Satta Bazaar में भले सटोरीए SP पर रिटर्न ज्यादा दें लेकिन जलवा तो वहां भी BJP का है!
यूपी चुनावों का आंकलन कर रहे पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स कुछ कहें कितने भी अनोखे तर्क क्यों न दें. लेकिन जो मंजर सट्टा बाजार (Satta Bazaar) का वहां माहौल खासा मजेदार है. सट्टा बाजार में भी बीजेपी की बहार है वहीं सपा भी न केवल लोगों की पसंद बनी है बल्कि जो लोग इसपर पैसा लगा रहे हैं उन्हें भाजपा के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा मिल रहा है.
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7 मार्च 2022 को सातवें चरण के समापन के साथ उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP elections 2022) भी ख़त्म हो चुके हैं. 10 मार्च को नतीजे आने हैं. लेकिन उससे पहले आए एग्जिट पोल्स (UP exit poll) ने एक बार फिर से यूपी में सियासी सरगर्मियां तेज कर दी हैं. एग्जिट पोल्स आने से पहले तक जो राजनीतिक विश्लेषकों के तर्क थे, उनका कहना यही था कि भले ही यूपी के चुनावी रण में सपा, बसपा, कांग्रेस, भाजपा और एआईएमआईएम जैसे दल हों. लेकिन मुख्य लड़ाई भाजपा बनाम सपा है. कहा ये भी गया कि 2022 के चुनाव सपा के पक्ष में होंगे और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बनेंगे। मगर क्या वाक़ई ऐसा है? जवाब है नहीं। चूंकि यूपी विधानसभा चुनाव को पहले ही काम्प्लेक्स कहा गया. ये बात हमें एग्जिट पोल्स में आए परिणामों में भी देखने को मिली। एग्जिट पोल्स में भाजपा बढ़त बनाती हुई साफ़ नजर आ रही है और जैसे समीकरण स्थापित हुए हैं योगी आदित्यनाथ पुनः हमें यूपी के मुख्यमंत्री के रूप में दिखाई दे रहे हैं। यूपी चुनावों का आंकलन कर रहे पॉलिटिकल एक्सपर्ट्स कुछ कहें कितने भी अनोखे तर्क क्यों न दें लेकिन जो मंजर सट्टा बाजार का वहां माहौल खासा मजेदार है. सट्टा बाजार में भी बीजेपी की बहार है वहीं सपा भी न केवल लोगों की पसंद बनी है बल्कि जो लोग इसपर पैसा लगा रहे हैं उन्हें भाजपा के मुकाबले कहीं ज्यादा पैसा मिल रहा है.
यूपी में सरकार सपा की होगी या भाजपा की इसपर सट्टा बाजार के तर्क खासे दिलचस्प हैं
2022 के यूपी विधानसभा चुनाव और किसकी बन रही है सरकार ? क्योंकि बात सट्टा बाजार के परिदृश्य में हुई है तो हम इतना जरूर कहेंगे कि भले ही चुनावों पर अपनी पैनी नजर रखने वालों की 'सीटों और विनर' को लेकर अपनी राय हो लेकिन एक कारोबार के रूप में सट्टे से जुड़े सटोरियों की बातों को बिल्कुल भी खारिज नहीं किया जा सकता.
बात बहुत सीधी और साफ है भले ही अलग अलग कंपनियां साम, दाम, दंड, भेद की नीति को अपना कर सारे गुणा गणित को लगातार, पैसा खर्च कर एग्जिट पोल्स को अपने पक्ष में कर लें लेकिन इतिहास गवाह रहा है एक सटोरी के आंकलन हमेशा ही इनपर इसलिए भारी पड़े हैं क्योंकि वो कहीं ज्यादा तार्किक कहीं ज्यादा जमीन से जुड़े हुए होते हैं.
Latest betting marketPunjabAAP 59-61Congress 29-31Akali 18-20Congress below 30 for the first time.UPBJP 231-234SP 125-128BSP 10-12
— Parag Bhandari (@Paragbhandari1) February 18, 2022
अब बात क्योंकि सट्टा बाजार की हुई है तो वहां यूपी चुनावों के मद्देनजर लाखों - करोड़ों का खेल चल रहा है. लोग भी सट्टा बाजार में दिल खोलकर पैसा लगा रहे हैं. चूंकि हम सबसे पहले सटोरियों को इस बात का अंदाजा था कि भाजपा सत्ता में धमाकेदार वापसी करेगी इसलिये वो तमाम लोग जो भाजपा पर दांव लगा रहे हैं वहां उन्हें 1 रूपये पर 1.30 रूपये मिलेंगे.
इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि यदि किसी ने भाजपा पर हजार रूपये लगाए और काउंटिंग के बाद भाजपा ने इतिहास रच दिया तो उसे हजार रूपये के बदले 1300 रूपये मिलेंगे. दिलचस्प ये कि सटोरी जहां यूपी में भाजपा को 226 से 229 दिलवा रहे हैं तो दूसरी तरफ सट्टा बाजार के अनुसार यूपी में सपा के हाथ में 133 से 136 सीटें आ रही हैं.
भाजपा के बाद सट्टा बाजार के तहत जिक्र अगर सामाजवादी पार्टी का हो तो अगर किसी में सपा और अखिलेश यादव के मद्देनजर रिस्क लेने की हिम्मत हो तो उसका फायदा ही फायदा है. सपा पर 32 पैसे लगाने पर सट्टा बाजार अपने ग्राहक को 1 रूपये देगा. गौरतलब है कि क्रिकेट की ही तर्ज पर यूपी में सट्टे की भी बिसात बिछाई गई है और गुणा गणित हैरान करके रख देने वाली है.
भाजपा और सपा के अलावा बसपा और कांग्रेस को लेकर भी सटोरियों ने दिलचस्प तथ्य दिए हैं. सटोरी जहां बसपा को 9 से 10 सीट दिलवा रहे हैं तो वहीं कांग्रेस पर सट्टा बाजार की राय 0 से 3 सीट के बीच है.
Satta bazar in Lucknow betting on 50/50 between BJP/SP https://t.co/gxoVcgoPEq
— suhasini raj (@suhasiniraj) February 22, 2017
बहरहाल क्योंकि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के परिणामों को अब बस कुछ ही घंटे बचे हैं सट्टा बाजार में तेजी दर्ज की गई है. लोग भाजपा और सपा पर दिल खोल के पैसा लगा रहे हैं और सबका एकमात्र उद्देश पैसे बनाना है. अंत में हम फिर इस बात को दोहरा रहे हैं कि किसी भी एग्जिट पोल के मुकाबले सट्टा बाजार की बातें ज्यादा महत्वपूर्ण हैं. उन्हें जमीनी सच्चाई और भाजपा/ सपा दोनों के आने वाले वक्त का अंदाजा है.
कुल मिलाकर कहा यही जा सकता है कि चाहे वो यूपी की जनता हो या फिर सट्टा बाजार में बैठे सटोरी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव दोनों के ही लिहाज से खासा महत्वपूर्ण है. अंगुलियां अभी से सबकी बंधी हैं नजर सबकी वोटों की गिनती पर रहेगी.
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