चुनावी महाभारत की रणभूमि में मिले तीन भाई !
यादव परिवार में हमेशा से बड़ो की इज्जत की जाती है, पैर छुए जाते हैं, लेकिन फिलहाल रिश्तों पर राजनीति तो हावी हो ही गई दिखती है. ऐसे में औपचारिक शिष्टाचार कितनी देर और दूर तक निभता है देखना दिलचस्प होगा.
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करीब दो महीने पहले समाजवादी परिवार के तीन शीर्ष भाई हाइवे पर मिले थे. साझा उद्घाटन के बाद हाइवे पर तो ट्रैफिक फर्राटे भरने लगा पर भाइयों के सम्बन्धों पर फिर जाम लग गया. अब तीनों एक जगह मिले भी तो चुनाव आयोग की सातवीं मंज़िल पर. आयोग के इजलास में मुद्दई और मुदालह की तरह. पहले मुलायम सिंह यादव छोटे भाई शिवपाल के साथ पहुंचे. निर्वाचन सदन की सातवीं मंज़िल पर बने आयोग के सुनवाई कक्ष में. इजलास के कायदे के मुताबिक पहले दावा पेश करने की वजह से मुलायम बाईं ओर लगी कुर्सियों पर बैठे. अगली कतार में वकील और दूसरी कतार में नेताजी शिवपाल और अम्बिका यादव.
यादव परिवार में हमेशा बड़ों की इज्जत की जाती है, लेकिन इस राजनीतिक लड़ाई में ये परंपरा कहां तक निभाई जा सकेगी |
चंद मिनट बाद ही रामगोपाल यादव, उनके पुत्र अक्षय यादव, नरेश अग्रवाल और किरणमय नन्दा पहुंचे. सबने मुलायम सिंह यादव को नमस्ते किया. मुलायम सिंह यादव ने भी शालीनता से जवाब दिया. गर्मागर्म विवाद के बीच ये औपचारिक शिष्टाचार काफी ठंडा रहा. मुलायम और शिवपाल तो सुनवाई के दौरान कभी कभार खुसुर-फुसुर कर रहे थे. पर रामगोपाल के साथ रिश्ते में आई तल्खी की बर्फ नहीं पिघली.
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भोजन अवकाश के लिए इजलास बर्खास्त हुआ तो जैसे ही मुलायम खड़े हुए रामगोपाल यादव सहित सब खड़े हुए. बाद में जब इजलास दोबारा लगा तो रामगोपाल पहले ही आ गए थे. जैसे ही मुलायम कक्ष में दखिल हुए रामगोपाल फिर मुलायम सिंह के आगे हाथ जोड़ते हुए खड़े हो गए. हाथ जोड़े मुलायम भी सामने से निकले और अपनी जगह पर बैठे.
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यानि विवाद अपनी जगह, तल्खी भी अपनी जगह और शिष्टाचार की औपचारिकता भी अपनी जगह. वैसे भी यादव परिवार के लोग जहाँ कहीं भी मिलते हैं तो छोटे अपने से बड़ों के पर छूते हैं. आयोग में हो सकता है ऐसा करने में झिझक हुई हो. फ़िलहाल रिश्तों पर राजनीति तो हावी हो ही गई दिखती है. ऐसे में औपचारिक शिष्टाचार कितनी देर और दूर तक निभता है देखना दिलचस्प होगा.
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