इन डायलॉग्स से जीती बीजेपी और 'यूपी के लड़के' हुए फेल
15 साल बाद यूपी में बीजेपी की वापसी हुई. पूरे चुनाव में बीजेपी ने जो बयान दिए वो पास हुए तो वहीं 'यूपी के लड़के' फेल हुए.
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15 साल बाद फिर उत्तर प्रदेश में बीजेपी की वापसी हुई. जीत भी ऐसी कि यूपी में राज कर रही समाजवादी पार्टी को एकतरफा हराया. ये सिर्फ मोदी लहर ही है और ये कहना भी गलत नहीं होगा कि 2014 में मतदाताओं में मोदी का जो नशा था, वो अब तक नहीं उतरा है. मोदी का जादू अब यूपी में भी सिर चढ़कर बोला. जिस तरह से नतीजे आए हैं, कहना होगा हर जगह मोदी जी छाए हुए हैं.
मोदी लहर का जादू विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिला. पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद चुनाव प्रचार का जिम्मा संभाला और धुआंधार प्रचार किया. इसका नतीजा यह हुआ कि चुनाव के ऐन पहले जहां सपा-कांग्रेस गठबंधन को ओपिनियन पोल में बढ़त हासिल थी वहीं मोदी के चुनाव प्रचार शुरू करने के बाद माहौल बदलता गया.
अंतिम दौर में तो वाराणसी में पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद आक्रामक प्रचार कर पूरी तरह से माहौल बीजेपी के पक्ष में कर दिया. जिन फैसलों के लिए पीएम मोदी की आलोचना हो रही थी, उन आलोचनाओं को भी मोदी जी ने गलत साबित किया और भाषण के दौरान उन्होंने जो विरोधियों को कहा उनको जनता ने माना. आइए जानते हैं यूपी चुनाव में किसका तंज हिट हुआ और किसका फेल...
नोटबंदी पर मोदी सरकार का फैसला
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों में पीएम मोदी के साथ-साथ लोगों ने नोटबंदी के फैसले पर भी मुहर लगा दी. नतीजों ने बता दिया कि मोदी सरकार के नोटबंदी जैसे बोल्ड फैसले को जनता ने स्वीकार किया है. नोटबंदी पीएम मोदी का ऐतिहासिक फैसला था. विपक्ष ने इस फैसले को सरकार के खिलाफ जमकर इस्तेमाल किया. बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों तक ने इसे खतरनाक फैसला माना. लेकिन नोटबंदी के बाद स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी को भारी सफलता मिली और अब यूपी में भी बीजेपी को शानदार जीत मिली.
'काम नहीं कारनामा बोलता है'
सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के 'काम बोलता है' नारे के जवाब में बीजेपी ने 'काम नहीं कारनामा बोलता है' के माध्यम से सपा सरकार पर हमला बोला. इसके माध्यम से बीजेपी ने स्थानीय मुद्दों को ही उछाला. जो हिट हुआ...
'यूपी के लड़के'
‘यूपी को ये साथ पसंद है’ या ये ‘यूपी के लड़के’... अखिलेश-राहुल के लिए जमकर इन दो नारों का उपयोग हुआ. यही नहीं, नारों के बड़े-बड़े होर्डिंग्स यूपी के तमाम शहरों में लगाए गए. जिसमें राहुल-अखिलेश की हंसती हुई फोटो है. पार्टी की ये ट्रिक काम नहीं आई और ये नारा बुरी तरह फेल हुआ.
गधे वाले बयान पर मोदी का पलटवार
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चुनावी रैली को संबोधित करते हुए अमिताभ बच्चन से यह अपील की थी कि वह गुजरात के गधों का प्रचार ना करें. जिसका मोदी जी ने जवाब देते हुए कहा था कि 'अखिलेश जी मोदी पर हमला करें समझा जा सकता है लेकिन आपने गधे पर हमला कर दिया, यानी आपको गधों से भी डर लगने लगा क्या? पशु में भी ऊंच-नीच का भाव देखने लग गएय गधा आपको इतना बुरा लगने लगा. अगर दिल-दिमाग साफ हो तो किसी से भी प्ररेणा ले सकते हैं. गधा अपने मालिक का वफादार होता है।' अखिलेश ने इस बयान पर मोदी का पलटवार हिट साबित हुआ.
'कसाब' से मुक्ति वाला बयान
अमित शाह ने चुनावी रैली के दौरान कांग्रेस, सपा और बसपा के लिए संक्षिप्त में 'कसाब' शब्द गढ़ते कहा था कि यूपी में जब तक इनका खात्मा नहीं होगा, तब तक राज्य का भला नहीं होने वाला है. अमित शाह ने कहा, यूपी की जनता इस बार के चुनाव में इस 'कसाब' से मुक्ति पा ले. कसाब से मेरा मतलब 'क' से कांग्रेस, 'स' से सपा और 'ब' से बसपा है. इन तीनों पार्टियों से मुक्ति नहीं मिली तो उत्तर प्रदेश का भला नहीं होगा.' अमित शाह का कसाब वाला बयान यूपी चुनाव में हिट हुआ.
श्मशान कब्रिस्तान वाला बयान
विवादों में रहने वाले साक्षी महाराज ने कहा है कि चाहे कब्रिस्तान हो या श्मशान सभी का दाह संस्कार होना चाहिए. किसी को गाडने की आवश्यकता नहीं है. फिर पीएम मोदी ने कहा था कि, 'धर्म के आधार पर भेदभाव ना करने की मांग करते हुए कहा था कि अगर गांव में कब्रिस्तान को जमीन मिलती है तो श्मशान को भी मिलना चाहिए.' इस बयान के बाद विरोधी पार्टियों ने इस बयान का विरोध करने की कोशिश की लेकिन कुछ खास नहीं हो सका और ये बयान ने काफी सुर्खियां बटौंरी.
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