गाजा में लोगों की जीवनरेखा है सुरंग
गाजा में इन सुरंगों का इतिहास 1979 के एक शांति समझौता से जुड़ा है. 1979 में इजराइल और मिस्र के बीच हुए शांति समझौते के बाद राफा शहर दो हिस्सों में बँट गया. एक हिस्सा गाजा को तो दूसरा मिस्र को मिला. शहर के दोनों हिस्सों में लेन देन सुरंगों के जरिए ही होने लगी.
-
Total Shares
हम जब भी 'जीवनरेखा' शब्द का प्रयोग करते हैं तो सड़क मार्ग, रेल मार्ग, मेट्रो जैसी चीजें अपने आप हमारे सामने कौंधने लगती है. लेकिन आज हम बात कर रहे हैं, विश्व के सर्वाधिक विवादास्पद और चर्चा में रहनेवाले एक स्थान की. इस जगह की जीवनरेखा ना तो सड़क है, ना ही रेल बल्कि वहाँ की जीवनरेखा 'सुरंग' है.
इजराइल का दावा है कि फिलस्तीनी पक्ष और हमास ने गाजा में बहुत सी सुरंगें बना ली हैं. इन सुरंगों के जरिए तस्करी और दूसरी अवैध गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं. वहीं फिलस्तीनी इसे जीवनरेखा के रुप में देखते हैं. यहां सौ नहीं बल्कि हजारों की संख्या में सुरंग हैं, जो गाजा को दुनिया के दूसरे हिस्सों से जोड़ता है. इनका प्रयोग कितना व्यापक है वह इससे स्पष्ट है कि इन सुरंगो से ही वे अपने पालतू मवेशी भी ले जाते हैं.
गाजा की कठिन डगर
करीब 20 लाख फिलस्तीनी गाजा में रहते हैं. वे इजराइल और मिस्र से कटे हुए हैं. लंबे समय तक सिर्फ राफा सीमा से ही वहां जा सकते थे. लेकिन 2007 में हमास के सत्ता में आने के बाद राफा सीमा का रास्ता भी बंद कर दिया गया. वहीं सरहदों पर ऊंची जालियां व दीवार है. ऐसे में गाजा वालों ने सुरंग को ही जीवनसाथी बना लिया है. गाजा में सुरंग सिर्फ आने-जाने के लिए जीवनरेखा नहीं है. बल्कि ये युवा पीढ़ी के लिए आय का मुख्य स्रोत है. वहां सुरंगों का इतना ज्यादा निर्माण हो रहा है कि युवा पीढ़ी अब सुरंग निर्माण में ही अपना भविष्य देखने लगी है. सुरंग की खुदाई कुदाल और फावड़े से की जाते है और मजबूती के लिए अंदर से प्लास्टर भी किए जाते हैं.
गाजावासियों के लिए आय का साधन सिर्फ सुरंग बनाना ही नहीं है बल्कि सुरंग का प्रयोग करने के लिए दिया जाने वाला किराया भी आय का मुख्य हिस्सा है. सुरंग के मुख्य द्वार का निर्माण घरों के मुख्य दरवाजों के आसपास इस प्रकार किया जाता है, जिससे वे बाहर से न दिखें तथा इजराइल से उसकी गोपनीयता बनी रहे. इन सुरंगों से ही फिलस्तीनी सीमेंट और निर्माण सामग्री लाते हैं. एक तरह से गाजा में आधारभूत संरचना के विकास की भी जिम्मेदारी सुरंगों पर ही है. कई बार तो इजराइली सैन्य ठिकानों के नीचे से भी सुरंग गुजरते हैं. इन सुरंगों से ही कई बार इजराइली सैन्य ठिकानों पर हमले भी होते हैं.
गाजा में इन सुरंगों का इतिहास 1979 के एक शांति समझौता से जुड़ा है. 1979 में इजराइल और मिस्र के बीच हुए शांति समझौते के बाद राफा शहर दो हिस्सों में बँट गया. एक हिस्सा गाजा को तो दूसरा मिस्र को मिला. शहर के दोनों हिस्सों में लेन देन सुरंगों के जरिए ही होने लगी. इन सुरंगों का प्रयोग केवल जीवनरेखा ही नहीं अपितु 'जीवनरक्षक' के रुप में भी होता है. जब इजराइली सेना हमला करती है, तो यह सुरक्षित जगह लोगों की पनाहगार का भी काम करती है.
इन सुरंगों से सिर्फ इजराइल ही चिंता में नहीं है, बल्कि मिस्र भी परेशानी में है. मिस्र का कहना है कि सिनाई इलाके में हमास के हमले इन सुरंगों से ही होता है. इसलिए मिस्र की सेना भी इन सुरंगों को बर्बाद करने की कोशिश करती है. इजराइल के रक्षामंत्री ने तो 2013 में इन सुरंगों का दौरा भी किया और इन सुरंगों को इजराइली सुरक्षा के लिए खतरनाक बताया. इजराइल ने पुन: कहा है कि वह तब तक अपनी कार्यवाही नहीं रोकेगा, जबतक कि वह सभी सुरंगों को नेस्तनाबूद नहीं कर देता. इस तरह मिस्र और इजराइल इन सुरंगों को करने में लंबे समय से लगे हैं, जबकि फिलस्तीनी निरंतर इन सुरंगों के निर्माण में.
ये भी पढ़ें-
भारत अगर चाहता है शांति और सौहार्द्र, तो पाकिस्तान को मिटाना ही होगा!
पाकिस्तान की 'नरमी' भारत के खिलाफ एक नई चाल !
आपकी राय