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Updated: 18 अप्रिल, 2019 08:32 PM
बिलाल एम जाफ़री
बिलाल एम जाफ़री
  @bilal.jafri.7
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जैसे ही इस खबर पर मोहर लगी कि, भोपाल से भाजपा ने मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को दिग्विजय सिंह के खिलाफ टिकट दिया है. भोपाल का रण दिलचस्प मोड़ पर आ गया है. साध्वी प्रज्ञा, दिग्विजय सिंह के विरुद्ध मैदान में हैं. माना जा रहा है कि, मुकाबला एकतरफा होने वाला है और दिग्विजय सिंह को मतों के भारी अंतर से हराकर प्रज्ञा ऐतिहासिक जीत दर्ज करेंगी. अब जबकि भोपाल से प्रज्ञा सिंह ठाकुर की दावेदारी सुनिश्चित है. तो आइये कुछ ऐसे सवालों के जवाब तलाशने का प्रयास किये जाएं जो इस घोषणा के बाद सभी की जुबान पर हैं.

साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा इलेक्शन 2019, दिग्विजय सिंह, भोपाल, भाजपासाध्वी प्रज्ञा के भोपाल आने से सबसे ज्यादा बेचैन दिग्विजय सिंह हैं

दिग्विजय सिंह के खिलाफ उम्‍मीदवारी की वजह 'हिंदू टेरर' का मुद्दा था

प्रज्ञा ठाकुर के रण में आने से पहले तक भोपाल में दिग्विजय सिंह को एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा था. प्रज्ञा ठाकुर के भाजपा ज्वाइन करने के फौरन बाद ये सुनिश्चित होना कि, पार्टी उन्हें पार्टी टिकट देगी और वो भोपाल से दिग्विजय सिंह के खिलाफ मैदान में आएंगी. ये बताने के लिए काफी है कि भाजपा और संघ परिवार उन आरोपों को नहीं भूला है जो बरसों पहले 'हिंदू टेरर' के नाम पर कांग्रेस ने भाजपा पर लगाए थे और उसे बदनाम किया था.

क्योंकि बात हिंदू आतंकवाद की थ्योरी पर चल रही है. ऐसे में हमारे लिए भी ये बताना भी बेहद जरूरी है कि कांग्रेस ने इस मुद्दे को हमेशा ही एक बड़े मुद्दे के तौर पर प्रोजेक्ट किया है और सुर्खियां बटोरीं हैं. बात अगर इस थ्योरी के मुख्य सूत्रधारों की हो मुख्य रूप से सुशील कुमार शिंदे और दिग्विजय सिंह वो लोग हैं जिन्होंने खूब नमक मिर्च लगाकर हिंदू आतंकवाद के मुद्दे को देश की जनता के सामने रखा.

दिलचस्प बात ये है कि हिंदू टेरर को लेकर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने वाले दिग्विजय सिंह आज भी अपनी कही बातों पर जस का तस कायम हैं. कह सकते हैं कि इस मुद्दे को किसी ब्रह्मास्त्र की तरह इस्तेमाल करने वाले दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे के चलते न सिर्फ काफी सुर्खियां बटोरीं बल्कि तरह-तरह की आलोचना का शिकार हुए.

माना जा रहा है कि, प्रज्ञा ठाकुर का टिकट वो बदला है जो आने वाले वक़्त में कांग्रेस को काफी तकलीफें दे सकता है. जैसा माहौल तैयार हुआ है ये भी साफ है कि भोपाल में साध्वी प्रज्ञा को लाकर भाजपा ने ध्रुवीकरण का महाल तैयार किया है जिसका उद्देश्य बिखर रहे हिंदू वोटों को एक करना तो है ही. साथ ही उन्हें ये भी बताना है कि प्रज्ञा के अलावा अगर वो कांग्रेस को वोट दे रहे हैं तो धर्म के मुकाबले अधर्म का साथ दे रहे हैं.

साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा इलेक्शन 2019, दिग्विजय सिंह, भोपाल, भाजपामालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा को दोषमुक्त नहीं किया गया है वो फ़िलहाल बेल पर हैं

क्‍या वाकई आतंकवाद के आरोप से दोषमुक्‍त हैं साध्‍वी?

साध्वी प्रज्ञा के टिकट ने एक नई बहस को आयाम दे दिए हैं. सवाल उठ रहा है कि क्या वो आतंकवाद के गंभीर आरोपों से दोषमुक्त हैं. जवाब है नहीं. बात अगर प्रज्ञा ठाकुर के ऊपर चल रहे मुकदमों पर हो तो इनपर मक्का मस्जिद धमाके, आरएसएस के प्रचारक सुनील जोशी की हत्या और 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में बम ब्लास्ट करने का आरोप था. मक्का मस्जिद मामले में सबूतों के अभाव में कोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था. वहीं 29 दिसंबर 2009 को हुई संघ प्रचारक सुनील जोशी की हत्या के मामले में भी फरवरी 2017 में देवास के तत्कालीन एडीजे राजीव कुमार आप्टे की कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सहित आठ अभियुक्तों को बरी कर दिया था.

मालेगांव ब्लास्ट मामले में शुरूआती जांच एटीएस ने की थी. जिसे बाद में एनआईए ने अपने पास ले लिया.13 मई 2016 को एनआईए ने एक नई चार्जशीट में रमेश शिवाजी उपाध्याय, समीर शरद कुलकर्णी, अजय राहिरकर, राकेश धावड़े, जगदीश महात्रे, कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी उर्फ स्वामी दयानंद पांडे सुधाकर चतुर्वेदी, रामचंद्र कालसांगरा और संदीप डांगे के खिलाफ पुख्ता सबूत होने का दावा किया.

इसके अलावा साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण कालसांगरा, श्याम भवरलाल साहू, प्रवीण टक्कलकी, लोकेश शर्मा, धानसिंह चौधरी के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं होने की बात कही गई. दिसंबर 2017 में मालेगांव ब्लास्ट मामले में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित पर से मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून) हटा लिया गया है. हालांकि यह केस अभी भी चल रहा है.

साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा इलेक्शन 2019, दिग्विजय सिंह, भोपाल, भाजपासवाल उठ रहे हैं कि जो व्यक्ति आतंकी वारदात में शामिल था उसे भाजपा ने कैसे टिकट दिया

बम ब्‍लास्‍ट जैसे गंभीर अपराध के आरोपी को टिकट देना कितना जायज?

उपरोक्त तमाम बातों के बाद जो सबसे बड़ा सवाल हमारे सामने आता है वो ये कि बम ब्‍लास्‍ट जैसे गंभीर अपराध के आरोपी को टिकट देना कितना जायज है? इस सवाल को समझने के लिए हमें भारतीय राजनीति से पहले हमारे परिवेश को समझना होगा. हमारा समाज आतंकवाद को एक घृणित कृत्य मानता है. साथ ही समाज में ऐसा करने वाले लोगों को भी सख्त नापसंद किया जाता है.

चूंकि साध्वी प्रज्ञा अभी मालेगांव मामले में निर्दोष नहीं साबित हुईं हैं और बेल पर बाहर हैं इसलिए इन्हें निर्दोष भी नहीं कहा जा सकता. अब जबकि वो राजनीति में आ गई हैं और हमारा प्रतिनिधित्व करने वाली हैं तो आलोचना का होना लाजमी है. मामले को लेकर आरोप - प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई है कहा जा रहा है कि एक आतंकी को टिकट देकर भाजपा ने एक नई तरह की राजनीति की शुरुआत की है जिसका अंजाम बेहद डरावना है.

कह सकते हैं कि यदि साध्वी प्रज्ञा अदालत द्वारा दोषमुक्त हो जाती और चुनाव लड़ती तब ठीक था. मगर एक ऐसे समय में जब उन मुकदमा चल रहा हो, और वो खुद बेल पर हों ऐसे में उन्हें टिकट मिलना कहीं न कहीं लोकतंत्र के मुंह पर तमाचा जड़ता नजर आ रहा है.

साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा इलेक्शन 2019, दिग्विजय सिंह, भोपाल, भाजपाप्रज्ञा टिकट दिए जाने का असर कश्मीर में भी दिख रहा है महबूबा मुफ़्ती ने ट्विटर पर साध्वी प्रज्ञा को आड़े हाथों लिया है

कश्‍मीर में सवाल तो उठेंगे ही

प्रज्ञा को टिकट देकर भले ही भाजपा ने एक बिल्कुल नई तरह की राजनीति की शुरुआत कर दी हो मगर जो हाल कश्मीर के हैं मालूम दे रहा है कि बम ब्लास्ट के एक आरोपी को टिकट देना भाजपा को भारी पड़ सकता है. बात बीते दिन की  है जैसे ही ये घोषणा हुई कि साध्वी प्रज्ञा ने भाजपा ज्वाइन की है और पार्टी ने उन्हें दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल का रण दिया है आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया. 

पीडीपी सुप्रीमो और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए लिखा कि,'मैं एक आतंक के आरोपी को मैदान में उतारती हूं तो आप उस क्रोध की कल्पना करिए. चैनल अब तक mehboobaterrorist का हैशटैग ट्रेंड कर चुके होते. इन लोगों के अनुसार जब बात भगवा आतंकवाद की आती है तो आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता उसके बाद मुसलमान आतंकी होते हैं. और ये तब तक दोषी रहते हैं जब तक निर्दोष नहीं साबित हो जाते'.

वहीं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अगर प्रज्ञा सिंह ठाकुर का स्वास्थ्य ठीक है तो उनकी जमानत रद्द होनी चाहिए. पत्रकारों से बात करते हुए उमर ने कहा है कि  'बीजेपी ने एक ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है जो न सिर्फ आतंकी हमले का आरोपी है बल्कि स्वास्थ्य कारणों से जमानत पर बाहर है। अगर उनकी स्वास्थ्य स्थिति जेल में रहने के लिए उचित नहीं है तो चुनाव लड़ने के लिए कैसे है?'

बात इतने पर ही रहती तो भी ठीक था मगर जिस हिसाब से बीते दिन किये गए महबूबा मुफ़्ती के ट्वीट का जवाब उमर ने दिया है उससे ये साफ हो गया है कि घाटी में ये मुद्दा अभी और लम्बा खिंचेगा. उमर ने तंज कसते हुए लिखा है कि जिन लोगों का आज महबूबा विरोध कर रही हैं एक जमाने में उनके साथ इन्होंने सरकार चलाई थी अब जबकि इन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है तो इन्हें अपनी गलती का एहसास हो रहा है.

कुल मिलाकर कह सकते हैं कि प्रज्ञा को टिकट दिए गए इस फैसले का असर निश्चित तौर पर घाटी में भी देखने को मिलेगा और बड़ी बात नहीं है कि हम आने वाले वक़्त में उमर या महबूबा को भी ऐसा करते हुए देखें.

साध्वी प्रज्ञा, लोकसभा इलेक्शन 2019, दिग्विजय सिंह, भोपाल, भाजपामाना जा रहा है कि साध्वी प्रज्ञा भोपाल में मतों के भारी अंतर से दिग्विजय सिंह को हराएंगी

फर्क साध्‍वी प्रज्ञा और कश्‍मीर के आतंकवाद में

साध्वी प्रज्ञा आरोपी हैं और जमानत पर बाहर हैं. अदालतों ने कई मामलों में उन्‍हें सबूत के अभाव में दोषमुक्‍त किया है. जेल से बाहर आने के बाद साध्‍वी प्रज्ञा ने बार-बार रो-रो कर यही कहा है कि उन्‍हें जानबूझकर फंसाया गया. और ऐसा हिंदुत्‍व को बदमान करने के लिए हुआ. जबकि कश्मीर की स्थिति बिल्कुल अलग है. साध्वी प्रज्ञा को हमने हाथ में बंदूक उठाए लोगों पर गोलियां बरसाते नहीं देखा है जबकि ये मंजर कश्मीर के मामले में बिल्कुल आम हैं. वहां आतंकियों को भीड़ के बीच बंदूक लहराते देखा गया है. भारत विरोधी बातें करते सुना गया है. और कश्‍मीर को नेताओं को आतंकियों के जनाजे में शामिल होते हुए भी देखा गया है.

बहरहाल, प्रज्ञा सिंह ठाकुर का राजनीतिक भविष्य क्या होगा इसका फैसला वक़्त करेगा मगर जिस हिसाब से और जिस वक़्त में इनकी राजनीति में एंट्री हुई है उसने ये साफ कर दिया है कि जैसे-जैसे दिन आगे बढेंगे हम ऐसा बहुत कुछ देखेंगे जिसकी कल्पना 2019 के इस चुनाव से पहले शायद ही हमने की हो.

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लेखक

बिलाल एम जाफ़री बिलाल एम जाफ़री @bilal.jafri.7

लेखक इंडिया टुडे डिजिटल में पत्रकार हैं.

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