार्यालय पर लगे राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे!
जैसा कि हम ऊपर ही बता चुके हैं चुनाव में क्या होगा? ये सब पहले ही फिक्स किया जा चुका था. ये बातें न तो कोई मजाक हैं न ही विपक्ष की साजिश. असल में वोटों की गिनती के बाद जैसे ही ये क्लियर हुआ कि खड़गे ने बाजी मार ली है कांग्रेस कार्यालय पर राहुल गांधी जिंदाबाद के नारे लगने शुरू हो गए. सवाल ये है कि अगर ये चुनाव राहुल और सोनिया की मिलीभगत से नहीं हुआ तो फिर राहुल गांधी ज़िंदाबाद का नारा क्यों? क्यों नहीं लोगों ने खड़गे जिंदाबाद का उद्घोष किया.
शशि थरूर की हार से मायूस होने वालों के लिए...
कांग्रेस के फाउंडर थे अंग्रेज सिविल सर्वेंट ए ओ ह्यूम. इस संगठन को बनाने के पीछे उद्देश्य था कि भारतीयों की एक संस्था हो जो अंग्रेजी हुकूमत के साथ तालमेल/संवाद के साथ काम करे, ताकि 1857 जैसी कोई और बगावत न हो. इस संगठन में क्रांति/आक्रामक राजनीति करने का तसव्वुर नहीं रहा. जो भी अलग दिखे या अलग बने, वे 'गरम दल वाले' या 'बागी' कहकर हाशिये पर धकेल दिए गए. नेहरू/गांधी की तरह लचीले नेता लंबी पारी खेल गए.
अब आजादी के बाद की कांग्रेस पर आएंगे तो नजर आएगा कि संगठन का मूल डीएनए वही रहा. इस संगठन का मूल उद्देश्य सरकार के साथ तालमेल के साथ काम करना ही रहा. जिन्होंने संगठन में आक्रामक होना चाहा, हाशिये पर धकेल दिए गए. कांग्रेस अध्यक्ष पद के मौजूदा चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे उसी धारा के वाहक हैं, जो तालमेल के साथ नेतागिरी करते हैं.
जबकि शशि थरूर उस व्यवस्था को चैलेंज करने की बात करते हैं. कांग्रेस में ऐसी परिपाटी के लिए कोई जगह नहीं है. इसलिए सवा सौ साल पुरानी कांग्रेस की जीत के लिए खड़गे का जीतना जरूरी है. कांग्रेस नेतृत्व से लेकर अध्यक्ष पद के चुनाव में वोटिंग करने वाले ये सब जानते हैं.
कांग्रेस का चुनाव पूरी तरह लोकतांत्रिक था, क्योंकि खूब आरोप लगे...
भले ही दुनिया कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अपनी अपनी समझ के हिसाब से तर्क रच रही हो लेकिन इतना तो है कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ है तो पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक थी. इसमें भी वैसे ही आरोप प्रत्यारोप लगे जैसे हमने तब देखे जब अलग अलग राज्यों के अलावा 2019 के आम चुनावों में हमने कांग्रेस को हार का मुंह चखते देखा. जिक्र खड़गे के विजय होने और आरोपों का हुआ है तो हार के बाद थरूर कैम्प ने तीखी बयानबाजी की है.
थरूर कैम्प ने जहां एक तरफ बैलेट बॉक्स हैक होने के आरोप लगाया है तो वहीं यूपी, पंजाब, तेलंगाना के विषय में कहा तो यहां तक जा रहा है कि मतदान में धांधली हुई है. जैसा चुनाव हुआ है शायद थरूर कैम्प को भी अपनी हार का आभास था. बताते चलें कि इससे पहले थरूर कैम्प ने राज्यों के पदाधिकारियों पर वोटरों को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया था.
हम फिर इस बात को दोहराएंगे कि ये वाक़ई दिलचस्प है कि आज जो आरोप थरूर, खड़गे के चुने जाने पर लगा रहे हैं वहीं आरोप पिछले लोकसभा चुनाव, और हाल के कई विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए थे और तमाम तरह की अनर्गल बातें की थीं.
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