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Updated: 24 जनवरी, 2019 03:23 PM
अनुराग तिवारी
अनुराग तिवारी
  @VnsAnuT
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क्रिकेट की भाषा में कहें तो आखिरकार कांग्रेस ने अपने पिच हिटर को पॉलिटिक्स की पिच पर उतार ही दिया. प्रियंका गांधी परिवार और कांग्रेस की परंपरा को निभाते हुए आखिरकार पॉलिटिक्स में फॉर्मल एंट्री ले चुकी हैं. लेकिन जैसा कि होता है ऐसे मौकों पर बैटिंग करने वाले बैट्समैन के आउट होने पर पारी के भरभराने का खतरा मंडराता रहता है, वैसे ही कुछ आशंकाएं प्रियंका गांधी के पॉलिटिक्स में एंट्री को लेकर व्यक्त की जा रही हैं. माना जा रहा है कि प्रियंका अगर जमकर बैटिंग करेंगी तो यूपी में सपा-बसपा गठबंधन के वोट काट सकती हैं. इसके उलट अगर वे कांग्रेस को अच्छी संख्या में सीटें नहीं दिला पाती हैं तो उन पर भी राहुल गांधी की तरह जबरन लांच किए जाने के आरोप भी लग सकते हैं.

मंत्री जी जता चुके हैं गठबंधन से खतरा

जिस तरह से यूपी में बुआ-बबुआ की जोड़ी बीजेपी के लिए खतरा बनती नजर आ रही है, उससे तो लगता है कि 'दीदी' प्रियंका का एक्टिव होना इन दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. बता दें बुआ-बुआ की जोड़ी से खतरे की बात केन्द्रीय मंत्री संजीब बालियान भी कबूल चुके हैं. ऐसे में प्रियंका गांधी का एक्टिव होना वाकई सपा-बसपा को नुकसान पहुंचा सकता है.

प्रियंका गांधी, कांग्रेस, लोकसभा चुनाव 2019, पूर्वी उत्तर प्रदेश माना जा रहा है कि प्रियंका का सक्रिय राजनीति में आना पार्टी को बड़ा फायदा पहुंचाएगा

78 सीट जीतने का दावा

पूर्वांचल में प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी की जिम्मेदारी सौंपे जाने को लेकर बड़े पैमाने पर कांग्रेसी जश्न मना रहे हैं. गोरखपुर में प्रियंका गांधी को एक्टिव पॉलिटिक्स में लाने की मांग लेकर खून से खत लिखने वाले अनवर हुसैन तो इस समय क्लाउड नाइन पर हैं. उन्होंने तो कांग्रेस के 80 में से 78 सीट जीतने का दवा भी कर दिया. उनका कहना है कि प्रियंका गांधी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का अक्स दिखता है. खबर लिखे जाने तक गोरखपुर में आतिशबाजी और मिठाइयां खिलाने का दौरा जारी था.

प्रियंका गांधी, कांग्रेस, लोकसभा चुनाव 2019, पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रियंका के पक्ष में गोरखपुर में जश्न मानते कांग्रेस पार्टी  के कार्यकर्ता

इस बार आर-पार की लड़ाई

वहीं गोरखपुर के पॉलिटिकल एनालिस्ट और सीनियर जर्नलिस्ट मनोज सिंह मानते हैं कि फेल होने पर राहुल गांधी की तरह फेलियर कहलाने का खतरा तो है लेकिन वे सपा-बसपा के लिए इसे खतरा नहीं मानते. उनकी राय में यह मुकाबला सही मायनों में त्रिकोणीय हो गया. वे कहते हैं कि सपा-बसपा की तरह कांग्रेस और बीजेपी के पास फिक्स्ड वोटबैंक नहीं है. इसलिए मोदी के खिलाफ जो एंटी-इनकम्बेंसी फैक्टर बन रहा है, उससे उसका वोटर कांग्रेस के पाले में जरूर जा सकता है. उनका मानना है कि यह बिलकुल सही टाइमिंग है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव सभी पार्टियों के लिए अस्तित्व की लड़ाई  बन चुका है. ऐसे में चुनावों तक सभी दल अपने-अपने तुरुप के पत्ते निकलते जाएंगे.

सपा-बसपा कुछ ख़ास नहीं कर पाएगी

इस मामले में अलायन्स पर अच्छी पकड़ रखने वाले लखनऊ के सीनियर जर्नलिस्ट आरके गौतम की राय थोड़ी डिफरेंट है. उनका मानना है कि सपा और बसपा का गठबंधन कुछ ख़ास नहीं कर पायेगा. उनका कहना है कि कांग्रेस के पास खोने को कुछ है ही नहीं, इसलिये यह कांग्रेस का एक अच्छा फैसला है.

प्रियंका गांधी, कांग्रेस, लोकसभा चुनाव 2019, पूर्वी उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यकर्ताओं का मत है कि इससे पार्टी को बड़ा फायदा मिलेगा

बनारस से करेंगी अभियान की शुरुआत

काफी लम्बे समय से प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में लाने की मांग करने वाले वाराणसी के कांग्रेस नेता अनिल श्रीवास्तव 'अन्नू' भी बहित खुश नजर आ रहे हैं. उनका मानना है कि देर से ही लेकिन पार्टी ने उनकी और और उनके जैसे कई कांग्रेसियों की दिली-तमन्ना पूरी कर दी है. अनिल श्रीवास्तव का यह भी दावा है प्रियंका गांधी अपने चुनाव अभियान की शुरुआत मोदी के गढ़ वाराणसी से ही करेंगी. अनिल श्रीवास्तव ने इशारों-इशारों में ही बुआ-बबुआ के गठबंधन पर निशाना साधा कि जो राजनितिक दल कांग्रेस को कमतर कर आंकने लगे थे, यह उनके लिए बड़ा संदेश है. बता दें गठबंधन में शामिल होने के लिए ना के बराबर सीटें ऑफर की गई हैं. अनिल श्रीवास्तव का मानना है कि प्रियंका गांधी के पूर्वांचल की कमान संभालने से महिलाओं और युवाओं का रुझान एक बार फिर कांग्रेस की तरफ बढ़ेगा और पार्टी देश में मजबूती से उभरेगी.

35 गोली खाने वाली दादी की पोती हैं

गाजीपुर के कांग्रेसी नेता प्रियंका गांधी में इंदिरागांधी का अक्स देखते हैं. कांग्रेस के जिलाध्यक्ष मार्कंडेय सिंह मोदी की तुलना अंग्रेजों से करते हैं. उनका दावा है कि गाजीपुर और पूर्वांचल के लोगों ने अंग्रेजों को भगाया था. अब उनका दावा है कि प्रियंका गांधी की अगुवाई में कांग्रेसी मोदी को देश से भगाएंगे.

प्रियंका गांधी, कांग्रेस, लोकसभा चुनाव 2019, पूर्वी उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में भी कार्यकर्ताओं ने आलाकमान के इस फैसले का स्वागत किया है

पार्टी का प्रदर्शन सुधरेगा

यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नकवी की राय है कि प्रियंका गांधी के आने से न केवल राहुल गांधी को मजबूती मिलेगी बल्कि पार्टी का प्रदर्शन भी सुधरेगा. उनके मुताबिक़ प्रियंका गांधी के कमान सम्भालने से न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मजबूती मिलेगी बल्कि सेन्ट्रल यूपी में भी अमेठी रायबरेली के चलते फायदा होगा. वे यह भी मानते हैं कि इसका फायदा पूर्वी उत्तर प्रदेश से सटी बिहार की सीटों पर भी मिलेगा. यूपी कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेन्द्र राजपूत कहते हैं कि पॉलिटिक्स में हर फैसले का समय होता है. उनके मुताबिक़ कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को सही समय पर मैदान में उतारा है और इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं में खासा उत्साह है. वे आशान्वित हैं कि इसका प्रभाव निश्चित तौर पर चुनावों में देखने को मिलेगा.

पूर्वांचल बना कांग्रेस की पॉलिटिक्स का गढ़

बीते साल ही कांग्रेस ने देवरिया के केशव चन्द्र यादव को युवक कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया. इसके बाद जौनपुर के नदीम जावेद को अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप दी और मुस्लिम युवाओं को अपने से जोड़ने की कोशिश की. अब कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव तो बनाया ही, साथ ही पूर्वांचल की जिम्मेदारी भी सौंप दी है. इससे न केवल यूपी पर बल्कि पड़ोसी प्रदेश बिहार के सीमांचल पर भी इसका असर देखने को मिलेगा.

पूर्वांचल को ही ध्यान में रखकर 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने इलाके को अपने कैम्पेन के केंद्र में रखा था. बता दें पूर्वांचल उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 130 एमलए देता है तो 26 लोकसभा एमपी. पूर्वी उत्तर प्रदेश की कुल आबादी में ओबीसी और एमबीसी की करीब 40 फीसदी आबादी है. निश्चित तौर पर कांग्रेस का फोकस इस वोटबैंक पर भी रहेगा. इस मुहिम में प्रियंका गांधी का करिश्माई व्यक्तित्व पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है.

क्या रहा है कांग्रेस का प्रदर्शन

वैसे देखा जाये तो साल 2004 से ही पूर्वांचल में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत कुछ कंसीटेंट तो नहीं कहा जा सकता. 2004 लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से बीजेपी और कांग्रेस को में दो-दो सीटें मिलीं थीं. इसके बाद हुए 2007 में हुए असेंबली इलेक्शन में कांग्रेस को इस इलाके से सिर्फ़ दो सीटें मिलीं थीं. साल 2009 के लोकसभा चुनावों में पूर्वांचल से कांग्रेस को छह सीट मिली तो साल 2014 के लोकसभा चुनावों में मोदी लहर के चलते पूरे यूपी से सिर्फ दो सीट. इन चुनावों में कांग्रेस पूरे यूपी से महज अमेठी और रायबरेली की ही लोकसभा सीट जीत पाई थी.

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लेखक

अनुराग तिवारी अनुराग तिवारी @vnsanut

लेखक पत्रकार हैं

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