स्वच्छ-भारत अभियान की कमी भाजपा के मंत्री ने कुछ यूं उजागर की
राजस्थान के मिनिस्टर शंभू लाल खेतासर की फोटो वायरल हो रही है जिसमें वो वसुंधरा राजे के पोस्टर के बगल में पेशाब करते नजर आ रहे हैं. इस फोटो ने एक ऐसे विवाद को जन्म दिया है जिसपर चर्चा करना जरूरी है.
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भारत में स्वच्छ भारत अभियान लेकर आए नरेंद्र मोदी का एक सपना था कि वो देश की हर गली हर चौराहे को साफ देखना चाहते हैं. नरेंद्र मोदी और भाजपा के स्वच्छता अभियान की तारीफ हर किसी ने की, लेकिन एक बात जो हमेशा देखने को मिलती है, वो ये कि भाजपा के मंत्री हमेशा भाजपा के अभियानों की धज्जियां उड़ाते दिखते हैं. चाहें फिर वो लड़कियों के खिलाफ बात करना हो (बेटी बचाओ अभियान के विपरीत) या फिर स्वच्छ भारत अभियान के विपरीत सड़क पर गंदगी फैलाना.
बात के महत्व को समझिए कि भाजपा जो हमेशा अपने मंत्रियों के बचाव में उतरी रहती है लगातार उसी पार्टी के मंत्री विवादों में फंसे रहते हैं. ताजा मामला है शंभू लाल खेतासर का जो कि राजस्थान सरकार के मंत्री हैं. शंभू लाल जी अजमेर की एक दीवार पर अपने निशान छोड़ते पाए गए हैं. फिल्म थ्री ईडियट्स वाली भाषा में बोलें तो मूत्र विसर्जन करते हुए पाए गए हैं. और जगह भी ऐसी चुनी जहां वसुंधरा राजे का पोस्टर लगा हुआ था.
खेतासर जी ने अपने आप को नैचुरल कॉल के प्रति समर्पित कर दिया. हालांकि, 1 किलोमीटर का एरिया अगर शौचालय के बिना है तो इसमें उनकी बहुत ज्यादा गलती नहीं मानी जा सकती है.
शंभू लाल खेतासर की वो फोटो जो वायरल हो रहा है
खेतासर ने अपने बयान में कहा कि, 'जहां तक स्वच्छ भारत का सवाल है सिर्फ पेशाब करना ही गंदगी को दर्शाता नहीं है. उस जगह पर एक किलोमीटर के एरिया में कोई भी शौचालय नहीं है. और ये तो सदियों से चलता आया है. सुबह का समय था और रैली में व्यस्त था मैं. इसके अलावा, खुले में शौच करने से बीमारी होती है पेशाब करने से नहीं जब तक वो किसी सूनी जगह पर न हो. जहां मैंने पेशाब किया वो जगह एकदम सूनी थी, वहां से गंदगी और बीमारी नहीं फैल सकती. '
As far as Swachh Bharat Abhiyan is concerned, urination alone doesn't contribute to uncleanliness. That place did not have urinals for kilometers at a stretch: Shambhu Singh Khetsar, Rajasthan Minister on viral picture of him urinating in open on a wall in Ajmer (07.10.2018) pic.twitter.com/kY0BEgpzpX
— ANI (@ANI) October 8, 2018
खेतासर ने ये भी बता दिया कि पब्लिक में पेशाब करना बुरा है, लेकिन किसी सूनी जगह पर नहीं. ये नैचुरल कॉल है इसका कुछ नहीं किया जा सकता.
खेतासर ने अपने बचाव में तो सब कुछ कह दिया, लेकिन जहां वो ये काम कर रहे हैं वहां साफ तौर पर वसुंधरा राजे का पोस्टर देखा जा सकता है और अगर मंत्री जी ये कहते हैं कि जगह सूनी थी तो इतना तो सवाल ये उठता है कि आखिर भाजपा के पोस्टर किसी ऐसी जगह पर क्यों लगाए गए जहां कोई आता-जाता ही नहीं?
खैर, अगर इसे दूसरी नजर से देखा जाए तो इसमें भाजपा की गलती कही जा सकती है. उस मंत्री से ज्यादा उस पार्टी की गलती है जो अभी तक अपने मंत्रियों की हरकतों पर पर्दा डालती आई है और वो पार्टी जो दावा करती है कि उसके शासनकाल में राजस्थान के 33 जिलों में से 27 खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं वहां ऐसा हो रहा है वो भी अजमेर जैसे शहर के पास जो टूरिज्म के लिए भी मश्हूर है और जो दिल्ली एनसीआर के इतने करीब है.
खुद सोचिए कहां गए भाजपा के वो दावे जिनमें कहा जाता है कि भारत को स्वच्छता की ओर ले जाने में पार्टी का योगदान काफी ज्यादा है. ये पहली बार नहीं जब भाजपा का कोई मंत्री खुले में ऐसा करता पाया गया है.
फरवरी में राजस्थान सरकार के स्टेट हेल्थ मिनिस्टर कालीचरण सराफ जयपुर की दीवारों पर पेशाब करते नजर आए थे.
मिनिस्टर कालीचरण सराफ की फोटो जो वायरल होती हैं
इसके बाद मंत्री जी ने ये भी कहा था कि इसमें कोई बड़ी बात नहीं ये तो होता ही रहता है.
इसी तरह से यूनियन मिनिस्टर राधामोहन सिंह चंपारण, बिहार में मोतिहारी में किसी काम से गए थे. ट्विटर ने राधामोहन सिंह की इस फोटो का बहुत मजाक उड़ाया था. ये घटना 2017 की है.
कड़ी सुरक्षा के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री सुखाड प्रभावित क्षेत्र मे सिंचाई योजना की शुरुआत करते हुए। उन्होंने स्वच्छ भारत अभियान को भी गति दी pic.twitter.com/BLbkpO8BPz
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) June 28, 2017
अब खुद ही सोचिए भाजपा के मंत्री ऐसा काम कर रहे हैं इसमें उन मंत्रियों को दोष देंगे जो ऐसा कर रहे हैं या फिर पार्टी को जो आम इंसानों के लिए छोड़िए अपने मंत्रियों तक के लिए शौचालय की सुविधा प्रदान नहीं कर पा रही है. फिर आखिर क्यों ही कोई और भाजपा से कोई उम्मीद पाले. किस बिनाह पर कहा जा रहा है कि भारत अब स्वच्छ हो रहा है. अगर भाजपा की वो रैली जिसमें 2.5 लाख लोग आए थे (शंभू सिंह खेतासर के अनुसार) और राजस्थान में चुनाव आने वाले हैं उस समय भी भाजपा की रैली का आयोजन करने वाले लोग इतना भी नहीं किया कि कुछ पोर्टेबल शौचालय का इंतजाम कर देते?
कोई कितना ही इंसान को गलत ठहराए, लेकिन मैं तो इसमें पार्टी को भी दोषी मानूंगी क्योंकि इंसान तो गलत है, लेकिन अगर किसी के साथ इमर्जेंसी हो ही गई तो वो क्या करेगा? हईवे पर अगर महिलाएं ट्रैवल कर रही हैं तो पेट्रोल पंप के शौचालय का इस्तेमाल करना ही उनके लिए एक उपाय होता है, अगर ऐसा नहीं हो तो कितनी भी इमर्जेंसी क्यों न हो उन्हें या तो सड़क किनारे बैठना होता है या फिर जहां जा रही हैं उस स्थान का इंतजार कगना होता है. जरा सोचिए कि ये कितने शर्म की बात है कि 2018 में भी भारत में इस बात के लिए बहस हो रही है कि खुली सड़क पर पेशाब करना चाहिए या नहीं.
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