तेलंगाना सरकार के रमजान गिफ्ट को देखकर देश के मुस्लिम क्या कहेंगे?
देश के सबसे नए राज्य तेलंगाना ने रमजान पर खुशी बांटने का अनूठा तरीका निकाला है. वे करीब दो लाख मुस्लिमों को गिफ्ट हैंपर देने जा रही है. करदाताओं के पैसे से बांटी जाने वाली इस 'सरकारी सिवैइयों' को वोटबैंक पॉलिटिक्स कहा जा रहा है. आप क्या कहेंगे?
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हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष... यही आखिरी शब्द मुझे आगे के शब्दों तक जाने नहीं दे रहा है. आंखें खुली हैं, पढ़ भी रहा हूं लेकिन अक्षर तरंगें दिमाग तक पहुंच नहीं पा रही हैं. तेलंगाना में एक 'डॉक्टर' हैं - के. चंद्रशेखर राव. मेरी इस बीमारी का इलाज अब उन्हीं के हाथों है.
संयोग देखिए. तेलंगाना के मुख्यमंत्री का नाम भी के. चंद्रशेखर राव ही है. तेलंगाना को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए इनके बलिदान को हमेशा याद किया जाएगा. न जाने कितनी जानें गईं, पर राव साहब जिंदा रहे. अलग राज्य बनने के सपने के साथ. राज्य बना. राव साहब सीएम बने. लेकिन इनकी लड़ाई अब भी जारी है. अब गरीब मुस्लिमों की सेवा में खुद को झोंक दिए हैं.
ईद और रमजान के पाक मौके पर सीएम राव साहब ने एकदम क्रांतिकारी घोषणा कर दी - तेलंगाना के 1.95 लाख गरीब मुस्लिम परिवारों को 500-500 रुपये के गिफ्ट पैक दिए जाएंगे. इस पैकेट में होगा - 2 साड़ी, 2 कुर्ता, एक टोपी और इत्र की एक बोतल. इसमें सरकारी खर्च आएगा मात्र - 9.75 करोड़ रुपये.
रमजान पर तेलंगाना सरकार की ओर से गरीब मुस्लिम परिवारों को दिया जाने वाला गिफ्ट पैक |
सीएम राव साहब के इस बड़े दिल वाले क्रांतिकारी घोषणा के बाद दक्षिणपंथी उन पर टूट पड़े - गरियाने लगे, धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने लगे, धर्म की राजनीति और सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने जैसे आरोप तक लगा दिए गए. यह गलत है. मात्र 9.75 करोड़ रुपये की सरकारी खर्च पर अगर एक राज्य की सरकार पर्व-त्योहार पर 1.95 लाख गरीब परिवारों के घर खुशियों की सौगात पहुंचा रही है तो इसमें किसी को आपत्ति क्यों है भला! इससे ज्यादा खर्चा तो क्रिकेट की एक मैच में हो जाता है जनाब.
और तो और, दक्षिणपंथी उनसे यह भी मांग कर रहे कि जैसे मुस्लिमों के पर्व-त्योहार पर सरकारी खर्चे पर गिफ्ट दिए जा रहे हैं, उसी तरह से हिंदुओं के त्योहार पर भी गिफ्ट बांटे जाएं. अब यह कोई बात हुई भला! राव साहब ने आपसे कहा था इतनी बड़ी जनसंख्या में रहने को? हिंदुओं की इतनी बड़ी आबादी के लिए गिफ्ट खरीदने में कितना खर्चा आएगा, कभी सोचा है? सरकार की भी अपनी सीमाएं होती हैं भैया, उसका भी एक बजट होता है. वह जो भी करती है, सोच-समझ कर करती है और जनता के हित में करती है.
खैर, पंथनिरपेक्ष शब्द के कारण मैं अंधा सा हो गया हूं. कृपया कर इसे धर्मनिरपेक्ष समझने की भूल न करें. उम्मीद करता हूं कि तेलंगाना के डॉक्टर राव साब मुझे ठीक कर देंगे. साथ ही इसे व्यंग्य समझने की कोशिश न करें. एक 'पंथनिरपेक्ष-रूपी' अंधे होते आदमी की आप सब से गुजारिश है.
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