आशंका तो राहुल गांधी को लेकर भी जतायी गयी थी - सिसोदिया गिरफ्तार क्यों होंगे?
मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को लेकर AAP नेता शोर तो ऐसे मचा रहे हैं जैसे गिरफ्तारी का बेसब्री से इंतजार हो रहा हो - ऐसी ही आशंका राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर भी जतायी गयी थी और वो भी मामला भ्रष्टाचार (Corruption Case) का ही है.
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मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) के घर जब से सीबीआई के छापे पड़े हैं, कई बार गिरफ्तारी की आशंका जतायी जा चुकी है. सीबीआई रेड के ठीक बाद ही मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर ऐसी आशंका जतायी थी कि जल्दी ही उनको गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन वो डरते नहीं हैं.
बल्कि छापे के हफ्ते भर बाद तो मनीष सिसोदिया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ऐसे चैलेंज भी करने लगे थे कि हिम्मत है तो गिरफ्तार करके दिखाओ. हद तो तब हो गयी, जब मजाकिया लहजे में ही आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल मनीष सिसोदिया के दो बार गिरफ्तार होने के फायदे गिनाने लगे थे.
मनीष सिसोदिया से छापेमारी के दौरान भी पूछताछ होती रही. उनका लॉकर भी चेक किया गया, तब भी कुछ न कुछ पूछा ही गया होगा - और अब सीबीआई ने दफ्तर ही बुला लिया है, जाहिर है बुलाने के बाद पूछताछ ही होगी. जांच तो भ्रष्टाचार के मामले (Corruption Case) की ही हो रही है.
सवाल ये है कि सीबीआई के हर एक्शन के बाद मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका क्यों जतायी जाने लगती है? अरविंद केजरीवाल ट्वीट पर ट्वीट करने लगते हैं. प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता और राज्य सभा सांसद संजय सिंह मोर्चा संभाल लेते हैं - और मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी की आशंका के साये में तरह तरह के दावे करने लगते हैं. सीबीआई रेड के बाद भी यही सब हुआ था और अब सीबीआई दफ्तर बुलाये जाने के नोटिस मिलने पर भी ऐसा ही हो रहा है.
ऐसी ही गिरफ्तारी की आशंका एक बार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को लेकर भी जतायी गयी थी, जब प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर बुलाकर नेशनल हेराल्ड केस में उनसे पूछताछ हो रही थी. जैसे ही ये चर्चा शुरू हुई मीडियाकर्मी ईडी के एक्शन के विरोध में प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस नेताओं के पास पहुंच गये.
हैरानी की बात ये रही कि राहुल गांधी की गिरफ्तारी की आशंका को लेकर कांग्रेस नेता को कोई ताज्जुब नहीं हो रहा था. जो लोग भी गुमनाम होकर मीडिया से बातचीत के लिए तैयार हुए, सब के सब ऐसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं कर पा रहे थे. ऐसी ही आशंकाओं की चर्चा तब भी रही जब 2019 के आम चुनाव से पहले प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा को पूछताछ के लिए बुलाया था. और कांग्रेस दफ्तर जाकर कामकाज संभालने से पहले वो ईडी दफ्तर तक पति को छोड़ने भी गयी थीं. वैसे रॉबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार किये जाने की आशंका तो पहले के भी कुछ चुनावों के दौरान जतायी जाती रही है - ये बात अलग है कि हर बार 'भेड़िया आया, भेड़िया आया' जैसी बातें हो कर रह जाती हैं.
राहुल गांधी को लेकर तब कुछ कांग्रेस नेताओं का मीडिया से कहना रहा कि अगर गिरफ्तारी होनी होगी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की पेशी के बाद ही होगी. पहले नहीं. हालांकि, अपनी इस दलील के पीछे कोई ठोस वजह वे नहीं बता पाये थे. फिर भी उनकी ये बात बहुत हद तक वाजिब लग रही थी.
सोनिया गांधी से भी पूछताछ हो चुकी है. और पूछताछ भी लंबी चली है. बाद में ऐसी भी खबरें आयीं कि राहुल गांधी को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई सूचना सामने तो आयी नहीं. ये तो सूचना भी ऐसी है कि कोई छिपा भी नहीं सकता. मनीष सिसोदिया के मामले में तो बगैर सूचना के ही, बगैर पूछताछ के लिए बुलाये गये ही गिरफ्तारी की जोर शोर से आशंका जतायी जाने लगती है - कभी कभी तो ऐसा लगता है जैसे आप नेताओं को इंतजार ही हो कि कब गिरफ्तारी हो और जश्न शुरू हो!
भावनायें जैसी भी हों. वैसे भी भावनाओं और राजनीतिक स्टैंड का आपस में कोई वास्ता तो होता नहीं, लेकिन मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर प्रचार प्रसार तो ऐसा ही लगता है - और फिर केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है. राहुल गांधी बड़े आराम से भारत जोड़ो यात्रा कर रहे हैं. लोगों से मिलते जुलते और साथ चलते आयी तस्वीरों और वीडियो को देख कर ऐसा लगता भी है कि वो यात्रा का भरपूर आनंद ले रहे हैं - और हंसते खेलते करीब एक तिहाई यात्रा पूरी भी हो चुकी है. सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि अब तक वो शुरुआती दौर जैसी ही शिद्दत से बने हुए भी हैं.
अब अगर राहुल गांधी या रॉबर्ट वाड्रा गिरफ्तार नहीं हुए तो मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिये जाने की संभावना अरविंद केजरीवाल या उनके साथी AAP नेताओं को क्यों है? क्या वाकई केजरीवाल एंड कंपनी को लगता है कि मनीष सिसोदिया गिरफ्तार हो जाते तो गुजरात में सरकार बन जाती?
पूछताछ के लिए बुलाना, गिरफ्तारी कैसे?
मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर बताया है कि उनको सीबीआई मुख्यालय बुलाया गया है. टाइम भी शेयर किया है. साथ में ये वादा भी कि वो जाएंगे और पूरा सहयोग करेंगे - और बीजेपी नेता गौरव भाटिया का सवाल है कि और ऑप्शन ही क्या है? सीबीआई ने बुलाया है तो जाना ही पड़ेगा.
सत्येंद्र जैन की गिरफ्तारी से तो कोई फायदा हुआ नहीं, मनीष सिसोदिया को लेकर इतना शोर क्यों?
दिल्ली के डिप्टी सीएम सिसोदिया ट्विटर पर लिखते हैं, 'मेरे घर पर 14 घंटे CBI रेड कराई, कुछ नहीं निकला. मेरा बैंक लॉकर तलाशा, उसमें कुछ नहीं निकला. मेरे गांव में इन्हें कुछ नहीं मिला.'
ट्वीट के आखिर में मनीष सिसोदिया ने लिखा है - सत्यमेव जयते.
और सिसोदिया के ट्वीट पर बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया का रिएक्शन है - 'सत्यमेव जयते नहीं... भ्रष्ट जेल जायते!'
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो और भी चार कदम आगे बढ़ जाते हैं. भगत सिंह के फांसी के फंदे तक पहु्ंच गये हैं. आखिर इरादा क्या है? चारा घोटाले में जेल जाते वक्त बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव लोगों को समझा रहे थे कि जेल जाने में क्या है, महात्मा गांधी भी जेल गये थे. लालू यादव के समर्थक तो नहीं, लेकिन बाकियों को तो ये समझ में आ ही रहा होगा कि महात्मा गांधी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल नहीं गये थे - या भ्रष्टाचार का दोषी होने के नाते जेल की सजा नहीं काटे थे.
जेल की सलाख़ें और फाँसी का फंदा भगत सिंह के बुलंद इरादों को डिगा नहीं पायेये आज़ादी की दूसरी लड़ाई है।मनीष और सत्येंद्र आज के भगत सिंह है75 साल बाद देश को एक शिक्षा मंत्री मिला जिसने ग़रीबों को अच्छी शिक्षा देकर सुनहरे भविष्य की उम्मीद दीकरोड़ों ग़रीबों की दुआएँ आपके साथ है https://t.co/slc3lb1Mqp
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) October 16, 2022
दिल्ली सरकार की शराब नीति और उसी की वजह से हुई गड़बड़ी की जांच पड़ताल कर रहे प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया है. ये शराब घोटाले के नाम पर पहली गिरफ्तारी है. समीर महेंद्रू को मनीष सिसोदिया का करीबी बताया जाता है.
फर्क ये है कि गिरफ्तारी प्रवर्तन निदेशालय ने की है, मनीष सिसोदिया को सीबीआई मुख्यालय बुलाया गया है. जांच दोनों ही एजेंसियां कर रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ही दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन को भी गिरफ्तार किया था - और अभी वो जेल में हैं.
दिल्ली सरकार के एक और मंत्री कैलाश गहलोत के खिलाफ भी सीबीआई जांच के आदेश दिये गये हैं - और अरविंद केजरीवाल सभी को बेकसूर बताते हुए केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी के इशाने पर राजनीतिक वजहों से आप नेताओं को फंसाने का इल्जाम लगा रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल और आप नेताओं का दावा है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता से बीजेपी घबरायी हुई है - और ये सब उसी के चलते हो रहा है.
ये विडंबना ही है कि जो एक्टिविस्ट देश से भ्रष्टाचार खत्म करने के नाम पर राजनीति में आया, अब उसे अपनी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से जूझना पड़ रहा है. क्या वास्तव में राजनीति काजल की कोठरी है, जिसमें लाख जतन करने पर भी दाग लगना निश्चित है?
लेकिन अभी तो सिर्फ आरोप लगे हैं. साबित तो कुछ हुआ नहीं है. जब साबित होने के बाद भी लोग राजनीति कर रहे हों, तो जिस पर सिर्प आरोप लगा है उसके लिए क्या समझा जाये?
मनीष सिसोदिया भी भ्रष्टाचार के खिलाफ रामनीला आंदोलन में अरविंद केजरीवाल के कंधे से कंधा मिलाकर कर चल रहे थे - और अन्ना हजारे के नेतृत्व में जी जान से आंदोलन में जुटे हुए थे. अन्ना हजारे ने तब अरविंद केजरीवाल को भी राजनीति में आने से मना किया था, लेकिन वो नहीं माने. अन्ना हजारे ने तभी कहा था कि ये आजादी का दूसरा आंदोलन है. अरविंद केजरीवाल अब मनीष सिसोदिया को सीबीआई दफ्तर बुलाये जाने को भी आजादी का दूसरा आंदोलन बता रहे हैं.
क्या होगा अगर सिसोदिया गिरफ्तार हुए?
मनीष सिसोदिया के घर हुई सीबीआई रेड के कुछ दिनों बाद ही, अरविंद केजरीवाल ने दावा किया था कि उस वाकये के बाद से गुजरात में आम आदमी पार्टी का वोट शेयर चार फीसदी बढ़ गया है.
अरविंद केजरीवाल का कहना रहा, 'मुझे लगता है जिस दिन मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाएगा... उस दिन हमारा 6 प्रतिशत वोट और बढ़ जाएगा.'
और फिर मजाकिया लहजे में यहां तक कह डाला था, 'अगर मनीष सिसोदिया दो बार गिरफ्तार हो गये तो गुजरात में हमारी सरकार बन जाएगी!'
अब सवाल ये उठता है कि मनीष सिसोदिया को वाकई गिरफ्तार किया ही जाएगा क्या? और सिसोदिया के गिरफ्तार होने से गुजरात चुनाव के नतीजों पर कोई फर्क पड़ेगा क्या?
ऐसा ट्रेंड देखा गया है कि छापेमारी के दौरान जांच एजेंसियां सबूत इकट्ठा करती हैं. फिर पूछताछ के जरिये जो शक शुबहे होते हैं उनकी पुष्टि की कोशिश होती है. जब पक्का यकीन हो जाता है कि गड़बड़ी हुई है तो गिरफ्तारी की कार्यवाही शुरू की जाती है. कभी कभी ये कई चरणों में होता है - और कभी कभी फटाफट भी. ये केस टू केस निर्भर करता है, बशर्ते कोई पॉलिटिकल इंटरेस्ट न जुड़ा हो.
अभी अभी आम आदमी पार्टी गुजरात के प्रभारी गोपाल इटालिया को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिया था - और कुछ देर बाद छोड़ भी दिया था. गोपाल इटालिया का गुजराती में ही एक वीडियो बीजेपी नेताओं की तरफ से शुरू किया गया था.
बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने गोपाल इटालिया को 'गटर माउथ' कहा था. स्मृति ईरानी का कहना था कि गोपाल इटालिया ने न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अपमान किया है, बल्कि उनकी मां को लेकर भी टिप्पणी की है.
गोपाल इटालिया ने भी प्रधानमंत्री मोदी के बारे में वैसी ही टिप्पणी की थी जैसी 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने. तब राहुल गांधी ने अय्यर से माफी भी मंगवाई थी, लेकिन अरविंद केजरीवाल की तरफ से ऐसी कोई पहल सामने नहीं आयी है. वैसे भी जो जब अरविंद केजरीवाल खुद ही प्रधानमंत्री मोदी को कायर और मनोरोगी बता चुके हों तो गोपाल इटालिया को कुछ कहेंगे भी तो किस मुंह से?
देखा ये गया है कि अरविंद केजरीवाल को लेकर बीजेपी के अब तक के सारे हमले उनके पक्ष में गये हैं - दिल्ली और पंजाब विधानसभा चुनाव मिसाल हैं. दोनों ही चुनावों में बीजेपी की तरफ से आप नेता के आतंकवादी मंसूबे बताने की कोशिश की गयी. पंजाब चुनाव के दौरान तो हिंदी कवि कुमार विश्वास भी वैसी ही राजनीतिक बयानबाजी कर रहे थे. नतीजे दोनों ही चुनावों के सामने हैं.
लेकिन ये भी समझ लेना चाहिये कि अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया में काफी फर्क है. ये ठीक है कि सत्येंद्र जैन के मुकाबले मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल के ज्यादा करीबी हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि उनकी गिरफ्तारी का आम आदमी पार्टी को फायदा मिले ही.
बीजेपी चुनावों में प्रचारित ये करती है कि मोदी सरकार चोरों को जेल भेजने में जुटी है, ताकि आम अवाम चैन की नींद सो सके. जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद ऐसी बातें करते हैं तो लोग उनकी बात आसानी से मान लेते हैं. फिर बाकी लोग चाहे जितना भी शोर मचायें, आम जनता पर कोई फर्क नहीं पड़ता - और चुनाव तो अभी उसी गुजरात में हो रहा है जहां आखिरी वक्त में भी मोदी हवा का रुख बदल देने की क्षमता रखते हैं. और गुजरात ही क्यों, बनारस में भी तो यही देखने को मिला था.
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