राहुल गांधी की नरेंद्र मोदी पर निगाहें, अरविंद केजरीवाल पर निशाना - आपने गौर किया?
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान आपने ये तो देखा ही कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के निशाने पर रहे, लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को भी वो अपने तरीके से काउंटर करने की कोशिश कर रहे थे?
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भारत जोड़ो यात्रा खुले तौर पर तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ रही, लेकिन अघोषित तौर पर वो उन सभी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ भी नजर आयी, जो विपक्षी खेमे के होते हुए भी कांग्रेस के साथ नहीं हैं.
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) कदम कदम पर यही समझाते रहे कि वो लोगों को बांटने और उनके बीच नफरत फैलाने वाली ताकतों के खिलाफ सफर पर निकले हैं. ये बातें भी करीब करीब वैसे ही समझा रहे थे जैसे लंदन में कहा था कि ऐसा लगता है जैसे पूरे देश में केरोसिन छिड़क दिया गया हो.
शुरू में तो ऐसा लगा जैसे राहुल गांधी नये सिरे से विपक्षी नेताओं को कांग्रेस के साथ एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन गुजरते सफर के साथ अलग ही तस्वीर नजर आने लगी - यात्रा के दौरान जो साथ वे तो आये ही, जो नहीं आये उनके साथ राहुल गांधी अलग अलग तरीके से डील करते देखे गये.
भारत जोड़ो यात्रा के यूपी में दाखिल होने से पहले ही समाजवादी पार्टी का नाम लेकर राहुल गांधी ने साफ कर दिया था कि क्षेत्रीय दलों को कांग्रेस के साथ ही आना होगा. ये असल में अखिलेश यादव के लिए खास संदेश था. क्योंकि अखिलेश यादव ने भारत जोड़ो यात्रा को भावनात्मक सपोर्ट देते हुए सवाल किया था कि बीजेपी को चैलेंज कौन करेगा? साफ था कि अखिलेश यादव कांग्रेस को इस लायक नहीं समझ रहे हैं कि वो बीजेपी को चैलेंज करने की क्षमता रखती है.
तभी दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस बुला कर राहुल गांधी ने अखिलेश यादव से साफ साफ कह दिया कि वो ये न भूलें कि समाजवादी पार्टी को केरल और कर्नाटक में कोई नहीं पूछता, जबकि कांग्रेस देश के हर हिस्से में दखल रखती है.
ममता बनर्जी ने एक बार सोनिया गांधी को नजरअंदाज करने की कोशिश की थी, राहुल गांधी उनको दिल्ली से लेकर गोवा तक घेरते रहे. धीरे धीरे कांग्रेस ने ऐसी चालें चली कि ममता बनर्जी तो लगता है जैसे मैदान छोड़ कर ही जा चुकी हों. ममता बनर्जी की ही तरह नीतीश कुमार भी हद से ज्यादा सक्रियता दिखा रहे थे, और सोनिया गांधी ने पहले खुद और फिर मल्लिकार्जुन खड़गे के जरिये संजीदगी से तकरीबन मना ही कर दिया है.
कांग्रेस के लिए बीजेपी दुश्मन नंबर 1 तो है ही, सबसे ज्यादा तेजी से उभरता हुआ एक दुश्मन और भी है - वो हैं आम आदमी पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal). ध्यान रहे अरविंद केजरीवाल की बढ़ती ताकत का लोहा गुजरात चुनावों के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मान चुके हैं. ये बात अलग है कि अमित शाह के बिछाये जाल में उलझ कर अरविंद केजरीवाल गुजरात में ज्यादा कुछ नहीं कर पाये - और हिमाचल प्रदेश में तो उनकी दाल ही नहीं गल सकी.
दिल्ली नगर निगम चुनावों में बीजेपी की तरह अरविंद केजरीवाल के डबल इंजन सरकार का सपना दिखाना काफी लोगों को अच्छा लगा. एमसीडी चुनावों के नतीजों से तो ऐसा ही लगा है. लेकिन अब तक तो हाल वैसा ही लग रहा जैसा चंडीगढ़ नगर निगम के केस में हुआ था. एमसीडी चुनाव तो हो गया, मेयर का चुनाव अब तक लटका हुआ है.
गुजरात में विधानसभा और एमसीडी के चुनाव लगभग साथ ही हो रहे थे, तभी आम आदमी पार्टी के प्रति कांग्रेस के रुख पर आपने ध्यान दिया होगा. जब मनीष सिसोदिया के खिलाफ छापेमारी को लेकर आम आदमी पार्टी बीजेपी से जूझ रही थी, ऐन उसी वक्त कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उसके दफ्तर के सामने विरोध प्रदर्शन कर रहे थे - दिल्ली की शराब नीति में बतायी जा रही गड़बड़ियों को लेकर.
ये तो शुरुआत रही, भारत जोड़ो यात्रा के समापन का मौका आते आते आपने ये भी देख लिया कि कैसे मल्लिकार्जुन खड़गे की आमंत्रण सूची से अरविंद केजरीवाल का नाम गायब रहा. मतलब तो यही है कि राहुल गांधी की नजर में अरविंद केजरीवाल भी नरेंद्र मोदी जैसे ही सियासी दुश्मन हैं - और ये बात भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी जगह जगह महसूस की गयी.
खुल कर मोदी के खिलाफ
राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बार बार प्रेस कांफ्रेंस करने का मकसद अपनी बात लोगों तक पहुंचाना तो था ही, बार बार ये जताने की भी कोशिश रही कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसा कभी नहीं करते. ऐसी बातें पहले भी राहुल गांधी करते रहे हैं.
अरविंद केजरीवाल के खिलाफ अपना मिशन शुरू कर राहुल गांधी साबित कर रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा ने उनको बहुत बदल दिया है
राहुल गांधी का आरोप कि संघ और बीजेपी के लोग नफरत फैलाते हैं और वो देश भर में मोहब्बत की दुकान खोलना चाहते हैं, ये भी कहीं न कहीं नरेंद्र मोदी के खिलाफ ही रहा. ये बात अलग है कि सोनिया गांधी की तरह वो अब मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' कह पाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. खास कर 'चौकीदार चोर है' स्लोगन के चारो खाने चित्त होने के बाद.
लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी की तुलना रावण से की तो राहुल का रिएक्शन वैसा नहीं रहा जैसा मणिशंकर अय्यर और सीपी जोशी के लिए देखा गया था - असल में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस की तरफ से मोदी की तुलना में राहुल गांधी को एक नेक दिल आम इंसान के रूप में पेश करने की ही कोशिश रही.
और नजर केजरीवाल पर
अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक दल का नाम ही आम आदमी पार्टी नहीं रखा है, बल्कि हर कदम पर वो खुद को आम आदमी साबित करने का भी प्रयास करते रहे हैं. चाहे उसके लिए कितने भी जतन क्यों न करने पड़ते हों.
ये सब अरविंद केजरीवाल को आसानी से हासिल भी नहीं हुआ है. लोगों के मन में ये धारणा बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल शुरू शुरू में जो सफेद टोपी पहना करते थे उस पर भी ऐसा ही स्लोगन लिखा होता था. पहले उस टोपी पर अन्ना हजारे का नाम लिखा होता था और भ्रष्टाचार के खिलाफ तब के आंदोलन की डिमांड भी - मुझे चाहिये लोकपाल
बाद में उसी टोपी पर लिख दिया गया - मैं हूं आम आदमी. सफेद टोपी के साथ साथ अरविंद केजरीवाल अपनी शर्ट-पैंट के जरिये भी लोगों को यही समझाना चाहते थे कि वो भी उनके बीच के ही हैं. जाड़े के दिनों में स्वेटर पहले और गले में मफलर डाले केजरीवाल को एक जमाने में मफलर-मैन कह कर भी बुलाया जाने लगा था.
और आपने भी गौर तो किया ही होगा. कैसे राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जगह जगह लोगों के साथ मिलते जुलते चलते रहे. कभी वो किसी को गले लगाते, तो कभी कोई बुजुर्ग उनको चूम रहा होता. कभी वो किसी को शाल ओढ़ा रहे होते - और कभी ऐसा ही कुछ और करते देखे जाते.
भारत जोड़ो यात्रा नाम रखने का एक मकसद ये भी रहा. राहुल गांधी लोगों के साथ सिर्फ बातें ही नहीं करते थे. जब जैसी जगह देखते लोगों के रंग में रंग जाने की कोशिश करते - और सिर्फ आम लोगों के साथ ही क्यों? जो भी मिला उन सभी के साथ. एक से एक हस्थियां यात्रा में शामिल हुईं. सभी के साथ एक ही पोज देखने को मिला.
अपने परिवार के साथ भी राहुल गांधी वैसे ही व्यवहार का प्रदर्शन करते. जब कर्नाटक में सोनिया गांधी के जूते के लैस खुल गये, तो वहीं बैठ कर बांधने लगे. ये मैसेज देने की कोशिश रही कि जिस बच्चे के लैस कल तक मां बांधती रही, वही बेटा बड़ा होकर मां के जूते के लैस बांध रहा है.
भाई-बहन के प्यार का भी राहुल गांधी ने बेहिचक प्रदर्शन किया. निश्चित तौर पर राजनीतिक विरोधियों के लिए ये कहने का मौका रहा कि भारतीय संस्कृति इसकी इजाजत नहीं देती. बीजेपी के नेता तो राखी की दुहाई तक देने लगे थे, लेकिन राहुल गांधी ने कतई परवाह नहीं की - बल्कि श्रीनगर पहुंचे तो बर्फ के गोले बना कर फेंकने लगे और फिर दोनों भाई बहन एक दूसरे को छकाते भी देखे गये.
आखिर ये सब क्या है? यही बताने की कोशिश न कि जिसे राजनीतिक विरोधी पप्पू साबित करने पर तुले हुए हैं, वो भी असल में देश के आम लोगों की ही तरह है. भले ही उसने शादी नहीं की हो, लेकिन अपने परिवार के प्रति उसका प्यार भी आम लोगों की तरह ही है.
यूट्यूब चैनल कर्ली टेल्स के साथ इंटरव्यू में राहुल गांधी ने खाने पीने को लेकर अपनी पंसद और नापसंद की बातें तो की ही, शादी को लेकर भी सवालों का जवाब दिया. राहुल गांधी ने ये नहीं कहा कि वो शादी नहीं करना चाहते, बल्कि लड़की को लेकर अपनी पसंद और अपेक्षा भी बतायी.
राहुल गांधी ने बताया कि उनको इंटेलिजेंट और प्यार करने वाली लड़की पसंद होगी. ऐसी महिलाओं के तौर पर राहुल गांधी ने अपनी दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी का भी नाम लिया. ये भी बताया कि कैसे उनके माता पिता की एक अच्छी मैरिड लाइफ रही - ये तो ऐसा लगता है राहुल ने भारत जोड़ो यात्रा से जो हासिल किया है, वो तो गांधी परिवार में पैदा होकर भी नहीं मिल सका.
Sheen Mubarak!?A beautiful last morning at the #BharatJodoYatra campsite, in Srinagar.❤️ ❄️ pic.twitter.com/rRKe0iWZJ9
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 30, 2023
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