क्या शहजाद पूनावाला राहुल गांधी को नाकाबिल मानते है?
पूनावाला ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी को चुनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्हें निर्विरोध चुन लिया जाएगा.
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जिस समय ये बिलकुल तय है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनने से कोई नहीं रोक सकता है. ठीक उसी समय कांग्रेस की तीसरी चौथी पंक्ति के नेता शहजाद पूनावाला, ने अपने बयान से हड़कंप मचा दिया. उन्होंने कहा कि- 'पार्टी अध्यक्ष का चुनाव कराने के लिए चुनाव प्रक्रिया को राहुल गांधी के पक्ष में रखा गया है. क्योंकि वह गांधी परिवार से हैं.' उन्होंने कांग्रेस में अध्यक्ष की चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठाया और कहा कि- 'अगर निष्पक्ष चुनाव हुआ तो वे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे.' 29 नवंबर को ट्वीट कर उन्होंने कांग्रेस में वंशवाद और चापलूसी को भी निशाना बनाया था. साथ में ये भी कहा की अध्यक्ष पद के चुनाव में जो सदस्य वोट डालेंगे उनके नाम फिक्स हैं, इसमें धांधली की गई हैं.
राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने की राह में रोड़ा!
शहजाद के ट्वीट के बाद उनके भाई तहसीन पूनावाला ने कई ट्वीट किए. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि- 'मैं हैरान हूं कि ऐसे समय में जब कांग्रेस गुजरात में जीत रही है, शहजाद ये क्या कर रहे हैं. मैं आधिकारिक तौर पर शहजाद से सभी राजनैतिक रिश्ते तोड़ रहा हूं.' अपने ट्वीट में उन्होंने ये भी कहा कि- 'कांग्रेस को अध्यक्ष के तौर पर राहुल गांधी की जरूरत हैं.' मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर भी पूछा है कि- 'क्या कांग्रेस में अध्यक्ष पद, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सिर्फ गांधी नाम वालों के लिए ही रिजर्व है?' और इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के एक प्रवक्ता के उस बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया हैं की अगले 50 साल तक गांधी ही कांग्रेस के अध्यक्ष रहेंगे.
अगर कांग्रेस के पिछले अध्यक्ष के चुनाव को देखें तो 1997 में सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे. उनके खिलाफ राजेश पायलट और शरद पवार ने चुनाव लड़ा था. लेकिन वे बहुत ही भारी मार्जिन से हार गए थे. उस समय जितेन्द्र प्रसाद ने सीताराम केसरी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके करण ही जितेन्द्र प्रसाद को सीताराम केसरी ने उपाध्यक्ष पद पर बैठा दिया था. 1998 में सिर्फ रिजॉल्यूशन पास करके सोनिया गांधी को वर्किंग कमेटी ने अध्यक्ष बना दिया था. बाद में 2000 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुए थे और जितेन्द्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था. इसमें उनकी बुरी तरह पराजय हुई थी. सोनिया गांधी को जहां करीब 7500 के करीब वोट मिले थे, वहीं जितेन्द्र प्रसाद को 94 के करीब वोट मिले थे. उस समय भी कुछ सवाल उठे थे. जितेन्द्र प्रसाद के समर्थकों ने चुनावी प्रक्रिया को स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं ठहराया था.
केसरी जी को बेआबरु करके पार्टी से निकाला था
अब सवाल ये है कि शहजाद पूनावाला जो सवाल उठा रहे हैं वो केवल दिखावे, प्रोपेगंडा या और कुछ चीज़ के लिए है? सभी जानते हैं कि शहजाद पूनावाला एक छोटे लेवल के कांग्रेस नेता हैं, जो राहुल गांधी को किसी भी तरीके से मैच नहीं करते हैं. जहां राहुल गांधी की अपनी हैसियत, विश्वसनीयता है तो पार्टी के सारे दिग्गज राहुल के साथ हैं. ऐसे में कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव के समय इस तरह का आरोप उठाना गंभीर सवाल खड़े करता है. क्या इसका ये अर्थ मानें की शहजाद पूनावाला, राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के लिए नाकाबिल मानते हैं? क्या कांग्रेस की बागडोर को उठाने की क्षमता राहुल के अंदर नहीं है?
पूनावाला ने भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है. माना जा रहा है कि राहुल गांधी को चुनाव का सामना नहीं करना पड़ेगा. उन्हें निर्विरोध चुन लिया जाएगा. अगर कोई और इस पद पर दावेदारी करना चाहेगा तो उसके लिए जरूरी होगा कि प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 10 प्रतिनिधि उसका नाम प्रस्तावित करें. उनके आरोपों के बाद कांग्रेस ने बयान जारी कर कहा है कि शहजाद पूनावाला पिछली कमेटी में थे. इस बार जो कमेटी बनी उसमें वो नहीं हैं. यहां तक कि, वो इस बार कांग्रेस पार्टी के सदस्य तक नहीं बने. ऐसे में जो कांग्रेस का सदस्य तक नहीं है उसको मीडिया गंभीरता से न ले. अब सवाल यहां पर ये भी खड़ा होता है कि कहीं वो ये सब अपनी पब्लिसिटी के लिए तो नहीं कर रहे हैं? उनकी पार्टी में हैसियत सब को पता है. अगर वो चुनाव में खड़े भी हो जाते हैं तो उनका वही हश्र होगा जो 2000 में जितेन्द्र प्रसाद का हुआ था.
मीडिया में कुछ कयास ये भी:
- राहुल गांधी पिछले कुछ दिनों से अपने धर्म आदि को लेकर विवादों में हैं, ऐसे में शहजाद के आरोप कांग्रेस ने ही फिक्स किए हैं.
- राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने पर विपक्ष वंशवाद के आरोप लगाएगा. इसलिए शहजाद को जानबूझकर सामने लाया गया है ताकि यह साबित किया जा सके राहुल जनसमर्थन के आधार पर जीते हैं.
- गुजरात चुनाव में मोदी धुआंधार प्रचार कर रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर खड़ा किया गया कृत्रिम विवाद लोगों को ध्यान बंटाएगा.
- यह राहुल गांधी के पक्ष में सहानुभूति पैदा करने की कोशिश है. यह दिखाने की कि उन्हें आगे बढ़ने से विरोधी ही नहीं, उनकी पार्टी के लोग भी साजिश रच रहे हैं.
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