Shaheen Bagh वाली विधानसभा सीट से कौन जीतेगा?
दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election) के मद्देनजर ओखला विधानसभा सीट (Okhla Constituency) पर सभी की नजर है, जहां का शाहीन बाग प्रोटेस्ट इस चुनाव का प्रमुख मुद्दा बना हुआ है. इस सीट पर मुस्लिम आबादी निर्णायक स्थिति में है, और मुकाबला भी मुस्लिम उम्मीदवारों के ही बची है.
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दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly Election) चुनाव संपन्न होने में कुछ वक़्त बचा है तो राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हैं. चुनाव में बिजली, पानी, सीसीटीवी, स्कूल, स्वास्थ्य सब एक तरफ हैं. दूसरी तरफ शाहीनबाग़ (Shaheen bagh) और शाहीनबाग में नागरिकता संधोधन कानून (Citizenship Amendment Act) और एनआरसी (NRC) के खिलाफ प्रदर्शन करती महिलाएं (Anti- CAA protestors) हैं. दिल्ली चुनाव में शाहीनबाग को एक बड़े मुद्दे की तरह देखा जा रहा है. क्या कांग्रेस (Congress) और आप (AAP) क्या भाजपा (BJP). तीनों ही प्रमुख दल इसे अपने अपने तरीके से भुनाने की भरसक कोशिश करते नजर आ रहे हैं. कांग्रेस और आप प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से अपने को नागरिकता संधोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ बताकर मुस्लिम वोटर्स (Muslim Voters) के फेवरेट बने हैं. तो वहीं एंटी सीएए प्रोटेस्टर्स पर अंगुली उठाकर भाजपा ने बता दिया है कि इस चुनाव की धुरी बना ये मुद्दा उसे दिल्ली के दूसरे हिस्सों में फायदा पहुंचाएगा. सीएए और एनआरसी को लेकर कैसे नैरेटिव बनाया जा रहा है इसे हम उस वीडियो से भी समझ सकते हैं जो ओखला विधानसभा क्षेत्र (Okhla Constituency) से कांग्रेस प्रत्याशी परवेज हाश्मी (Parvez Hashmi) ने अपने फेसबुक पेज पर डाला है. ध्यान रहे कि शाहीनबाग जिस विधानसभा क्षेत्र में आता है वो ओखला विधानसभा क्षेत्र ही है. साथ ही कांग्रेस प्रत्याशी परवेज हाश्मी के इस वीडियो ने बता दिया है कि पूरी दिल्ली का चुनाव एक तरफ है. इस विधानसभा क्षेत्र का चुनाव दूसरी तरफ, जो कई मायनों में दिलचस्प भी होने वाला है.
शाहीनबाग और जामिया के कारण ओखला विधानसभा क्षेत्र पर आम आदमी पार्टी का दबदबा नजर आ रहा है
कांग्रेस प्रत्याशी परवेज हाश्मी ने जो वीडियो फेसबुक पर डाला है. उसमें जनता विशेषकर मुस्लिमों को लुभाने के लिए बॉलीवुड एक्टर से नेता बनी नगमा को दिखाया गया है. नगमा केजरीवाल को चुनौती दे रही हैं. साथ ही वो ये भी बता रही हैं कि सिर्फ कांग्रेस ही वो पार्टी है जो खुलकर सीएए और एन आर सी का विरोध करती है.
वीडियो में नगमा कह रही हैं कि, 'जामिया पूछे सवाल व्हेयर इज केजरीवाल. शाहीनबाग की ददियां भी पूछें एक सवाल व्हेयर इज केजरीवाल. अगर एन आरसी को चोट पहुंचाना है तो कांग्रेस सको वोट करो. सीएए को चोट पहुंचाना है तो कांग्रेस को वोट करो और आरएसएस को चोट पहुंचाना है तो कांग्रेस को वोट करो.
नगमा का ये वीडियो कांग्रेस और परवेज हाश्मी को कितना फायदा पहुंचाता है? इसका पता हमें जल्द ही चल जाएगा. मगर जो ग्राउंड पर हकीकत है वो इससे अलग है. शाहीन बाग के कारण सुर्ख़ियों में आई ओखला विधान सभा सीट के शुरूआती रुझानों में विनर की भूमिका में हमें आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान नजर आ रहे हैं. न तो कांग्रेस के परवेज हाश्मी. न ही भाजपा के ब्रह्म सिंह कोई भी अन्य प्रत्याशी हमें अमानतुल्लाह के आगे टिकता हुआ नहीं दिखाई दे रहा है.
पूरे ओखला विधानसभा क्षेत्र पर चर्चा होगी. लेकिन उससे पहले हमारे लिए ये भी जरूरी है कि हम तथ्यों पर नजर डालें और समझने का प्रयास करें कि आखिर कैसे ये विधानसभा सीट दिल्ली की अन्य 69 सीटों की तरह महत्वपूर्ण है और इसे नकारना अपने आप में एक बड़ी भूल है.
कैसी है ओखला सीट की डेमोग्राफी
40 प्रतिशत की मुस्लिम आबादी लिए हुए इस विधानसभा सीट पर तीनों ही दलों भाजपा, कांग्रेस और आप की नजर है. दक्षिणी दिल्ली में पड़ने वाले इस विधानसभा क्षेत्र में वोटरों की कुल संख्या 2,73, 543 है जिसमें महिला वोटर्स 1,07,124 हैं जबकि पुरुष मतदाताओं की संख्या 1,66,394 हैं.
इस विधानसभा क्षेत्र में 25 थर्ड जेंडर भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सरकार बनाने में अपनी भूमिका निभाते हैं. ओखला विधानसभा क्षेत्र प्रमुख रूप से दो भागों में बंटा है जिसमें एक हिस्सा न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी और आस पास का है जबकि दूसरे हिस्से में जाकिर नगर, शाहीन बाग, बटला हाउस और अबुल फज़ल इन्क्लेव हैं.
कौन कौन हैं प्रत्याशी और क्या हैं इनके मुद्दे
जैसा की हम ऊपर बता चुके हैं ओखला विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने अपनी कमान पूर्व विधायक और सांसद परवेज हाश्मी को दी है तो वहीं आम आदमी पार्टी को जिताने का पूरा दारोमदार अमानतुल्लाह खान के कंधों पर है. भाजपा की तरफ से ओखला विधानसभा क्षेत्र से ब्रह्म सिंह को टिकट दिया गया है. 2020 के इस विधानसभा चुनावों में परवेज हाश्मी जहां सीएए और एनआरसी के बल पर चुनाव लड़ रहे हैं तो वहीं भाजपा का राष्ट्रवाद का मुद्दा भी किसी से छुपा नहीं है.
इस चुनाव में सबसे मजेदार पक्ष आम आदमी के प्रत्याशी अमानतुल्लाह खान का है जिन्होंने चुनाव प्रचार से दूरी बनाई है या ये कहें कि जिस हिसाब से उन्हें प्रचार करना चाहिए वो उस हिसाब से प्रचार नहीं कर रहे हैं. कारण अपने आप में दिलचस्प है. अमानतुल्ला खान ने अभी हाल ही में घोषणा की कि वह नागरिकता संशोधन अधिनियम और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर फॉर सिटिजन्स (NRC) के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अपना चुनाव प्रचार नाम मात्र को करेंगे.
ओखला विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी सीएए-एनआरसी, बिजली, पानी, स्कूल, सीवर और सड़क के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है.
इलाके की पहली पसंद अमानतुल्लाह
अमानतुल्लाह खान आम आदमी पार्टी से हैं और ओखला विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक हैं जिन्होंने कुछ किया हो न किया हो मगर सीएए-एनआरसी के विरोध में इन्होंने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. चाहे जामिया में हुई हिंसा के आरोप हों. या फिर शाहीनबाग़ का धरना. भाजपा के कई बड़े नेता अपने अलग अलग मंचों से इस बात का ऐलान कर चुके हैं कि ओखला में जिस तरह कानून का मखौल उड़ाया जा रहा है वो सब अमानतुल्लाह खान के इशारों पर हो रहा है.
ध्यान रहे कि चाहे जामिया के छात्रों का प्रदर्शन हो या फिर शाहीनबाग की महिलाओं का विरोध ये सब ओखला विधानसभा क्षेत्र में चल रहा है जिसपर विपक्ष खासतौर से भाजपा आम आदमी पार्टी को आड़े हाथों लेने का प्रयास करती नजर आ रही है.
चूंकि ओखला एक मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र है साथ ही नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी जैसे मुद्दे पर अमानतुल्लाह खान खुलकर सामने आए हैं इसलिए भी तमाम ओखला वासी अपने विधायक के रूप में अमानतुल्लाह को देख रहे हैं. उन्हें उम्मीद है अगर भविष्य में कानून को लेकर कुछ होता है तो कोई आए न आए विधायक जरूर स्थानीय लोगों के काम आएंगे.
विवादों से है पुराना नाता
अमानतुल्लाह खान के बारे में ये कहना कहीं से भी गलत नहीं है कि जिस तरह का मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य है. उनकी छवि एक ऐसे दबंग नेता की है जो अपने इलाके का रॉबिन हुड है. इस कथन को समझने के लिए हम पूर्व में हुए चुनाव का आंकलन कर लेते हैं. 2020 का ये चुनाव खान के पॉलिटिकल करियर का तीसरा चुनाव हैं.
2015 में इन्होंने करीब 64,000 वोटों के अंतर से भाजपा के ही ब्रह्म सिंह को हराया था. 2015 में अमानत को 1,04,271 वोट मिले थे जबकि भाजपा के ब्रह्म सिंह 39,739 वोट पाने में कामयाब हुए थे. 2015 के चुनाव में कांग्रेस तीसरे पायदान पर थी तब पार्टी ने आसिफ मोहम्मद खान को टिकट दिया था जो आरजेडी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. खान 20,135 वोट जुटाने में कामयाब हुए थे.
जब स्थिति ऐसी हो तो विवाद स्वयं जुड़ जाते हैं. अमानतुल्लाह खान का मामला भी कुछ ऐसा ही है. खान का विवादों से पुराना नाता है. दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रह चुके खान का सबसे पहला विवाद पार्टी के ही कुमार विश्वास से हुआ था. ध्यान रहे कि दिल्ली में नगर निगम चुनाव हुए थे जिसमें पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था. इस हार पर खान ने प्रतिक्रिया दी थी और इसके लिए विश्वास को जिम्मेदार ठहराया था.
खान का आरोप था कि विश्वास पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे और भाजपा और संघ के लिए काम कर रहे हैं. तब मामला इतना ज्यादा बढ़ गया था कि खान ने पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति को छोड़ दिया था. बाद में पार्टीने उन्हें बहाल कर दिया था.
इसके बाद 2019 में खान उस वक़्त चर्चा में आए थे जब उन्होंने एक शादी समारोह में एक व्यक्ति को न सिर्फ धमकी दी बल्कि उसपर हमला भी किया. मामला गंभीर था इसलिए दिल्ली पुलिस ने भी खान पर आरोप पत्र दायर किया था. इसके अलावा 29 जनवरी को, दिल्ली एंटी करप्शन ब्यूरो ने खान को वक्फ बोर्ड के धन का दुरुपयोग करने और अनियमित भर्ती करने के लिए बुक भी किया था.
बात अभी हाल की हो तो खान एक बार फिर भाजपा के निशाने पर हैं. भाजपा जहां एक तरफ नागरिकता संशोधन कानून के विरोध वाले पुराने वीडियो जनता को दिखा रही है तो वहीं उनकी उस स्पीच को भी वायरल किया जा रहा है जिसमें उन्होंने कहा कुछ था और उसके अर्थ कुछ और निकाल दिए गए.
“अल्लाह ने तय कर दिया है की इन ज़ालिमों का ख़ात्मा होगा ..हम शरिया बनेंगे ..कहीं न कहीं से शुरुआत तो होती ही है ..”AAP का अमानतउल्लाह खानदोस्तों ये है AAP के विचारअब ज़रा आप भी सोचिए ..सब अल्लाह ही तय करेंगे या आप भी कुछ तय करेंगे?आप शरिया बनना चाहतें है या नहीं?? pic.twitter.com/v2nRfESBBF
— Sambit Patra (@sambitswaraj) February 5, 2020
भाजपा, खान के पीछे कैसे पड़ी है इसे हम भाजपा नेता संबित पात्रा के उस वीडियो से भी समझ सकते हैं जो उन्होंने अपने ट्विटर पर डाला है और जिसके जरिये उन्होंने अमानतुल्लाह खान के खिलाफ एक झूठा प्रोपोगेंडा रचा है.
कौन बनेगा Shaheen Bagh वाली विधानसभा सीट का सिकंदर
इस सारी वार्ता के बीच अब भी जो सबसे जरूरी सवाल हमारे सामने है वो ये है कि शाहीन बाग वाली इस विधानसभा सीट का सिकंद कौन बनेगा? तो बताते चलें कि एक ऐसे वक़्त में जब तीनों ही दलों द्वारा दिल्ली चुनावों में साम दाम दंड भेद एक किये जा रहे हों ओखला का भूगोल और हालात यही बता रहे हैं कि यहां झाड़ू चलेगा और पंजे और कमल को साफ़ कर देगा. यहां भले ही लोगों को काम धाम से मतलब न हो मगर उनके उन मुद्दों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है जिनका असर कहीं एयर देखने को मिलेगा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप बहुमत ला पाती है या नहीं. कांग्रेस को नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का विरोध कर रहे लोगों का समर्थन करने का फायदा मिलेगा या नहीं इन सभी सवालों के जवाब हमें जल्द ही पता चल जाएंगे. मगर जब हम इस चुनाव को भाजपा के चश्मे से देखें तो मिलता है कि जामिया और शाहीनबाग ओखला में पड़ने के कारण इसका फायदा भाजपा दिल्ली के अन्य हिस्सों में उठाएगी.
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