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Updated: 29 सितम्बर, 2016 10:16 PM
अभिनव राजवंश
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  @abhinaw.rajwansh
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आखिर वह खबर आ ही गई जिसका हर भारतीय उरी हमले के बाद से ही इंतज़ार कर रहा था. बुधवार रात को भारतीय सैन्य बलों द्वारा नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर मौजूद आतंकी गुटों के ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया गया. सेना ने यह सर्जिकल स्ट्राइक्स POK में देर रात किया जिसमें मुख्य रूप से 5 से 7 आतंकी कैंपों को निशाना बनाया गया था. इसमें 30 से 35 आतंकवादी मारे गए.

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 सही समय का इंतजार कर रही थी भारतीय सेना

भले ही ये सर्जिकल स्ट्राइक उरी हमले के दस दिन बाद की गयी हो मगर इस हमले की पटकथा हमले के बाद ही लिख दी गयी थी, इन्तजार था उचित समय का, जिससे आतंकवादियों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाया जाये. कल आर्मी को सुचना मिली कि आतंकवादियों के कुछ समूह एलओसी से लगे लांचपैड पर जमा हुए हैं, और उसके बाद ही इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया.

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उरी सैन्य कैंप पर हुए हमले के तुरंत बाद DGMO लेफ्टिनेंनट जनरल रणवीर सिंह ने कहा था कि सेना इस हमले का करारा जवाब देगी पर इसकी जगह और समय का चुनाव वह अपने हिसाब से करेगी, भारतीय सेना इस तरह की हिंसात्मक और आक्रामक कार्रवाई का जवाब देने की पूरी क्षमता रखती है. रणवीर सिंह के उस बयान से एक बात तो साफ थी की आर्मी इस बार चुप नहीं बैठने वाली. खुद रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने श्रीनगर जाकर सेना को दोषियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निर्देश दिए. पर्रिकर ने यह भी विश्वास दिलाया की जवानों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जायेगा.

इन घटनाक्रमो के बिच 21 सितम्बर को कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया की भारतीय सेना ने POK में सर्जिकल स्ट्राइक कर 20 आतंकवादियों को मार गिराया गया, हालांकि आधिकारिक रूप से इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी मगर भारत द्वारा जवाबी करवाई की उम्मीद बनी रही.

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 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉर रूम में सेना प्रमुखों के साथ मीटिंग कर बनाई थी रूपरेखा

इस खबर के ठीक एक दिन बाद 22 सितम्बर को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वॉर रूम में सेना प्रमुखों के साथ मीटिंग कर इस बात को और भी पुख्ता कर दिया की भारत सभी तरह के विकल्पों पर गौर कर रहा है, जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक और युद्ध तक भी शामिल है.

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हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उरी हमले के बाद पहली बार सार्वजनिक मंच से बोलते हुए गरीबी, बेरोजगारी से लड़ने की अपील की मगर मोदी ने इस बात को फिर से दुहरा दिया की सैनिकों के बलिदान को व्यर्थ नहीं जाने दिया जायेगा. मोदी तमाम कूटनीतिक रणनीति के इतर इस बात पर भी कायम रहे की सैनिकों के बलिदान को यह देश व्यर्थ नहीं जाने देगा. मोदी जहां एक तरफ कूटनीति से पाकिस्तान को अलग थलग करने में लगे रहे, तो वहीं भारतीय सेना अपनी बदले के लिए मुकम्मल समय का इन्तजार करती रही.

अब इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद जहां भारतीय सेना ने आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं तो वहीं पाकिस्तान अपनी इज्जत बचाने के लिए इसको झुठलाने में लगा है. अब देखना होगा कि पाकिस्तान जो पहले से ही भारत की कूटनीति से ही अलग-थलग पड़ता जा रहा था अब इस स्ट्राइक के बाद क्या कदम उठाएगा.

लेखक

अभिनव राजवंश अभिनव राजवंश @abhinaw.rajwansh

लेखक आज तक में पत्रकार है.

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