"उत्तर" में कमल खिल गया, क्या "पद्म" के जरिये दक्षिण में "पद्म" खिला पाएगी भाजपा?
सरकार ने पद्म सम्मानों की घोषणा कर दी है. यदि लिस्ट देखें और उसका अवलोकन करें तो मिलता है कि इससे दक्षिण में भाजपा के लिए जटिल राहें, काफी हद तक आसान हो सकती हैं.
-
Total Shares
भारत के किसी भी नागरिक के लिए पद्म सम्मान हमेशा ही गर्व का पर्याय रहा है. ऐसा माना जाता है कि ये सम्मान चुनिंदा लोगों को मिलता है, जो विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं और अपने-अपने क्षेत्र में कुछ विशिष्ट करते हैं. करणी सेना के भयंकर बवाल और फिल्म पद्मावत देखें, न देखें के बीच सरकार ने भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म सम्मान के नामों की घोषणा कर दी है. इस बार जिन लोगों को सरकार ने इस सम्मान से नवाजा है यदि उनको देखें तो मिलता है कि वर्तमान में सरकार दक्षिण के लिए बेहद गंभीर है और आने वाले वक़्त में वो उत्तर की राजनीति में क्लीन स्वीप मारने के बाद अब पद्म के जरिये दक्षिण में पद्म खिलाएगी.
जी हां हो सकता है हमारा ये कथन आपको अटपटा लगे मगर ये सच है. बात आगे बढ़ाने से पहले, हमारे लिए ये बताना बेहद जरूरी है कि सरकार ने इस सम्मान के लिए निश्चित तौर पर काबिल लोगों का चयन किया है. ऐसे लोग जो इस अवार्ड के हकदार भी हैं. मगर इसे इत्तेफाक ही कहा जाएगा कि इन नामों की घोषणा एक ऐसे वक़्त में हुए हैं जब निकट भविष्य में कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पूर्व में ओडिशा में चुनाव हैं. ध्यान रहे कि जिस कर्नाटक में चुनाव हैं वहां के 9 लोगों को, तमिलनाडु से 6 लोगों , केरल से 4 आंध्र प्रदेश से 1 और ओडिशा से 4 लोगों को देश के इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुना गया है.
भाजपा के लिए दक्षिण का किला फ़तेह करना एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है
बात दक्षिण भारत की चल रही है तो ऐसे में यहां ये बताना बेहद जरूरी है कि दक्षिण भारत में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेहद लोकप्रिय हैं. दक्षिण की जनता देश के प्रति उनके विजन को समझती है. बात जब पार्टी की हो तो वहां क्षेत्रीय पार्टियों का ही बोलबाला है और इस दिशा में काम करते हुए पार्टी भाजपा और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह बीते कुछ वक़्त से दक्षिण के लिए खासे गंभीर नजर आ रहे हैं.
कहा जा सकता है कि आज पार्टी अध्यक्ष अमित शाह का सबसे बड़ा सपना दक्षिण के किलों को फ़तेह करना है. ऐसे में इन पद्म सम्मानों को एक ऐसे तीर के रूप में भी देखा जा सकता है जो अगर सही निशाने पर लगा तो भाजपा उत्तर की तरह दक्षिण में भी बढ़त हासिल कर इतिहास रच सकती है. आइये जानते हैं कि वो कौन-कौन से लोग हैं जिन्हें इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए सरकार ने चुना
कर्नाटक
1- पंकज आडवाणी - खेल (बिलियर्ड्स / स्नूकर )
2- डोड्डारंगे गौड़ा आर्ट- लिरिक्रस
3- सितव्वा जोड़दति - सोशल वर्क
4- सुलागिटटी नरसिम्मा - सोशल वर्क
5- आर सत्यनारायण - आर्ट - म्यूजिक
6- इब्राहिम सूथर - आर्ट-म्यूजिक
7- सिद्देश्वर स्वामीजी - अध्यात्मवाद
8- रुद्रनारायण नरायणस्वामी तरानाथन - आर्ट-म्यूजिक
9- रुद्रनारायण नरायणस्वामी त्यागराजन - आर्ट-म्यूजिक
तमिलनाडु
1- इलैयाराजा - आर्ट-म्यूजिक
2- रामचंद्रन नागास्वामी - पुरातत्व
3- वी ननाम्मल - योग
4- विजयलक्ष्मी नवनीतकृष्णन - आर्ट फोल्क म्यूजिक
5- राजा गोपालन वासुदेवन - साइंस और इंजीनियरिंग
6- रोमुलस व्हिटेकर - वन्यजीव संरक्षण
केरल
1- परमेश्वरन परमेश्वरन - साहित्य और शिक्षा
2- फिलिपोज मार क्रिससॉसटम - अध्यात्मवाद
3- लक्ष्मीकुट्टी - चिकित्सा- पारंपरिक
4- एमआर राजगोपाल - प्रशामक देखभाल
आंध्र प्रदेश
1- किदम्बी श्रीकांत - खेल - बैडमिन्टन
बात ओडिशा की भी हुई तो दक्षिण के अलावा ये वो लोग हैं जिन्हें सरकार इस सम्मान से नवाजना चाहती है.
ओडिशा
1- प्रवाकार महाराणा - आर्ट - मूर्तिकला
2- गोबर्धन पनिका - आर्ट - बुनाई
3- भबनी चरण पटनायक - लोक-कार्य
4- चंद्रशेखर रथ - साहित्य और शिक्षा
कहीं न कहीं इस लिस्ट से एक बात तो साफ है कि इन सम्मानों में चुनावों का भी ख्याल रखा गया है और ध्यान दिया गया है कि इसको देखकर लोग ज्यादा से ज्यादा पार्टी की तरफ आकर्षित हों और लोगों का ये आकर्षण पार्टी के लिए वोट में तब्दील लो. अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि पार्टी के लिए इस वक़्त सबसे बड़ा काम दक्षिण का किला फ़तेह करना है और उसके लिए पार्टी नए प्रयोग करने से बिल्कुल भी नहीं चूकने वाली. क्या पता ये पैंतरा सही बैठ जाए और वो संभव हो जाए जो मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था.
ये भी पढ़ें -
तो क्या, पीएम मोदी की अनुपस्थिति में भी भाजपा इतनी ही मजबूत रह पाएगी?
मोहन भागवत ने तो जातिवाद से लड़ाई में हथियार ही डाल दिये
राहुल गांधी को कोई तो याद दिलाये कि वो दिग्विजय सिंह नहीं हैं
आपकी राय