मोदी के 'सवर्ण-आरक्षण' में छुपा है हर सवाल का जवाब
मोदी सरकार की कैबिनेट ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला लिया है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला लेकर सियासी सरगर्मियां तेज कर दी हैं.
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देश के सर्वणों के बीच लगातार अपनी साख खो रही मोदी सरकार ने 2019 के आम चुनाव से ठीक पहले एक बड़ा फैसला लिया. सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को आरक्षण देने का फैसला. कैबिनेट ने 10 प्रतिशत सवर्ण आरक्षण को मंजूरी दे दी है. मोदी सरकार का यह एक फैसला उसके सामने खड़ी कई राजनीतिक चुनौतियों का जवाब है. बीजेपी काफी लंबे समय से जातिगत आरक्षण के बजाए आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की वकालत करती रही है. क्योंकि, दलित और जनजातियों जैसे वंचित वर्ग को मिलने वाले आरक्षण के लाभ को देखते हुए देश के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग जातियां आरक्षण की मांग करती रही हैं. सरकार ने सवर्णों की ओर से उठने वाली इस मांग का जिस तरह हल निकाला है, वह अपने आप में क्रांतिकारी है. हिंदू सवर्णों के कई समूह बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रहे थे कि वह दलितों के प्रति 'अतिरिक्त' उदारता दिखा रही है. यह गुस्सा राम मंदिर मामले में कोई निर्णायक फैसला न हो पाने के कारण और बढ़ रहा था.
मोदी सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की बात कहकर सभी राजनीतिक पार्टियों के सामने मुश्किल सवाल खड़ा कर दिया है. यदि वे इस आरक्षण का विरोध करते हैं तो सवर्णों का वोट खो देंगे. और यदि विरोध नहीं करते हैं तो दलितों की ओर से मुंह की खानी पड़ सकती है.
आम चुनाव से ठीक पहले सवर्णों को आरक्षण देने को मोदी सरकार की एक बड़ी पहल माना जा रहा है
क्या है सवर्णों के आरक्षण का फैसला:
- केंद्रीय कैबिनेट ने सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया है. यह आरक्षण आर्थिक आधार पर मिलेगा.
- वे सवर्ण परिवार, जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम होगी. वे इस आरक्षण का लाभ उठा सकेंगे.
- सोमवार को केंद्रीय कैबिनेट ने इस आशय का फैसला लिया है, जिसे बिल के रूप में संसद में पेश किया जाएगा. शीतकालीन सत्र समाप्त होने की तय तिथि (8 जनवरी) के एक दिन पहले मोदी सरकार के इस फैसले के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
फैसले का असर:
- माना जा रहा है कि इस निर्णय के बाद उन सवर्णों को जरूर राहत मिलेगी जो सरकारी नौकरी में जाने की इच्छा रखते थे.
- ये 10 फीसदी अतिरिक्त आरक्षण संविधान में तय 50 फीसदी आरक्षण लिमिट के ऊपर दिया जाएगा. इस तय सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार संविधान संशोधन बिल लेकर आएगा. जरूरी हुआ तो इसके लिए शीतकालीन सत्र का समय आगे बढ़ाया जा सकता है.
राजनीतिक मायने:
- दलित उत्पीड़न कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच होने तक किसी की गिरफ्तारी न करने का फैसला दिया था. इस फैसले पर हुई राजनीति ने देश में बवाल मचाया. 2 अप्रैल 2018 को दलितों ने मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. इस हंगामे में अलग-अलग जगह 9 दलितों की मौत हुई. मोदी सरकार ने अपनी स्थिति साफ करते हुए इस फैसले के खिलाफ अध्यादेश जारी किया था, जिसमें SC/ST एक्ट के प्रावधानों में सख्ती लाने और दलित उत्पीड़न कानून के मूल तत्व से छेड़छाड़ न करने की बात कही गई. दलित विरोध के सामने मोदी सरकार के झुकने से सवर्ण नाराज हो गए. सरकार को खूब कोसा गया.
- बीजेपी को दलितों से एक और संघर्ष प्रमोशन में आरक्षण के मामले को लेकर झेलना पड़ा. मध्यप्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने जब सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण को समानता के कानून का हवाला देकर दरकिनार किया तो शिवराज सिंह चौहान की तत्कालीन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर आई. सरकार के इस कदम से नाराज राज्य के सवर्ण अफसर और कर्मचारियों ने विरोध का बिगुल फूंक दिया. विधानसभा चुनाव से पहले सपाक्स नाम का संगठन खड़ा किया, जिसने भाजपा को नाकों चने चबवाए. हद से आगे जाकर दलितों का पक्ष लेने वाली भाजपा सरकार से नाराज सवर्णों ने चुनाव में नोटा का भी खूब इस्तेमाल किया.
- पारंपरिक रूप से सवर्णों का वोट हासिल करने वाली भाजपा को महसूस होने लगा था कि 2019 चुनाव में अगड़ों का वोट उनसे छिंटक सकता है. दलितों की हितकर बनने की कोशिश में बीजेपी को नजर आया कि इससे न तो दलित ही खुश हैं, और सवर्ण भी नाराज हो रहे हैं. बीजेपी के नीति निर्धारकों को नजर आया कि दो नावों की सवारी उसके लिए खतरनाक हो सकती है.
- हिंदू वोट खासकर ब्राह्मण और क्षत्रीय वोटों को साधने के लिए राम मंदिर एक बड़ा मुद्दा हो सकता था, यदि मोदी सरकार उस पर कोई ठोस पहल कर पाती. लेकिन पूर्ण बहुमत वाली इस सरकार ने इस मामले को पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट पर छोड़े रखा. अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट की धीमी कार्यवाही से नाराज हिंदू सवर्ण भी बीजेपी को कोस रहे थे.
- मोदी सरकार ने सवर्णों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का ऐसा पासा फेंका है, जिसका विरोध करना हर पार्टी के लिए मुश्किल है. ये वैसा ही है, जैसे दलितों के लिए जातिगत आरक्षण का विरोध करना.
अगली चुनौती:
- दलितों और पिछड़ी जातियों को आरक्षण देने के साथ-साथ देश में अलग-अलग जातियां अपने लिए आरक्षण की मांग करती रही हैं. महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में मराठा आरक्षण को मंजूरी दी है. इसके अलावा पाटीदार, गुर्जर और जाट आरक्षण का मामला गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और यूपी के राज्यों में प्रमुखता से छाया रहा है. सवर्णों को आरक्षण देने का मोदी सरकार का फैसला आने के बाद इन जातियों से आरक्षण की मांग फिर जोर पकड़ सकती है.
- लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लिए गए इस फैसले को अन्य राजनीतिक पार्टियां आसानी से पचा नहीं पाएंगी. बीजेपी को सवर्ण आरक्षण का राजनीतिक फायदा न मिले, इसके लिए वे एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगी.
कई लोगों को सियासत नजर आई, तो कई क्रांति:
फैसला आने में अभी वक़्त है मगर जिस तरह की सियासी सरगर्मियां ट्विटर पर हैं उससे इतना तो साफ है कि 2019 चुनाव से ठीक पहले ये मोदी सरकार का एक बड़ा दाव है.
The move to give reservations to weaker upper castes is double edged sword for @narendramodi Govt. Will enable BJP to woo back disillusioned upper castes but will also feed into SC/OBC insecurities of reservation system being altered.Desperate times call for desperate measures!
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) January 7, 2019
The proposal to give 10% reservation to economically weaker upper castes is nothing more than a jumla. It is bristling with legal complications and there is no time for getting it passed thru both Houses of Parliament. Govt stands completely exposed.
— Yashwant Sinha (@YashwantSinha) January 7, 2019
Path breaking amendment by the PM Modi Govt
10% reservation Quota for economically backward Indians
This is a game changer reservation policy
Caste & religion is not a parameter
— Mahesh Vikram Hegde (@mvmeet) January 7, 2019
This 10% quota is for general cast people who earn less than 8 lakh PA (66k PM). So almost all of middle class too is included! #Reservation #SavarnoKoSamman
— Vikas Pandey (@MODIfiedVikas) January 7, 2019
Quota is meant for poor forward castes but it won't have any effect. When an BC leader bcms CM they try to systematically clean all general category caste from government machinery. Below is an example from bihar. 80% seats for reserved ones pic.twitter.com/7DOgE6oo9i
— privatization=way 2 end Reservation (@Rameshs63714182) January 7, 2019
In 2006, as students when we led the Anti-Caste based quota stir, reservation for economically backward sections of the society was a major demand. We were invited by the then President APJ Abdul Kalam to discuss the same. He also favoured the idea. Took 12 years to implement.
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) January 7, 2019
Modi Govt will move a constitutional amendment tomorrow to push for 10% extra reservation for economically deprived sections among general categories. This move is at the core of RSS worldview which says reservation should be along economic lines and not only along caste lines.
— Rahul Kanwal (@rahulkanwal) January 7, 2019
Unprecedented change in the reservation policy by PM @narendramodi. In a major boost to the poor, rising above divisive caste based politics, a 10% quota has been approved for the economically backward. Big win for the nation!! Sab ka saath, sab ka Vikas!!
— Priti Gandhi (@MrsGandhi) January 7, 2019
If the unconstitutional move to grant #Reservation to the upper caste is somehow passed (it won't be passed ) but if it is....Everyone must move the Constitutional Court . Unbelievable
— Tehseen Poonawalla (@tehseenp) January 7, 2019
Finally #Reservation pic.twitter.com/kUEftUFWrg
— Rohit Sharma (@imWrong45) January 7, 2019
Harish Rawat,Congress on 10% reservation approved by Cabinet for economically weaker upper castes: 'Bohot der kar di meherbaan aate aate', that also when elections are around the corner. No matter what they do, what 'jumlas' they give, nothing is going to save this Govt pic.twitter.com/PXBwWvNKTY
— ANI (@ANI) January 7, 2019
मोदी सरकार की इस पहल के बाद सवर्णों को आरक्षण मिलता है या नहीं इसका फैसला वक़्त करेगा मगर जिस तरह इस निर्णय को लेकर मोदी सरकार ने विपक्ष की मुश्किलें बढ़ा दी हैं साफ हो गया है कि 2019 का चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपनी पिछली गलतियों से सबक लेकर उसपर काम करना शुरू कर दिया है.
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