सिद्धू का सस्पेंस बढ़ा रहा है राजनैतिक दलों की बेचैनी
सिद्धू का सबसे पहले बाहें फैलाकर स्वागत करने वाले आम आदमी पार्टी के नेता कभी जोश में तो कभी परेशान भी नजर आने लगे हैं. लेकिन सूत्रों की मानें तो फार्मूला तैयार हो चुका है.
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नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा की राज्य सभा सीट को ठुकरा चुके हैं लेकिन बावजूद इसके उन्होंने भाजपा से विदाई नहीं ली है. तो वहीं उनकी पत्नी लाख गालियां देने के बावजूद लाल बत्ती का मोह अभी तक न तो त्याग पाई हैं और न ही त्यागने वाली हैं. सिद्धू का सबसे पहले बाहें फैलाकर स्वागत करने वाले आम आदमी पार्टी के नेता कभी जोश में तो कभी परेशान भी नजर आने लगे हैं. आप के मुख्यमंत्री पद के दावेदार मायूस हुए हैं, लेकिन सूत्रों की मानें तो फार्मूला तैयार हो चुका है.
तैयार हो चुका है आप का फार्मूला |
सिद्धू से प्रचार करवाया जाएगा और उसके बाद अगर सरकार बनती है तो वो मुख्यमंत्री बनेंगे, ऐसा उनको बताया जा रहा है. इसकी वजह ये है की मुख्यमंत्री पद के तमाम दावेदारों का जोश बना रहेगा और पार्टी टूटने का डर कम हो जायेगा. और अगर उस समय कोई नाराज हुआ तो उसे मंत्री पद देकर शान्त किया जायेगा. साथ ही चुनाव में श्रीमती सिद्धू उतरेंगी बाद में इस्तीफ़ा देंगी और सिद्धू साहब मैदान में उतरेंगे ताकि एक परिवार एक सीट का फार्मुला भी बना रहे.
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खैर ये आम आदमी पार्टी की सोच और रणनीति है. कभी सिद्धू केजरीवाल को जोकर कहते थे और कांग्रेस के कप्तान अमरिंदर सिंह सिद्धू को जोकर कहते थे, लेकिन अब कैप्टन साहब को पुराने दिन याद आ गए कि सिद्धू की माता जी उनके साथ कांग्रेस की जिला अध्यक्ष होतीं थीं और उन्होंने भी बहती गंगा मैं हाथ धोते हुए दिल खोलकर सिद्धू साहब का स्वागत कर दिया है.
दूसरी तरफ भाजपा को उम्मीद है सिद्धू साहब बने रहेंगे, लिहाजा पुराने वादे कसमें याद दिलाए जा रहे हैं, और संपर्क सूत्र दोबारा शुरू हो गए हैं. लेकिन गुरु किस तरफ जाते हैं ये पता लगने के लिए अभी कई दिन का समय लगेगा, लेकिन तब तक पंजाब की राजनीति का पारा पूरे जोश पर रहेगा.
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