शरजील इमाम और अकबरुद्दीन ओवैसी भारतीय मुसलमान की आवाज़ नहीं हैं!
Sharjeel Imam जो Shaheenbagh के धरने का मास्टर माइंड है उसने जो बातें Assam और शेष North East को लेकर कहीं हैं उसपर खुद इस देश के मुसलमानों ओ गंभीर होना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि उसकी आवाज इस देश के आम मुसलमान की आवाज तो हरगिज़ नहीं है.
-
Total Shares
नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) ने देश को दो वर्गों में विभाजित कर दिया हैं. एक इसके समर्थक (CAA Supporters) हैं. जबकि दूसरा इसके विरोध (CAA Protesters) में है. दिल्ली का शाहीनबाग (Shaheenbagh Protest) कानून का विरोध करने वाले लोगों का ठिकाना है. और ये ठिकाना क्यों बना इसकी वजह शरजील इमाम (Sharjeel Imam) हैं. जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम को शाहीनबाग (JNU student Sharjeel Imam) के धरने का मास्टर माइंड बताया जा रहा है. बीते कई दिनों से ऐसे तमाम वीडियो (Sharjeel Imam Video) आ चुके हैं जिनमें देश के प्रति शरजील की नफ़रत साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. शरजील का AMU का एक वीडियो बहुत तेजी से वायरल हो रहा है. इस वीडियो में वो साफ़ तौर पर देश के टुकड़े करते दिखाई दे रहे हैं. AMU में दी गई स्पीच में शरजील ने कहा है कि, 'हमारा मुख्य उद्देश्य शेष भारत से असम और पूर्वोत्तर भारत को काटना है. शरजील के इस वीडियो को पुलिस ने भी गंभीरता से लिया है और उनके खिलाफ अलीगढ़ के सिविल लाइंस थाने में NSA के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया है.
जेएनयू स्टूडेंट शरजील इमाम की बातें ये बता रही हैं कि उसके अन्दर देश के प्रति नफ़रत किस हद तक भरी है
AMU में दी गई शरजील की ये स्पीच इंटरनेट पर खूब तेजी से शेयर की जा रही है. इस वीडियो में शरजील इमाम अपने मकसद के लिए 5 लाख मुसलमानों को संगठित होने की बात कह रहा है. अपने भाषण में शरजील इस बात को बता रहा है कि अगर 5 लाख मुसलमान संगठित हो जाते हैं तो हम असम को शेष भारत से अलग कर देंगे. शरजील ने मुसलमानों से कहा है कि, हमारी जिम्मेदारी असम को शेष भारत से अलग करना है. सरकार इसके बाद ही हमारी बातों पर ध्यान देगी. अगर हमें असम की मदद करनी है तो हमें ऐसा करना होगा.
भाषण में शरजील ने इस बात पर भी जोर दिया है कि मुसलमानों को भारत की वो चिकन नेक काट देनी चाहिए जो उसे उत्तर पूर्व से जोड़ती है. यदि ऐसा हो जाता है तो वहां सेना भी नहीं पहुंच पाएगी.
CAA-NRC protesters don't know about the CAA.. We are using their anger against govt. People are now in 4th gear... Listen ???????? pic.twitter.com/yngLFPZfKs
— Indian Military Updates (@MilitaryUpdate_) January 25, 2020
कैम्पस में कही इन बातों ने AMU के छात्रों की भी नीदें उड़ा दी हैं और पूरा छात्र संघ सकते में आ गया है. शरजील के इस वीडियो के बाद छात्रसंघ के पदाधिकारियों ने भी शरजील से कन्नी काट ली है और कहा है कि यदि सरकार को शरजील की बातें देश विरोधी लगती हैं तो वो उनके खिलाफ एक्शन ले सकती है.
शरजील के खतरनाक मंसूबों का खुलासा एक निजी चैनल ने किया था. चैनल ने ही अपने स्टिंग के जरिये बताया था कि इसने ही शाहीनबाग के धरने की पूरी रूप रेखा तैयार की थी. देश और उसकी अखंडता के प्रति शरजील की नीयत और उसका मुसलमानों को बरगला इसे हम उसके उस पोस्ट से भी समझ सकते हैं, जो इसमें अभी चंद घंटे पहले ही फेसबुक पर डाली है. अपने इस पोस्ट में शरजील ने लिखा है कि, 'शाहीन बाग का मॉडल चक्का जाम का है, बाक़ी सब सेकेंडरी हैं, चक्का जाम और धरने में फ़र्क समझिए, हर शहर में धरने कीजिए, उसमे लोगों को चक्का जाम के बारे में बताइए, और फिर तैयारी करके हाईवे्ज़ पर बैठ जाइए.
बता दें कि शाहीनबाग धरने से पहले ‘Muslim Students of JNU' नाम के पेज ने एक वीडियो डाला था जिसमें शरजील का भाषण था. इस भाषण में शरजील लोगों से दिल्ली की सड़कें ब्लाक करने को कह रहे थे. इस वीडियो को देखें तो मिलता है कि शरजील दिल्ली के मुसलमानों को ये कहकर भड़का रहे थे कि क्या मुसलमानों में इतनी भी हिम्मत नहीं है कि वो उत्तर भारत के शहरों को बंद कर दें. शरजील ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में 30% मुस्लिम आबादी का वाद है. आपको शर्म आनी चाहिए. 30% मुसलमान होने के बावजूद शहर क्यों चल रहे हैं आखिर क्यों इन्हें बंद नहीं किया जा रहा है.
सिर्फ इतना ही नहीं है. शरजील की फेसबुक प्रोफाइल ऐसे तमाम पोस्ट से भरी पड़ी है जिसमें वो कभी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सत्ताधारी दल भाजपा के खिलाफ बातें कर रहा है. तो कभी ये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और दंगाइयों पर लिए गए पुलिस के एक्शन को सवालों को घेरे में डाल रहा है. साफ़ है कि इसकी अपनी पॉलिटिक्स है जिसका उद्देश्य लोगों को बांटते हुए उन्हें अपने प्रभाव में लेना है.
जिक्र बयानों का हुआ है तो हमें अकबरुद्दीन ओवैसी के बयान को भी देखना चाहिए. हैदराबाद में एक जनसभा के दौरान अकबरुद्दीन ओवैसी ने CAA का विरोध करते हुए कहा था कि किसी को भी डरने और घबराने की जरूरत नहीं है, हमको इनकी बातों में आने की जरूरत नहीं है. जो लोग पूछ रहे हैं कि मुसलमान (Muslim) के पास क्या है, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि तू मेरे कागज देखना चाहता है. मैंने 800 बरस तक इस मुल्क में हुक्मरानी और जांबाजी की है. ये मुल्क मेरा था, मेरा है और मेरा रहेगा.
मेरे अब्बा और दादा ने इस मुल्क को चारमीनार (Charminar) दिया, कुतुब मीनार (Qutub Minar) दिया, जामा मस्जिद दिया. हिंदुस्तान का पीएम जिस लाल किले पर झंडा फहराता है उसे भी हमारे पूर्वजों ने ही दिया है.सवाल है कि आखिर किस अधिकार से ओवैसी सारे मुसलमानों की ठेकेदारी कर रहे हैं. इनकी मंशा साफ़ है. इन्हें नफ़रत की राजनीति करनी है और फिर उससे लाभ लेने हैं.
हमें याद रखना होगा कि शरजील इमाम ने जो बातें कहीं हैं वो बेहद गंभीर बातें हैं. ये ऐसी बातें हैं जिनपर आज अगर मुस्लमान चुप रहा या फिर इनके विरोध में सामने नहीं आया तो कल उसके पास बचाने को कुछ बचेगा नहीं. बात एकदम सीधी और साफ़ है एक लोकतांत्रिक देश में लोगों को प्रदर्शन करने का भी अधिकार है और अपनी सरकार की नीतियों के खिलाफ जाने का भी अधिकार है. लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी का ये मतलब नहीं है कि आदमी कुछ ऐसा बोल जाए जिसका खामियाजा एक पूरी कौम और सबसे बड़ी बात देश की अखंडता और एकता को भुगतना पड़े.
अंत में बस इतना ही कि चाहे वो शरजील इमाम हो या फिर ओवैसी बंधु जो भी देश तोड़ने की बात कर रहा है या फिर कुछ ऐसा कह रहा है जिससे देश की संप्रभुता प्रभावित हो रही है वो मुसलमानों की आवाज नहीं हो सकता और मुसलमानों को भी इनसे जितना हो सके उतनी दूरी बनाकर चलना चाहिए.
ये भी पढ़ें -
JNU-जामिया पर कांग्रेसी रुख 'मुद्दे' के लिए लोकप्रिय, सियासत के लिए नुकसानदेह!
क्यों नसीरुद्दीन शाह को सीरियसली लेने की जरूरत नहीं है
Pakistan की Chinese फैक्टरियों में मुसलमानों के नमाज पढ़ने पर पाबंदी!
आपकी राय