शरद पवार और मोदी की मुलाकात के बाद महाराष्ट्र सरकार बनी बीरबल की खिचड़ी
महाराष्ट्र में किसानों (Farmers crisis) के नाम पर होने वाली मुलाकातों का सिलसिला दिल्ली में दस्तक दे चुका है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) से मुलाकात में NCP नेता शरद पवार ने किसानों का मुद्दा उठाया है - और सरकार बनाने वाली खिचड़ी तो पक ही रही है.
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संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से तारीफ के बाद शरद पवार की अब मुलाकात भी हो चुकी है. खास बात ये है कि शरद पवार की ये मुलाकात सोनिया गांधी से मिलने के ठीक दो दिन बाद हुई है. शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात को लेकर जो मुद्दा बताया है, वो है - महाराष्ट्र के किसानों की समस्या. बताते हैं कि दोनों नेताओं की करीब आधे घंटे तक चली इस मुलाकात के बीच में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बुलाया गया था.
महाराष्ट्र में क्यों नहीं पक पा रही खिचड़ी?
NCP प्रमुख शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात को लेकर शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut of Shiv Sena) से पूछा गया तो सवालिया लहजे में बोले, 'प्रधानमंत्री से कोई मिलता है तो खिचड़ी ही पकती है क्या?
संजय राउत का ये जवाब भी सुनने में वैसा ही लगा जैसे शरद पवार ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर एनसीपी और शिवसेना की बातचीत पर रिएक्ट किया था - 'वास्तव में?'
ठीक है, मान लेते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी और शरद पवार की मुलाकात में कोई खिचड़ी नहीं पकी होगी, जैसा कि संजय राउत पहले ही कह चुके हैं - लेकिन सोनिया गांधी के साथ मुलाकात में भी कोई खिचड़ी नहीं पकी थी क्या?
और 'हैपी दिवाली' के बाद वाली संजय राउत और शरद पवार की मुलाकातों में भी कोई खिचड़ी नहीं पकी क्या? ऐसा तो बिलकुल नहीं लगता कि खिचड़ी पकाने की कोशिश ही नहीं हुई - फिर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (CMP) क्या है?
कितनी दिलचस्प बात है अब तक किसानों के नाम पर ज्यादातर मुलाकातें महाराष्ट्र में सरकार गठन के साये में होती रही हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से एक बात समझ में नहीं आ रही है - किसानों को लेकर अचानक महाराष्ट्र में हर नेता सक्रिय क्यों हो गया है? आखिर नेताओं की ये मुलाकातें किसानों के नाम पर ही क्यों हो रही हैं?
किसानों के नाम पर एक और मुलाकात, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले शरद पवार
कोशिश महाराष्ट्र में सरकार बनाने की लगातार हो रही है, फिर भी राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है - आखिर महाराष्ट्र में सरकार बनायी जा रही है या बीरबल की खिचड़ी पक रही है?
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर शरद पवार किंगमेकर बन पाते हैं या नहीं, लेकिन ये तो मानना ही पड़ेगा कि सरकार बने न बने चर्चा के केंद्र में शरद पवार तो बने ही हुए हैं. एक तरफ प्रधानमंत्री मोदी शरद पवार की पार्टी एनसीपी की तारीफ करते हैं और दूसरी तरफ संजय राउत कहते हैं कि शरद पवार को समझने के लिए 100 बार जन्म लेना पड़ेगा.
अब तक महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से ही तमाम दलों के नेता किसानों के नाम पर मिला करते रहे. अब तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शरद पवार भी किसानों के नाम पर मुलाकात कर चुके हैं. प्रधानमंत्री से मिलने के बाद शरद पवार ने ट्विटर पर मुलाकात को लेकर जानकारी साझा की है.
Met @PMOIndia Shri. Narendra Modi in Parliament today to discuss the issues of farmers in Maharashtra. This year the seasonal rainfall has created Havoc engulfing 325 talukas of Maharashtra causing heavy damage of crops over 54.22 lakh hectares of area. pic.twitter.com/90Nt7ZlWGs
— Sharad Pawar (@PawarSpeaks) November 20, 2019
अच्छी बात है. इससे अच्छा क्या होगा कि चुनाव बाद एक गठबंधन को बहुमत और दूसरे को मजबूत विपक्ष बनाकर विधानसभा भेजने के बाद भी सरकार नहीं बनी - लेकिन सारे नेता किसानों के लिए कुछ करें न करें, बातें और मुलाकातें तो हो ही रही हैं. यहां तक कि अहमद पटेल भी शिष्टाचार वश 'कृषि कार्य हेतु' नितिन गडकरी से मुलाकात कर ही चुके हैं.
लगता तो ऐसा है जैसे किसानों के नाम पर खिचड़ी पकाने की जी-जान से कोशिशें हो रही हैं - और बीरबल की खिचड़ी की तरह जब भी ढक्कन उठाकर देखा जाता है अधपकी ही लगती है.
सरकार बनाने की कवायद तो चालू लगती है
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मोदी से शरद पवार की मुलाकात के बाद उनकी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस नेताओं की एक मीटिंग होने जा रही है. मीटिंग में कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे, अहमद पटेल, केसी वेणुगोपाल, पृथ्वी राज चव्हाण, अशोक चव्हाण और PCC अध्यक्ष बालासाहेब थोराट के भी शामिल होने की संभावना है. NCP की ओर से प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार, छगन भुजबल, जयंत पाटिल और सुनील तटकरे जैसे नेताओं की शिरकत की संभावना है.
देखना है कि खिचड़ी का नया स्टेटस क्या दर्ज किया जाता है? खिचड़ी में छौंका लगाने की नौबत भी आती है या आग पहले ही बुझ जाती है - क्योंकि शिवसेना भी रह रह कर पैंतरे बदल रही है.
ये मैसेज भी संजय राउत के ही ट्विटर से आ रहा है. हाल फिलहाल संजय राउत 'उद्धव ठाकरे के मन की बात' सीधे सीधे नहीं बल्कि शेरो-शायरी के साथ सुना रहे हैं. फायदा ये है कि अगर कोई मैसेज गलत भी चला जाये तो यू-टर्न लेने की जगह उसका दूसरा अर्थ समझाया जा सकता है. ताजा ताजा संजय राउत ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ट्विटर पर शेयर की है.
आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा,अपनों के विघ्नों ने घेरा,अंतिम जय का वज्र बनाने, नव दधीचि हड्डियां गलाएं।आओ फिर से दिया जलाएं।अटल बिहारी वाजपेयी
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) November 20, 2019
शिवसेना की परेशानी समझी जा सकती है. महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कोशिश में शिवसेना बुरी तरह फंस चुकी है. शिवसेना खुद भी शरद पवार के दावपेंच को नहीं समझ पा रही है. शिवसेना नेतृत्व को पता भी नहीं चलता और शरद पवार आग लगाकर दूर से तमाशा देखते रहते हैं.
एक चर्चा ये भी है कि शिवसेना दाल गलते न देख अलग खिचड़ी पकाने की जगह गठबंधन वाले स्टेटस को ही फिर से जिंदा करने की कोशिश कर रही है - और इस बार विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दिये जाने का मुद्दा पुल बन रहा है. बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में सावरकर को भारत रत्न देने का वादा किया था - और जब कांग्रेस-एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनने लगा तो शिवसेना को पीछे हटना पड़ा - एक और भी मुद्दा रहा जिस पर कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में शिवसेना की एक न चली और कदम पीछे खींचने पड़े - मुस्लिम छात्रों को शिक्षा में आरक्षण देने का मामला.
ये भी मालूम हुआ है कि उद्धव ठाकरे एक बार फिर शिवसेना विधायकों के लिए अज्ञातवास की तैयारी कर रहे हैं. ये तैयारी भी थोड़ी गंभीर और अलग तरीके की लग रही है. 22 नवंबर को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने विधायकों की बैठक भी बुलाई है.
अज्ञातवास की तैयारियों को लेकर अभी इतना भी पता चला है कि विधायकों को पांच दिन के लिए कपड़े और जरूरी सामान के साथ साथ आधार और पैन कार्ड भी साथ में लाने को कहा गया है. फिर तो लगता है एक बार फिर कोई बड़ी ही गंभीर तैयारी चल रही है.
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