सोनिया रिटायर सिर्फ राहुल के लिए हुई हैं, प्रियंका के लिए तो बिलकुल नहीं
सोनिया गांधी के रिटायर होने को लेकर कांग्रेस की सफाई के बाद भी कन्फ्यूजन खत्म नहीं हो पाया तो प्रियंका गांधी को बताने के लिए खुदा आगे आना पड़ा.
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राहुल गांधी की ताजपोशी के ऐन पहले सोनिया गांधी ने जब रिटायर होने की बात की तो कयासों के दौर भी शुरू हो गये. बात सिर्फ उतनी ही होती तो ज्यादा दिक्कत शायद न होती. अटकलों का दूसरा दौर उनके चुनाव लड़ने को लेकर भी शुरू हो गया - और फिर प्रियंका को खुद आगे बढ़ कर सफाई देनी पड़ी.
...और राहुल ने माथा चूम लिया
कांग्रेस नेता सोनिया के रिटायर होने का जो भी मतलब समझायें, लेकिन राहुल गांधी की ताजपोशी के वक्त जो नजारा दिखा वो किसी को भी भावुक करने वाला रहा. एक छोटे से कार्यक्रम का हर लम्हा भावनाओं से भरपूर रहा. ये देख कर तो ऐसा ही लगा जैसे रिटायर होने का वक्त होता ही ऐसा है - कोई छोटा कर्मचारी या कोई बड़ा अफसर या फिर कोई बड़ी ही शख्सियत क्यों न हो - रिटायर होने का लम्हा हर इंसान के लिए एक जैसी फीलिंग देता है - भावनाएं एक जैसी हो जाती हैं. कुछ पल के लिए ही सही छोटे-बड़े का भेद खत्म सा लगता है. हां, देसी और विदेशी मूल जैसी बातें भी. महसूस करना हो तो अपने किसी भी करीबी के रिटायर होने के क्षणों को एक बार याद करके देख लीजिए, मालूम हो जाएगा.
19 साल बाद...
खुद सोनिया गांधी भी अपने भाषण के दौरान कई बार भावुक हुईं. खासकर जब कहा, 'मैं आज आखिरी बार कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में बोल रही हूं'.
अपनी सास इंदिरा गांधी की हत्या के बाद के दौर को याद करते हुए सोनिया ने बताया कि उन्हें लगा जैसे अपनी मां को खो दिया हो. फिर राजीव गांधी की हत्या को लेकर कहा - 'मेरा सहारा छीन लिया गया.'
और इन सब के बीच सबसे भावुक क्षण तो तब देखा गया जब सोनिया भाषण खत्म करने के बाद अपनी सीट पर लौटीं. राहुल खड़े होकर उनका इंतजार कर रहे थे. सोनिया जैसे ही पास पहुंचीं, राहुल ने मां का माथा चूम लिया.
'मां तुम श्रद्धा हो!'
अपने भाषण में सोनिया ने कहा - 'मैं राहुल को अध्यक्ष बनने की शुभकामनाएं, बधाई और आशीर्वाद देती हूं. मैं एक मां के तौर पर राहुल की तारीफ नहीं करना चाहती. मुझे राहुल की सहनशीलता पर गर्व है जिससे वे निडर और साहसी बने हैं. राजनीति में आने पर राहुल ने ऐसे भयंकर व्यक्तिगत हमले का सामना किया जिसने उसे और निडर इंसान बनाया है.'
रिटायर होने के मायने
सोनिया के रिटायर होने की बात को लेकर कहीं ज्यादा कन्फ्यूजन न हो जाये इसलिए कांग्रेस को सफाई देने के लिए आगे आना पड़ा - रिटायर होने का मतलब राजनीति से संन्यास लेने जैसी कोई बात नहीं है.
चर्चा आगे बढ़ी और प्रियंका गांधी वाड्रा तक पहुंच गयी. देखते ही देखते प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने की चर्चा होने लगी और फिर उनके रायबरेली से चुनाव लड़ने की भी.
सिर्फ चुनाव प्रचार...
राहुल गांधी की ताजपोशी के दरम्यान जैसे ही मीडिया से प्रियंका टकरायीं, सवाल दाग दिया गया - क्या वो 2019 में रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी? प्रियंका मुस्कुराते हुए बोलीं, “मेरे चुनाव लड़ने का सवाल ही नहीं है, मेरी मां रायबरेली से चुनाव लड़ेंगी.”
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