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समाज
| 3-मिनट में पढ़ें
देवेश त्रिपाठी
@devesh.r.tripathi
देश की इतनी 'गौरवशाली' यूनिवर्सिटी JNU में ब्राह्मणों के खिलाफ इतना जहर!
वामपंथी विचारधारा का गढ़ कहे जाने वाले जेएनयू (JNU) में सिर्फ सवर्णों से ही घृणा (Anti Brahmin Slogans) नहीं, स्त्रियों को पुरुषों से नफरत करना, मूल निवासियों के नाम पर लोगों के बीच भेदभाव करना, हिंदू धर्म को हिकारत की नजर से देखना, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के तरीके, संवैधानिक अधिकारों के नाम पर देश विरोधी बातों को तर्कसम्मत घोषित करना सिखाया जाता है.
सियासत
| 3-मिनट में पढ़ें
अजीत कुमार मिश्रा
@ajitmishra78
वीपी सिंह: भारत के सियासी इतिहास का एक तिरष्कृत व्यक्तित्व
मंडल कमीशन की वजह से वीपी सिंह (VP Singh) के लिए सवर्णों (Upper Caste) के अंदर उनके लिए सम्मान नहीं बचा. ये तो बात समझ में आती है. लेकिन, क्या उनका आज तक इतना भी सम्मान नहीं किया जाना चाहिए था कि उनके नाम से ओबीसी समुदाय (OBC) के नेताओं के द्वारा किसी विश्वविद्यालय की स्थापना ही की जाती, उनकी कोई मूर्ति ही लगवाई जाती.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
prakash kumar jain
@prakash.jain.5688
आखिरकार गरीब सवर्ण की येन केन प्रकारेण सुनी सुप्रीम कोर्ट ने...
सवाल उठता है सर्वोच्च न्यायालय क्यों कर एक कानूनी प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा कर देता है? क्या महामहिम की मर्यादा कमतर नहीं होती? और अब उस संशय की सुनवाई कहां होगी जो जनवरी 2019 से, जब कानून बना, घर कर गया था इस कानून के क्रियान्वयन में?
सियासत
| 2-मिनट में पढ़ें
कौशलेंद्र प्रताप सिंह
@2342512585887517
सत्ता के लिए पुरखों को गाली देना, गांधी को अपशब्द कहना कहां का न्याय है?
शासन के लिए पूर्वजों को अपशब्द कहना न्याय सांगत नहीं है. सत्ता में रहने के लिए उस जमाने के राजाओं से बद्दतर आज का वर्तमान है. सत्ता का अपना चरित्र होता है. सरकार चाहे किसी की हो उसका स्वरूप ऐसे ही होता है.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
नीतीश कुमार के दलित कार्ड के बाद सवर्ण कार्ड हैं IPS गुप्तेश्वर पांडेय
गुप्तेश्वर पांडेय (Gupteshwar Pandey) अगर बिहार चुनाव (Bihar Election 2020) के मैदान में उतरते हैं तो वो नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का सवर्ण चेहरा होंगे - ऐसा नहीं कि बिहार में सवर्ण नेताओं की कोई कमी है, लेकिन बाहुबलियों के बीच एक ऐसा चेहरा होगा जो पूरी जिंदगी कानून का रखवाला रहा हो!
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
नवेद शिकोह
@naved.shikoh
आर्टिकल 15 में है अखिलेश यादव के पतन और भाजपा के उभार की कहानी!
2014 में हुए बदायूं रेप रेस के बाद जैसे जांच चली और जिस तरह अखिलेश यादव की किरकिरी हुई उसका पूरा फायदा भाजपा ने उठाया जिसने अपनी तरफ से हरसंभव प्रयास किये ताकि सूबे के बिखरे हुए सवर्ण उसके पाले में आ सकें.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
मंजीत ठाकुर
@manjit.thakur
साथ पर न बात पर, मुहर लगेगी जात पर
लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह जानना बेहद दिलचस्प होगा कि किसी तरह कुछ खास जातियां प्रमुख राज्यों में सत्ता का पलड़ा किसी के पक्ष में झुका सकती हैं.
सियासत
| 5-मिनट में पढ़ें
सुजीत कुमार झा
@suj.jha
बीजेपी को अगडों पर भरोसा, जेडीयू ने पिछडों पर किया विश्वास...क्या होगी नैय्या पार?
बिहार में एनडीए के उम्मीवारों की सूची देखने से साफ लगता है कि इसमें जातिगत समीकरण का पूरा ख्याल रखा गया है. बीजेपी ने जहां अपने परम्परागत उंची जाति के उम्मीदवारों पर दाव लगाया है तो जेडीयू ने पिछड़ों और अति पिछड़ों पर भरोसा किया है.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
vinaya.singh.77
@vinaya.singh.77
आखिर आरक्षण नीति में बदलाव क्यों जरूरी है
एक परिवार जिसकी एक पीढ़ी को आरक्षण का लाभ एक बार मिला और वह गरीबी से बाहर निकल आयी, उसकी अगली पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिलता गया. जबकि होना यह चाहिए था कि जो परिवार एक बार इसका लाभ लेकर आगे बढ़ गया, उसे दोबारा इसका लाभ नहीं मिलना चाहिए था.