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Updated: 07 नवम्बर, 2019 09:36 PM
अनुज मौर्या
अनुज मौर्या
  @anujkumarmaurya87
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अयोध्या केस (Ayodhya Case) में राम मंदिर (Ram Mandir Verdict) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) अपना फैसला सुनाने वाला है. ये तो तय है कि राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद (Ayodhya Land Dispute) में फैसला जल्द ही आएगा, लेकिन किसी तारीख की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. उम्मीद की जा रही है कि राम मंदिर को लेकर फैसला 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच किसी भी दिन आ सकता है. जब 1992 में बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) ढहाई गई थी तो पूरे देश में हिंसा हो गई थी. सरकार इस बात से अच्छी तरह वाकिफ है कि कुछ शरारती तत्व इस बार फैसला आने पर भी माहौल खराब करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में कोई अनहोनी ना हो, इसके लिए सरकार पहले ही मुस्तैद रहना चाहती है. अयोध्या में फिलहाल धारा 144 लागू है, ताकि हिंसा फैलाने की कोई योजना ना बनाई जा सके. पुलिस व्यवस्था कितनी मुस्तैद है, इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि बहुत सारे शरारती तत्वों को पहले ही चिन्हित कर लिया गया है और साथ ही कई स्कूलों को अस्थाई जेल बनाने की तैयारी भी कर ली है, जिसमें हिंसा करने या प्रदर्शन करने वालों को हिरासत में रखा जा सकता है. ऐसा नहीं है कि अयोध्या केस में फैसला आने से पहले सिर्फ पुलिस के स्तर पर ही तैयारी की जा रही है. हिंदू और मुस्लिम पक्ष भी अपनी-अपनी तैयारियों में जुटे हुए हैं. सभी की कोशिश यही है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश आए, उसे माना जाए और शांति व्यवस्था बनाए रखी जाए.

Muslim Community preparation before Ayodhya Ram Mandir Babri Masjid dispute verdict faislaकयास लगाए जा रहे हैं कि राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 13 से 16 नवंबर के बीच आ सकता है.

मुस्लिम पक्ष की क्या हैं तैयारियां?

अयोध्या केस में राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले मंगलवार को केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर आरएसएस (RSS) और मुस्लिम पक्ष (Muslim Community) के नेताओं की बैठक हुई. इसमें सभी इस बात पर सहमत हुए कि फैसला चाहे कुछ भी आए, सभी पक्ष शांति व्यवस्था बनाए रखेंगे. हालांकि, हर पक्ष उम्मीद जता रहा है कि फैसला उसके हक में होगा, लेकिन हर पक्ष ये भी चाहता है कि इसे लेकर कोई जश्न, प्रदर्शन या बवाल ना हो. यहां तक कि बयानबाजी पर भी रोक लगाई जा रही है. इस बैठक में जमीअत उलमा के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी, मुफ्ती मुकर्रम, प्रोफेसर अख्तरुल, कमाल फारूकी, मौलाना मोहसीन तकावी, बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष अब्दुल राशिद मौजूद रहे. बैठक में संघ की ओर से कृष्ण गोपाल और आरएसएस के राम लाल भी शामिल थे.

मौलाना सैय्यद कल्बे ने की शांति की अपील

मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर हुई बैठक के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना सैय्यद कल्बे ने मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा- 'अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से कुछ भी फैसला हो, हम सभी को इसका सम्मान करना चाहिए. हम सभी से अनुरोध करते हैं कि फैसले को लेकर शांति व्यवस्था बनाए रखनी होगी.'

चिश्ती ने अफवाहों से बचने की सलाह दी

ऑल इंडिया सूफी सज्जादनशीं काउंसिल के चेयरमैन सैय्यद नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. उन्होंने कहा है कि हर धर्म के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि वह सभी दरगाहों से अपील करते हैं कि वह लोगों से अफवाहों और फेक न्यूज से बचने को कहें. आपको बता दें कि हिंसा के अधिकतर मामलों में अफवाहें और फेक न्यूज ही मुख्य वजह होते हैं, इसलिए चिश्ती ने लोगों से इससे बचे रहने की अपील की है.

धर्मगुरुओं का जत्था करेगा शांति की अपील

अयोध्या मामले में कोई अनहोनी ना हो, ये सुनिश्चित करने के लिए हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह की देख रेख करने वाले मुस्लिम धर्मगुरुओं का 20 लोगों का जत्था पूरे देश में शांति की अपील के लिए निकला है. ये मुस्लिम धर्मगुरु देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर शांति की अपील करेंगे. केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री मोहसिन रजा के घर में हुई बैठक में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के सज्जादनशीं उपस्थित थे. ऐसे ही बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इरफान अहमद पश्चिम यूपी में मुस्लिम समुदाय के बीच बैठक कर लगातार अमन का पैगाम दे रहे हैं.

मौलाना अरशद मदनी बोले- 'हम राम मंदिर का चबूतरा छोड़ने को तैयार'

अयोध्या मामले पर पूरे देश की निगाहें तो हैं ही, हिंदू-मुस्लिम धर्मगुरु भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं. रविवार को सहारनपुर के देवबंद में दिवाली मिलन के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने एक अहम बात कही. उन्होंने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला आए, हम उसका समर्थन करेंगे. सर्व समाज को कोर्ट का फैसला मानना चाहिए. मुल्क हम सबका है और कानून हम सबके लिए बराबर है. अगर फैसला आता है तो हम राम मंदिर का चबूतरा छोड़ने को तैयार हैं.' हालांकि उन्होंने ये मांग जरूर रख दी है कि तीन गुंबद और सामने वाला हिस्सा हमें मिलना चाहिए, लेकिन अच्छी बात ये है कि वह भी नहीं चाहते कि इस मामले में कुछ भी ऊंच नीच हो.

रशीद फिरंगी महली बोले- 'धार्मिक भावनाओं को ठेस ना पहुंचाएं'

पिछले शुक्रवार यानी 31 अक्टूबर को ही मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने कहा था कि अयोध्या मसले के फैसले से पहले जुमे की नमाज में मस्जिदों में आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की जाएगी. उन्होंने ये भी कहा था कि मौलाना अपील करेंगे कि कोर्ट से चाहे जो भी फैसला आए समाज में अमन-चैन बना रहे. उन्होंने कहा कि किसी भी शख्स को घबराने की जरूरत नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सबको भरोसा होना चाहिए. किसी की भी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की बात कोई भी ना करे.

हिंदू संगठन भी नहीं छोड़ रहे तैयारी में कोई कमी

जहां एक ओर मुस्लिम धर्मगुरुओं और संस्थाओं ने शांति बनाए रखने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदू संगठन भी शांति बनाए रखने के लिए अपनी तैयारी में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं. आरएसएस से लेकर भाजपा तक में सभी सदस्यों से अपील की जा रही है कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करें और किसी तरह की बयानबाजी ना करें.

विहिप पहले से ही सतर्क

राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले विश्व हिंदू परिषद (विहिप) बेहद सतर्कता बरत रहा है. उसने पहले ही अपने नेताओं से अनर्गल बयानबाजी ना करने के लिए कहा है, ताकि किसी भी हालत में माहौल खराब ना हो. विश्व हिंदू परिषद संत समाज के लगातार संपर्क में है और उनसे चर्चा कर रहा है. विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने अवध प्रांत में होने वाले त्रिशूल दीक्षा कार्यक्रम को बहुत पहले ही रोक दिया. अपने हित चिंतक अभियान में भी विराम लगा दिया है. इसके तहत नए सदस्य बनाए जाते थे.

RSS ने भी कर ली है पूरी तैयारी

राम मंदिर के फैसले को लेकर आरएसएस पहले से ही पूरी तैयारी कर के बैठा है कि इसके चलते कहीं माहौल खराब ना हो. इसी के चलते कई स्तर पर बैठकें चल रही हैं. संघ के बड़े नेताओं ने तो दिल्ली में डेरा भी डाल लिया है. संघ के प्रांत प्रचारक और उससे छोटे पदाधिकारी अपने प्रांतों में बैठकों कर के संयम और शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं. संघ ने इसको लेकर मुस्लिम राष्ट्रीय मंच को विशेष रूप से जिम्मेदारी सौंपी है, जिसके बाद बड़े मुस्लिम चेहरों से संवाद स्थापित करके अमन और शांति का माहौल कायम करने की पहल की जा रही है.

मोदी-योगी ने मंत्रियों को दी बयानबाजी ना करने की सलाह

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सभी मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि वह अयोध्या मामले में फैसला आने से पहले अपने प्रभार वाले जिलों में जाएं और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बैठक करें. साथ ही सभी मंत्रियों को ये सख्त आदेश दिए गए हैं कि वह अयोध्या केस में किसी भी तरह की बयानबाजी ना करें. आपको बता दें कि पीएम मोदी भी अपनी पार्टी के बड़बोले नेताओं की अनर्गल बयानबाजी से बहुत ही परेशान रहते हैं और कई मौकों पर उन्हें जुबान पर लगाम कसने की सलाह दे चुके हैं. योगी भी ये बात समझते हैं कि अगर राम मंदिर जैसे संवेदनशील मामले पर किसी नेता ने कोई गलत बयानबाजी कर दी तो महौल तो खराब होगा ही, सरकार और भाजपा की किरकिरी होगी वो अलग.

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