शिवसेना का पहला इस्तीफा लेकिन मैसेज बहुत बड़ा दे गया!
बाल ठाकरे (Bal Thackeray) का सपना था कि महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) का मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) बने, जो अब पूरा होने जा रहा है. यूं तो हर शिवसैनिक को इस बात की खुशी होगी, लेकिन शिवसेना सदस्य रमेश सोलंकी (Ramesh Solanki) इस बात से खुश नहीं हैं.
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महाराष्ट्र (Maharashtra Government Formation) की राजनीति में महीने भर से भी अधिक से उथल-पुथल हो रही है. इसी बीच शनिवार को जब अजित पवार (Ajit Pawar) के समर्थन पर भाजपा (BJP) ने सरकार बना ली, तो नवंबर महीने की ठंड में सियासी गर्मी और बढ़ गई. खैर, मंगलवार तक ये साफ हो गया कि फडणवीस (Devendra Fadnavis) चंद दिनों के मुख्यमंत्री थे, जिनके पास बहुमत नहीं है और महाराष्ट्र में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) मुख्यमंत्री बनेंगे. बाल ठाकरे (Bal Thackeray) का सपना था कि महाराष्ट्र में शिवसेना (Shiv Sena) का मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) बने, जो अब पूरा होने जा रहा है. यूं तो हर शिवसैनिक को इस बात की खुशी होगी कि उनका मुख्यमंत्री बन रहा है और बाल ठाकरे का सपना पूरा हो रहा है, लेकिन शिवसेना सदस्य रमेश सोलंकी (Ramesh Solanki) इस बात से खुश नहीं हैं. बाल ठाकरे का सपना भले ही पूरा हुआ है, लेकिन इसके लिए हिंदुवादी विचारधारा के विरोधियों (Congress-NCP) से हाथ मिलाना पड़ा है. बस यही बात अखर गई है रमेश सोलंकी को और उन्होंने पार्टी से इस्तीफा (Ramesh Solanki Resignation) दे दिया है.
करीब 21 सालों तक शिवसेना में रहने के बाद अब रमेश सोलंकी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
पहला छोटा विकेट है, लेकिन मैसेज बड़ा दिया
रमेश सोलंकी ने शिवसेना को सरकार बनाने की बधाई देते हुए पार्टी छोड़ने की बात ट्विटर (Twitter) पर कही है. एक के बाद एक 9 ट्वीट कर के उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दिया है. इस्तीफे की वजह भी उन्होंने अपने ट्वीट में साफ कर दी है. यूं तो सारे ट्वीट अंग्रेजी में हैं, लेकिन उन्होंने हिंदी में 2 ऐसी लाइनें लिखी हैं, जिनमें एक बड़ा संदेश छुपा है. उन्होंने लिखा है- 'जो मेरे श्री राम का नहीं है (Congress), वो मेरे किसी काम का नहीं है'. सीधा निशाना कांग्रेस पर है, जो उन्होंने लिख भी दिया है कि वह हिंदुवादी विचारधारा के नहीं हैं, लेकिन शिवसेना ने सत्ता हासिल करने के लिए उनसे हाथ मिलाया है. इसके अलावा उन्होंने एक और हिंदी लाइन लिखी है कि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे भागते हैं. हालांकि, उन्होंने ये साफ किया है कि यूं तो सोलंकी शिवसेना को कोई बहुत बड़े चेहरे नहीं हैं, लेकिन समय-समय पर वह हिंदुत्व के खिलाफ होने वाली बातों पर आवाज उठाते रहते हैं. वह फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय रहते हैं और जो लोग हिंदुत्व के खिलाफ बातें करते हैं, उन्हें जवाब देते हैं. उन्होंने नेटफ्लिक्स (NETFLIX) पर भी सेक्रेड गेम्स (Sacred Games) के जरिए हिंदुओं और भारत को बदनाम करने का आरोप लगाया था.
12 साल की उम्र में ही तय कर लिया था बाला साहेब ठाकरे से काम करने के बारे में.
ट्विटर पर बयां की दिल की टीस
इधर अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफा देते ही उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ, उधर शिवसेना सदस्य ने ट्विटर पर ट्वीट्स की झड़ी लगा दी. एक के बाद एक उन्होंने 9 ट्वीट किए, जिसमें इस्तीफा दिया और इस्तीफे की वजह भी साफ की. वह बताते हैं कि 1992 में ही जब वह महज 12 साल के थे, उनके दिलो-दिमाग में बाला साहेब ठाकरे और शिवसेना के लिए काम करने की रूपरेखा बन गई थी. 1998 में वह आधिकारिक रूप से शिवसेना में शामिल भी हो गए. तब से लेकर आज तक 21 सालों में उन्होंने कभी किसी पद या टिकट की भी मांग नहीं की. निस्वार्थ भाव से शिवसेना की सेवा करते रहे. लेकिन अब शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया है. रमेश सोलंकी ने अपने ट्वीट में शिवसेना को सरकार बनाने के लिए बधाई दी और कांग्रेस से हाथ मिलाने को विचाधारा के खिलाफ बताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया. हां ये जरूर कह दिया कि वह दिल से हमेशा बालठाकरे के एक शिवसैनिक ही रहेंगे.
21 साल तक शिवसेना में रहे, लेकिन कभी पद या टिकट नहीं मांगा.
इस्तीफे की वजह कुछ और तो नहीं?
अगर रमेश सोलंकी के ट्वीट्स की मानें तो उनके इस्तीफे की वजह यही लग रही है कि शिवसेना ने हिंदुत्व विरोधी पार्टी से हाथ मिलाया. लेकिन पिछले महीने भर में महाराष्ट्र की सत्ता में इस कदर उठा-पटक हुई है कि किसी पर भी आसानी से भरोसा नहीं किया जा सकता. सवाल ये उठ रहा है कि वाकई रमेश सोलंकी के इस्तीफे की वजह उद्धव ठाकरे का कांग्रेस से हाथ मिलाना है या फिर इसके पीछे कोई और चाल चली जा रही है? आखिर अजित पवार ने भी तो एनसीपी को धोखा दिया था, लेकिन चंद दिनों में पार्टी ने उन्हें वापस गले लगा लिया और भाजपा बेचारा सा मुंह बनाकर रह गई. आखिर में एक सवाल ऐसा है, जिसका जवाब नहीं मिल पा रहा है कि रमेश सोलंकी ने खुद इस्तीफा दिया है या किसी ने उनसे इस्तीफा दिलाकर कोई चाल चली है? वैसे भी, महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों कुछ भी संभव लग रहा है.
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