एहसान मानें किसान - योगी सरकार ने राहुल गांधी का वादा पूरा कर दिया
किसानों की कर्जमाफी पर राहुल गांधी ने यूपी की योगी सरकार की तारीफ की है - ये बात अलग है कि उनकी नजर में ये ऊंट के मुहं में जीरा जैसा है. वैसे भी सरकारी मदद कब जीरा से ज्यादा होती है?
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नवमी को नौ फैसले. इनमें एक किसानों की कर्जमाफी का भी रहा - जो कहा सो किया. गली मोहल्लों के बाद अब खेतों में भी योगी-योगी होने की वजह पैदा हो गयी है - लेकिन क्या उस शख्स का भी कोई नाम लेने की जहमत उठाएगा जिसने किसानों की कर्ज माफी की पहल के लिए क्रेडिट मिलना चाहिये. बाकी सब तो शून्य ही रहा, यही तो एक हासिल है यूपी चुनाव का.
मायावती और केजरीवाल के आरोपों को दरकिनार कर दें तो भी बीजेपी ने यूपी चुनाव जीतने के तमाम हथकंडे अपनाये. इनमें किसानों के लिए समाजवादी गठबंधन का वादा भी रहा जिसकी काट में उसने कर्ज माफी का वादा किया - और सरकार बनने के 16 दिन बाद उसने पूरा भी किया है. कितना? ये हमेशा की तरह बहस का विषय हो सकता है.
ऊंट का मुहं और...
'खून की दलाली...' जैसे विस्फोटक बयान देने से पहले राहुल गांधी ने देवरिया से शुरू हुई महीना भर की किसान यात्रा के बाद दिल्ली में जोरदार दस्तक दी थी. इस यात्रा की खास बातों से ज्यादा खाट सभा की खाट लूटने की खबरें हाइलाइट हो गयीं और किसानों के मांग पत्र का बार बार जिक्र सिर्फ राहुल गांधी ही करते रहे.
राहुल गांधी की किसान यात्रा का मुख्य स्लोगन भी था - 'कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ'.
थोड़ा मिला, बहुत चाहिये...
किसानों के मुद्दे पर देश भर में लंबी यात्राएं कर चुके राहुल गांधी यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान कर्जमाफी और किसानों के दूसरे मामलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे वक्त टारगेट किया - कई मौकों पर तो उन्होंने अपनी मुलाकात का भी जिक्र किया और एक्ट करके दिखाया कि उनकी बात सुनने के बाद मोदी का रिएक्शन कैसा रहा?
खैर, ये बातें बीत चुकी हैं - और अब राहुल गांधी ने यूपी की योगी सरकार की तारीफ की है - ये बात अलग है कि ये कर्जमाफी उनकी नजर में ऊंट के मुहं में जीरा है. वैसे भी सरकारी मदद कब जीरा से ज्यादा होती है? महत्वपूर्ण तो यही है कि ऊंट के मुहं में कुछ तो पड़ा.
Congress supports loan waiver for farmers bt this is only partial relief.Central Gov must respond to ease distress of farmers across country pic.twitter.com/2hU14cCjVc
— Office of RG (@OfficeOfRG) April 5, 2017
जब अखिलेश यादव से गठबंधन के बाद '27 साल, यूपी बेहाल' का नारा भले ही पीछे छूट गया लेकिन किसानों की कर्जमाफी पर राहुल गांधी का जोर बना रहा - और उसी का नतीजा रहा कि जब गठबंधन का ‘संयुक्त घोषणा पत्र’ आया तो उसमें शामिल था - 'किसानों को कर्ज से राहत, सस्ती बिजली और फसलों के उचित दाम.' ये गठबंधन का ही दबाव रहा होगा जिसकी वजह से बीजेपी को भी किसानों के लिए कर्जमाफी का वादा करना पड़ा. असल में, बीजेपी की मुश्किल रही कि अगर एक राज्य में ऐसा हुआ तो बाकी राज्यों में भी ऐसी मांग उठने लगेगी. हालांकि, केंद्र सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि इसका भार यूपी सरकार को स्वयं ही वहन करना होगा.
केंद्र में यूपीए - I सरकार के वक्त भी किसानों के 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया गया था - और माना गया कि 2009 में यूपी की 80 में से 21 सीटों पर जीत में मनरेगा के साथ साथ कर्जमाफी की भी अहम भूमिका रही.
वैसे यूपी में राहुल के गठबंधन पार्टनर अखिलेश यादव ने योगी सरकार की कर्जमाफी को किसानों के साथ धोखा बताया है.
वादा पूर्ण क़र्ज़ माफ़ी का था, किसी सीमा का नहीं. एक लाख की सीमा से करोड़ों किसान ठगा सा महसूस कर रहे है. ये गरीब किसानों के साथ धोखा है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 4, 2017
यूपी का असर
2012 में भी समाजवादी पार्टी की सरकार बनने के बाद अखिलेश यादव ने सहकारी ग्रामीण विकास बैंक से 50 हजार तक का कर्ज लेने वाले किसानों का कर्ज माफ किया था. तब प्रेस काफ्रेंस में अखिलेश यादव ने बताया था कि कर्जमाफी की घोषणा से 7 लाख 20 हजार किसानों को फायदा पहुंचेगा, लेकिन उन्हीं किसानों को जिन्होंने मूल धन का कम से कम दस फीसदी कर्ज वापस कर दिया हो.
जिस राह पर योगी चले...
यूपी में कर्ज माफी के फैसले का असर भी वैसा ही होने लगा है जैसा बीजेपी का डर था. महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने यूपी की तर्ज पर किसानों के लिए कर्जमाफी की फडणवीस सरकार ने मांग की है.
शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने पूछा है कि आखिर यूपी की सरकार अपने किसानों के कर्ज माफी की घोषणा कर सकती है, तो मुख्यमंत्री फडणवीस पीछे क्यों हैं? स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने कहा है अब महाराष्ट्र सरकार को भी किसानों के कर्ज माफी का फैसला करना चाहिए क्योंकि महाराष्ट्र की स्थिति यूपी से खराब है. एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने तो यहां तक कह दिया है कि किसानों के कर्ज माफ नहीं करने तक वो सरकार को जीना हराम कर देंगे.
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