RSS प्रमुख ने इमरान खान के दुष्प्रचार पर फुल स्टॉप लगाया
इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में RSS पर खूब आरोप मढ़े थे, लेकिन भागवत ने कुछ नहीं कहा. अब संघ के स्थापना दिवस पर उन्होंने इमरान खान को मुंहतोड़ जवाब दिया है. बल्कि ये कहना चाहिए कि भागवत ने इमरान खान की बोलती ही बंद कर दी है.
-
Total Shares
पिछले ही महीने इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) पर एक के बाद एक कई गंभीर आरोप लगाए थे. इमरान के गुस्से की आग तब भड़की जब मोदी सरकार ने कश्मीर से धारा 370 को हटा दिया. उसके बाद पहले तो इमरान खान ने पीएम मोदी और भाजपा को बुरा भला कहा और फिर आरएसएस को भी लपेट लिया. तब तो आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत चुप रहे, लेकिन 8 अक्टूबर को विजयादशमी के मौके पर नागपुर मुख्यालय में आयोजित आरएसएस के कार्यक्रम में भागवत ने इमरान खान को करारा जवाब दिया. आपको बता दें कि विजयादशमी के दिन ही 27 सितंबर 1925 को आरएसएस की स्थापना हुई थी. मोहन भागवत का जवाब सुनकर ये कहना सही रहेगा कि उन्होंने इमरान खान की बातों पर फुल स्टॉप लगा दिया. उन्होंने साफ कर दिया कि इमरान खान सिर्फ आरोप मढ़ रहे हैं, वो भी निराधार. प्रमाण के नाम पर उनके पास कुछ भी नहीं है.
मोहन भागवत का इमरान खान को दिया गया जवाब इसलिए भी मायने रखता है, क्योंकि वह अमूमन इस तरह की बातों का जवाब नहीं देते. बल्कि ये कहना चाहिए कि इस तरह की बातों पर वह गौर करना ही ठीक नहीं समझते हैं. हालांकि, इस बार जवाब दिया है, क्योंकि मामला कश्मीर और संयुक्त राष्ट्र तक से जुड़ा है. मोहन भागवत ने कहा- 'कुछ लोग अपने दुष्कर्मों में सफल नहीं होते हैं, तो वह संघ को रोकते हैं. ये मंत्र तो अब इमरान खान भी सीख गए हैं. और इसीलिए संघ के बारे में तरह-तरह की गलतफहमियां फैलाते हैं, झूठी और प्रमाणहीन बातें करते हैं. इमरान कहते हैं संघ की स्थापना गुरुजी ने की, गुरुजी और सावरकर एडोल्फ हिटलर को आदर्श मानते थे. कुछ भी बोलते हैं. कोई प्रमाण नहीं है. पूछो ऐसा क्यों तो कहते हैं हमने सोचा इसलिए, प्रमाण मांगो तो कहते हैं हमें प्रमाण की जरूरत नहीं, ये अहंकार भी है.'
क्या कहा था इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में?
संयुक्त राष्ट्र में इमरान खान ने कश्मीर मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था. लेकिन उसे लेकर वह मोदी सरकार पर आरोप दर आरोप मढ़ते-मढ़ते संघ तक पहुंच गए. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी संघ के मेंबर रह चुके हैं, उनके लिए संघ के गुंडों में 2002 में गुजरात दंगे कराए. दरअसल, इमरान खान का कहना था कि कश्मीर में ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि वहां मुस्लिम अधिक हैं. बार-बार मुस्लिम पर जोर देते हुए इमरान खान ये कहने की कोशिश करते दिखे कि मोदी सरकार मुस्लिम विरोधी है और वह हिंदुओं का साथ देते हैं. बस इसी के चलते संघ को भी उन्होंने लपेटे में लिया. वैसे वह युद्ध और खूनी संघर्ष की धमकियां भी देते रहे, लेकिन आखिरकर संयुक्त राष्ट्र ने भी उनकी बात तो गंभीरता से नहीं लिया था.
बस बातें बनाते हैं इमरान खान
वैसे अब तो इमरान खान का ये टैलेंट पूरी दुनिया देख चुकी है, लेकिन से मोहन भागवत ने आज अपने जवाब में भी कुछ यही इशारा दिया है कि इमरान खान सिर्फ बातें बनाते हैं. उन्होंने अपने जवाब में साफ कर दिया कि इमरान खान बिना किसी प्रमाण के बोलते हैं, झूठी बातें, दुष्प्रचार. वैसे ये तो हमेशा से ही पाकिस्तान की आदत रही है. वह आए दिन भारत के खिलाफ प्रोपेगेंडा करता ही रहता है. कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद भी उन्होंने ये कहा था कि कर्फ्यू लगाकर कश्मीर में खूनी खेल खेला जा रहा है, लेकिन जब बात प्रमाण की आई, तो उनके पास कुछ नहीं था. जगह-जगह भारी प्रदर्शन होने और लोगों की मौतों की बात इमरान खान ने कई बार की, लेकिन ये सब सिर्फ खोखले दावों से अधिक और कुछ नहीं थे. वो तो संयुक्त राष्ट्र तक जाकर बिना किसी प्रमाण के बस बातें बनाकर आ गए, लेकिन उनके पास सबूत किसी बात का नहीं था.
370 का खुलकर समर्थन किया
वैसे तो मोहन भागवत ने अपनी बातों में धारा 370 पर बहुत अधिक नहीं बोला, लेकिन मोदी सरकार की तारीफ करते हुए ये जरूर कहा कि धारा 370 को अप्रभावी बनाया गया. पीएम मोदी की सरकार को सख्त फैसले लेने वाली सरकार भी कहा. ये भी कहा कि सरकार ने अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखा है. लोगों ने एक विश्वास व्यक्ति किया, इसलिए लोगों की बातें ध्यान रखकर साहसी और कठोर निर्णय इस सरकार ने लिए. देश तो चाहता था कि 370 खत्म ना हो, लेकिन इस पर कठोर निर्णय लेने की जरूरत थी.
संघ के स्थापना दिवस पर मोहन भागवत ने इमरान खान को करारा जवाब दिया है.
चंद्रयान की भी बात की
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूने का साहस अभी तक कोई नहीं कर सका था. पूरी सफलता नहीं मिली, लेकिन जितनी मिली, उसके चलते पूरी दुनिया ने अभिनंदन किया. साथ ही देश के वैज्ञानिकों से लेकर जनता तक के अंदर ये विश्वास पैदा हुआ कि हम कर सकते हैं. इससे एक उत्साह, आत्मविश्वास और सतत प्रयत्न करने का वातावरण पैदा हुआ.
मॉब लिंचिंग को बताया साजिश
मोहन भागवत ने कहा कि बार-बार मॉब लिंचिंग से संघ का नाम जोड़ा जाता है. हिंदुओं का नाम जोड़ा जाता है. वह बोले कि एक स्वयं सेवक ऐसा नहीं करता है और अगर ऐसा हो रहा होता है तो उसे रोकने की कोशिश करता है. संघ तो समाज की एकता का पक्षधर है. उन्होंने कहा कि संघ और हिंदुओं का नाम लेकर मॉब लिंचिंग की साजिश रची जाती है. ऐसे लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए. ऐसे प्रावधान पहले से ही हैं और अगर वह कम पड़ रहे हैं तो नए कानून बनने चाहिए. उन्होंने तो ये भी कहा कि लिंचिंग शब्द भी भारत का नहीं है, इसे तो थोपा जा रहा है. ये सब सिर्फ भारत को दुनिया में बदनाम करने की कोशिश है. ये सब सिर्प लोगों के बीच फूट डालने और समाज को तोड़ने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि हम उदारते वाले हैं और यही आरएसएस के संस्कार हैं. जब विदेश से आक्रामण होते थे, तब अपनी ताकत दिखाते थे, तब वो सब सही था, लेकिन अब सब अपने हैं. किसी के भी उकसावे में आने की जरूरत नहीं है. अगर स्वयंसेवक भी सत्ता में है तो वह भी यही करेगा और उदारता दिखाएगा, हिंसा नहीं करेगा.
अर्थव्यवस्था को आसान भाषा में समझाया
यूं तो भारत में हर ओर मंदी-मंदी का शोर चल रहा है, लेकिन भागवत ने इसे बड़े ही आसान शब्दों में बताते हुए कहा कि इस पर बहुत अधिक चर्चा की जरूरत नहीं है. वह बोले एक अर्थशास्त्री ने बताया कि मंदी तब आती है, जब ग्रोथ रेट 0 से नीचे चली जाती है, लेकिन भारत की ग्रोथ रेट तो अभी 5 फीसदी है, तो फिर दिक्कत क्या है. उन्होंने कहा कि इस पर चिंता करना ठीक है, लेकिन चर्चा करना सही नहीं है. बहुत ज्यादा इस पर चर्चा करेंगे, तो बिजनेस करने वाले सुरक्षात्मक रवैये अपनाएंगे. चर्चा नहीं करने के बजाय उपाय करने चाहिए.
महिला सशक्तिकरण की भी बात की
वह ये भी बोले कि भारतीय नारी को अधिक ताकत देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नारी कर लेगी, बस उसे रोकिए मत, आजादी दीजिए. वैसे भी, वात्सल्य के बारे में जितना अधिक महिलाएं जानती हैं, उतना हम पुरुष नहीं जानते हैं.
हिंदू का मतलब समझिए, ये मुसलमानों का विरोध नहीं
मोहन भागवत ने हिंदू का भी मतलब समझाया. हिंदू की बात करने का ये बिल्कुल मतलब नहीं है कि मुसलमानों का विरोध किया जा रहा है. कोई छुटपुट आदमी कुछ बोल देता है तो लोग कहते हैं आरएसएस ने बोला है. भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ छुप-छुपकर कुछ नहीं बोलता, बल्कि खुलेआम बोलता है. वह बोले कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है और साथ ही हिंदू का मतलब भी समझाया. उन्होंने साफ कहा कि हिंदू सिर्फ एक पंथ नहीं है. उन्होंने कहा कि हिंदू वह है जो ये समझता है कि विश्व के अस्तित्व में एक ही सत्य है, जो विविध रूपों में हमें दिखता है, मनुष्यों के भी विविध प्रकार हैं, उस सत्य को देखने के विविध रास्ते होते हैं और विविध नजरें होती है, लेकिन सब सही हैं. हिंदू वह है जो आपस में मिल जुलकर रहता है. वह अपने मानव धर्म का पालन करता है.
ये भी पढ़ें-
दिल्ली विधानसभा चुनाव और केजरीवाल की अनोखी वोटबैंक पॉलिटिक्स!
सुन लो FATF वालों, पाकिस्तानी बैंकों के लिए terror finance आउट ऑफ कोर्स वाली बात है
राहुल गांधी 'ध्यान' कैसे कर सकते हैं, जब कांग्रेस ही अंतर्ध्यान हो रही हो!
आपकी राय