लोकप्रिय सचिन या अनुभवी गहलोत... राजस्थान CM का चयन बन सकता है राहुल के जी का जंजाल
लोकप्रियता के लिहाज से सचिन पायलट हैं, जबकि अनुभव के मद्देनजर वजनदार गहलोत हैं. अतः राजस्थान के लिए मुख्यमंत्री चुनना, कांग्रेस के लिए भाजपा से चुनाव लड़ने से भी ज्यादा मुश्किल है.
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राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए नतीजे आना शुरू हो गए हैं. शुरुआती रुझान मजेदार हैं. कांग्रेस बढ़त बनाती नजर आ रही है. राजस्थान में जहां एक ओर काग्रेस 100 सीटों पर आगे चल रही है वहीं बीजेपी 68, बीएसपी 6 और अन्य 18 सीटों पर आगे हैं. शुरूआती रुझानों में सचिन पायलट से लेकर अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे से लेकर गिरिजा व्यास तक सब आगे चल रहे हैं. मतगणना के ताजे रुझानों के बाद इस बात की सम्भावना प्रबल है कि राजस्थान में अगली सरकार कांग्रेस की होगी. इस सारी बातों के बीच सबसे जटिल प्रश्न ये है कि, आखिर पार्टी आलाकमान की नजर में, वो चेहरा कौन है? जो इस महत्वपूर्ण राज्य का मुख्यमंत्री बनने का पूरा सामर्थ्य रखता है?
राहुल गांधी के सामने सबसे मुश्किल सवाल ये है कि वो राजस्थान का मुख्यमंत्री किसे बनाएं
राजस्थान में जहां एक तरफ कांग्रेस का कड़ा मुकाबला भाजपा से है. तो वहीं उसके लिए एक बड़ी चुनौती राज्य के मुख्यमंत्री पद का चयन भी है. जैसा कि ज्ञात है कि राज्य के मुख्यमंत्री के लिए सचिन पायलट और अशोक गहलोत वो दो नाम हैं जिन्होंने कांग्रेस पार्टी विशेषकर राहुल गांधी के होश उड़ा दिए हैं. बात अगर सचिन पायलट की हो तो यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि सचिन पार्टी का युवा चेहरा हैं जिनका शुमार राहुल गांधी के करीबियों में है.
सचिन के बारे में एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि सचिन पायलट राज्य के मुख्यमंत्री के लिए वो चेहरा हैं जिसे न सिर्फ उनके समर्थक पसंद कर रहे हैं बल्कि जिनकी तरफ राज्य के युवा विशेषकर 'फर्स्ट टाइम वोटर्स' आकर्षित हुए हैं. राज्य के युवाओं को उनमें कुछ कर गुजरने की ललक दिखती हैं जिसके चलते उन्हें महसूस हो रहा है कि वो राज्य का बेहतर ढंग से शासन कर सकते हैं.
सचिन पायलट के तेवर से साफ है कि वो राज्य के अगले मुख्यमंत्री के रूप में अपने आपको देखते हैं
सचिन के विपरीत कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद के अगले दावेदार अशोक गहलोत हैं. अशोक कांग्रेस का वो चेहरा हैं जो राजनीतिक दृष्टिकोण से सचिन के मुकाबले कहीं ज्यादा परिपक्व और अनुभवी हैं. चूंकि गहलोत पूर्व में राजस्थान के मुख्यमंत्री रह चुके हैं इसलिए उन्हें इस बात की पूरी समझ है कि राज्य की जनता अपने मुख्यमंत्री से क्या अपेक्षाएं रखती है और कैसे वो उन अपेक्षाओं पर खरा उतर सकता है.
राजस्थान चुनावों के मद्देनजर जैसी ऊहा पोह की स्थिति राज्य में मची है उसे देखकर कहीं से भी ये कहना गलत नहीं है कि चूंकि सचिन लोकप्रिय हैं और गहलोत अनुभवी कांग्रेस पार्टी के लिए राज्य के मुख्यमंत्री का चयन भाजपा से चुनाव लड़ने से भी ज्यादा मुश्किल है.
जैसे राजस्थान में हालात हैं माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री पद को लेकर पायलट और गहलोत के बीच शीत युद्ध की स्थिति बनी हुई है. दोनों ही नेता अपने-अपने स्तर पर पार्टी आलाकमान का ध्यान आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश करते नजर आ रहे हैं. चाहे मीडिया के सामने बयानबाजी हो, चाहे होर्डिंग में तस्वीरें या न्यूज़ डिबेट के पैनल में आना हो सचिन और गहलोत में से किसी को भी दूसरे के मुकाबले कम आंकना अपने आप में एक बड़ी भूल है.
राजस्थान में जैसा कद गहलोत का है उसे भी नकारा नहीं जा सकता
राजनीति का एक सीधा सिद्धांत है कि जो जितना ज्यादा दिखेगा. वो उतना ही ज्यादा चर्चा में रहेगा. दोनों ही नेता इस बात को बखूबी समझते हैं और लगातार इसी फ़िराक में है कि कैसे भी करके वो राज्य के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर अपनी पकड़ मजबूत कर लें. बात आगे बढ़ाने से पहले हमें चुनाव के बाद के कुछ बयानों और बाइट्स को सुनना चाहिए. इन बयानों और बाइट्स को सुनते हुए हमें इस बात का अंदाजा खुद-ब-खुद हो जाएगा कि दोनों ही नेता हर संभव कोशीश कर रहे हैं कि ये राहुल गांधी का ध्यान आकर्षित कर लें.
Sachin Pilot, Congress: We are moving towards a full majority and I am sure it will be clear once final numbers are in, but still we welcome all like-minded and anti-BJP parties to support us and we are in touch #RajasthanElections2018 pic.twitter.com/kVdl59tYX8
— ANI (@ANI) December 11, 2018
निश्चिंत रहिये सरकार कांग्रेस की बन रही है।#AssemblyElections2018Talked to media at residence.. pic.twitter.com/5UUgeLTQV4
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 11, 2018
Ashok Gehlot, Congress on #RajasthanElections results: Congress has won the mandate. No.s can go up & down but public's mandate is in the favour of Congress. We will get clear majority, still we would want independent candidates & parties other than BJP to support us if they want pic.twitter.com/BOuqebSkJk
— ANI (@ANI) December 11, 2018
एक तरफ भाजपा से जंग. दूसरे तरफ अपने ही दल में खेमेबाजी कहना गलत नहीं है कि राजस्थान में कांग्रेस एक ऐसे मझधार में फंसी है जहां उसे चौतरफा मुकाबला करना है. राजस्थान में कांग्रेस को जहां एक तरफ निर्दलियों पर अपनी पकड़ मजबूत करनी है. तो वहीं दूसरी तरफ उसे पायलट गहलोत के बीच संधि भी करानी है. कांग्रेस को इस बात को भली प्रकार समझना होगा कि राजस्थान में अगर आज वो छोटी से छोटी कोई भी गलती करती है तो इसका खामियाजा उसे 2019 के आम चुनावों में भुगतना होगा.
राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा इसपर कुछ कहना अभी जल्दबाजी है मगर इतना तो निश्चित है कि परिणाम के बाद जहां कुछ चेहरों पर मुस्कान होगी. तो वहीं कुछ चेहरे ऐसे भी होंगे जो मायूसी लिए होंगे और तब भाजपा अपना असली खेल शुरू करेगी. ध्यान रहे भाजपा को मायूस चेहरों को खुश करने में विशेष दक्षता हासिल है.
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