ये evm किसी के गले क्यों नहीं उतर रही?
अभी तक ईवीएम के विरोध की खबरें भारत से ही आ रही थीं मगर अब ये विरोध, विदेशों तक फैल गया है.नाईजीरिया और बोत्सवाना जैसे अफ्रीकी देशों का विपक्ष मान रहा है कि इसके इस्तेमाल से सत्ताधारी दल चुनाव प्रभावित करेंगे.
-
Total Shares
भारतीय चुनावों में ईवीएम की भूमिका को लेकर मचा सियासी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा. राजनीति में एक बड़ा वर्ग है जिसका मानना है कि ईवीएम से चुनाव के परिणामों में हेर फेर की जा रही है. भारत के बाद EVM ने विदेश में भी सियासी सरगर्मियां तेज कर दी हैं. ताजा मामला अफ्रीकी देश बोत्सवाना का है जहां चुनावों में EVM की भूमिका को लेकर विवाद होता नजर आ रहा है. अपोजिशन का तर्क है कि भारत की ही तरह ईवीएम में छेड़छाड़ कर सत्ताधारी दल यहां भी नतीजों को अपने पक्ष में कर लेगा.
भारत के बाद अब ईवीएम का विरोध अफ्रीकी देश बोत्सवाना में भी शुरू हो गया है
जी हां सही सुन रहे हैं आप. इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर पर भरोसा करें तो अफ्रीकी देश बोत्सवाना में इंडियन इलेक्शन कमीशन की आन बान शान सवालों के घेरे में है. आपको बताते चलें कि बोत्सवाना में अक्टूबर 2019 में आम चुनाव होने हैं. चुनाव तेज हों, इसके लिए वहां की सरकार ने फैसला लिया है कि चुनाव ईवीएम की मदद से हों. इस पूरे मामले में सबसे खास बात ये है कि बोत्सवाना अपने चुनावों के लिए ईवीएम भारत से ला रहा है. बोत्सवाना के विपक्ष का आरोप है कि भारत से ईवीएम मंगाना सत्ताधारी दल की एक सोची समझी चाल है और इसके बल पर वो पूरे चुनावों को प्रभावित करन चाह रहा है.
चुनावों में ईवीएम की भूमिका को लेकर मामला इतना गंभीर और बहस इतनी तेज हो गई है कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी, बोत्सवाना कांग्रेस पार्टी (बीसीपी) इस मामले को अदालत में लेकर चली गई है. ध्यान रहे कि सत्ताधारी बोत्सवाना डेमोक्रेटिक पार्टी (बीडीपी) ने चुनाव कानून में संशोधन कर देश में ईवीएम के इस्तेमाल की बात की थी. बोत्सवाना में जिस तरह विपक्ष ईवीएम को लेकर विरोध कर रहा है इस बात ने सत्ताधारी बोत्सवाना डेमोक्रेटिक पार्टी को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है. बीसीपी ने भारतीय चुनाव आयोग से अनुरोध किया है और कहा है कि वो अपने प्रतिनिधियों को बोत्सवाना भेजें ताकि वो ईवीएम की अच्छाई से लोगों को अवगत करा सकें और ये साबित कर सकें कि चुनावों में इसका इस्तेमाल सही है.
अक्सर ही हम सुनते हैं कि कहीं चुनाव हुए और वहां ईवीएम के जरिये धोखाधड़ी की गयी
वहीं दूसरी तरफ देश के इंडीपेंडेंट इलेक्ट्रोरल कमीशन का तर्क है कि ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव जल्दी हो जाएंगे और इससे काफी समय भी बचेगा. इसके अलावा बोत्सवाना की सरकार एवं इलेक्शन कमीशन ने भारतीय चुनाव आयोग से ये भी कहा है कि वो ईवीएम और वीवीपैट को लेकर फैली पशोपेश को दूर करने के लिए अदालत में एक प्रजेंटेशन भी दें.
आपको बताते चलें कि बोत्सवाना में कुल 57 निर्वाचन क्षेत्र हैं, जहां चुनाव के लिए लगभग 6000 मतदान केंद्र स्थापित किये जाते हैं. बताया जा रहा है कि बोत्सवाना में ईवीएम आ सकें इसके लिए पिछले 6 महीनों से बोत्सवाना के चुनाव आयोग और भारतीय चुनाव आयोग में बातचीत चल रही थी. अब जब बोत्सवाना में ईवीएम आ गई हैं तब वहां का विपक्ष उसपर बेमतलब का बवाल खड़ा कर विरोध दर्ज कर रहा है.
बात जब ईवीएम के विरोध की चल रही है तो वो भी बताना बेहद जरूरी है जो एक अन्य अफ्रीकी देश नाईजीरिया में हुआ. नाईजीरिया में, चुनावों के दौरान मुख्य मुकाबला सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी और विपक्षी दल पीडीपी के बीच था और वहां भी पहली बार ईवीएम का इस्तेमाल किया गया था. नाईजीरिया में 31 पार्टियों के गठबंधन ने यह कहते हुए चुनाव का बहिष्कार कर दिया है कि ईवीएम मशीन सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को चुनाव जितवाने के लिए इस्तेमाल की जा रही है. हालांकि प्रमुख विपक्षी दल पीडीपी ऐसा मानने को तैयार नहीं है.
बहरहाल जो लोग ईवीएम का विरोध कर रहे हैं उन्हें ये बात समझनी चाहिए कि जहां एक तरह किसी भी चुनाव में इसके इस्तेमाल से समय की बचत होती हैं तो वहीं बैलेट के मुकाबले इस पर चुनाव ज्यादा विश्वसनीयता से होते हैं. ध्यान रहे आज जो लोग ईवीएम का विरोध कर बैलेट का समर्थन कर रहे हैं, ये वही लोग थे जिन्होंने कल बैलेट का भी विरोध कर चुनाव प्रक्रिया में व्यवधान डाला और समय नष्ट किया था.
ये भी पढ़ें -
BYPOLL RESULT UPDATE: कैराना में भाजपा की हार लगभग तय !
कैराना से पता चल गया कि कैसे ढूंढी जाती है खराब EVM
कैराना उपचुनाव : गर्मी से EVM हांफ रही थी, नेटवर्क न मिलने से रिजल्ट !
आपकी राय