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Updated: 08 जनवरी, 2019 02:51 PM
नवेद शिकोह
नवेद शिकोह
  @naved.shikoh
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गंगा मैया ने बुलाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ये चुनावी जुमला चार साल पहले खूब हिट हुआ था. चंद वर्षों में गंगा का पानी बदला और साथ ही परिस्थितियां भी बदली-बदली सी लगने लगीं. साढ़े चार साल बाद अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि मोदी गंगा मैया का आंचल वाराणसी छोड़कर किसी दूसरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन की चर्चाओं के साथ अब इस बात पर अटकलें लगने लगीं हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्या अपनी वाराणसी लोकसभा सीट छोड़कर कहीं और से चुनाव लड़ेंगे? बनारस की लोकसभा सीट छोड़ेंगे या यूपी ही छोड़ किसी दूसरे राज्य की सीट से चुनाव लड़ेंगे?

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तमाम अटकलों में चर्चा ये भी है कि मोदी वाराणसी छोड़कर लखनऊ की लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह को नरेंद्र मोदी के लिए लखनऊ लोकसभा सीट छोड़कर कानपुर से चुनाव लड़ना पड़ सकता है. उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन के कारण भाजपा को इस सूबे की किसी भी सीट को जीतने के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा इस कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी प्रतिष्ठा को रिस्क से बचाने के लिए यूपी छोड़कर किसी दूसरे राज्य की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.

चर्चाएं हैं कि मोदी इस बार वाराणसी छोड़ ओडिशा की पुरी लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ेंगे. भाजपा के इस तरह के किसी फैसले की आशंका को लेकर ही विपक्ष भाजपा के नायक नरेंद्र मोदी की घबराहट का ढिंढोरा पीटने के मूड में है. यदि सचमुच मोदी मां गंगा के शहर वाराणसी की सीट छोड़ देते हैं तो विपक्ष इस फैसले को दलील बनाकर ये साबित करेगा कि ना सिर्फ भाजपा बल्कि नरेंद्र मोदी भी अपनी लोकप्रियता और जनाधार को खो चुके हैं.

केवल ऐसी संभावना के आधार पर ही समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने आज से इस तरह के ताने देना शुरू कर दिये हैं. राम गोपाल ने आज मीडिया से कहा कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन की सुगबुगाहट से ही भाजपा बुरी तरह बौखला गई है. भाजपा सरकार सीबीआई के तोते से गठबंधन को डराने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि यूपी में भाजपा का सफाया तय है.

राम गोपाल ने कहा कि भाजपा को ये अहसास हो गया है कि यूपी अब उसके बस मे नहीं रहा इसलिए पार्टी के सबसे लोकप्रिय नेता/प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी लोकसभा सीट छोड़कर कहीं और से चुनाव लड़ेंगे. परिस्थितियों और तमाम ऐसे बयानों के साथ तमाम हवा में तीर फेके जा रहे हैं. कोई कह रहा है कि मां गंगा की नगरी वाराणसी छोड़कर गोमती के आंचल लखनऊ को मोदी अपना सकते हैं.

लखनऊ लोकसभा सीट को स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीति विरासत माना जाता है. ये शहर भाजपा का गढ़ है और अयोध्या मुद्दा उभरने के बाद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को कुछ राजनीतिक विश्लेषक ध्रुवीकरण का केंद्र भी मानते हैं. धर्म नगरी वाराणसी और धर्म की राजनीति को हवा देने वाले लखनऊ में भी गठबंधन का मजबूत जाल बिछा तो मोदी का एक बड़ा विकल्प ओडिशाकी पुरी लोकसभा सीट होगी.

भाजपा के विधायक और वरिष्ठ नेता प्रदीप पुरोहित ने दावा किया था कि ओडिशा की पुरी लोकसभा से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. पुरी का विशेष धार्मिक महत्व है. पुरी मे ही भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में शामिल जगन्नाथ मंदिर है. अब सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि हो सकता है कि मोदी जी यूपी में गठबंधन से घबराकर वाराणसी छोड़ पुरी से लोकसभा चुनाव लड़ें. और इस बार कहें- मैं यहां आया नहीं हूं, भगवान जगन्नाथ ने मुझे बुलाया है.

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नवेद शिकोह नवेद शिकोह @naved.shikoh

लेखक पत्रकार हैं

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