योगी ने राजनीति में नई प्रथा का श्रीगणेश किया है: 'भारत माता की जय' की जगह 'जय जय श्रीराम'!
अपनी विक्ट्री के बाद योगी आदित्यनाथ हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए स्टेज पर पहुंचे तो लगा कि महंत में कुछ बदल-सा गया है. सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया. आख़िरी में जय हिन्द कहा तो अनायास ही उम्मीद थी कि 'भारत माता की जय' कहकर समापन करेंगे लेकिन उन्होंने हाथ उठाकर 'जय जय श्रीराम कहा और एक नयी प्रथा का श्रीगणेश किया.
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कहा जाता था कि नॉएडा आने वाला मुख्यमंत्री अगला चुनाव हार जाता है और इसका इतना डर बना रहा कि उत्तर प्रदेश के कर्णधारों ने नॉएडा आना छोड़ दिया. योगी आदित्यनाथ नॉएडा आये तो सभी हंसने लगे कि अब मठ में वापसी होगी.रिकॉर्ड था कि राज्य में कोई भी नेता लगातार दो सत्र के लिये मुख्यमंत्री नहीं बना. नारायण दत्त तिवारी इकलौते अपवाद रहे लेकिन उनके वे दोनों सत्र पांच-पांच वर्ष के नहीं थे. योगी आदित्यनाथ ने उनका 37 वर्ष पुराना रिकॉर्ड तोड़ा और दोबारा पदभार संभालने वाले हैं.
बहुत ग़ौर से उनका संबोधन सुन रही थी. हाथ जोड़कर मुस्कुराते हुए स्टेज पर पहुंचे तो लगा कि महंत में कुछ बदल-सा गया है. सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया. आख़िरी में जय हिन्द कहा तो अनायास ही उम्मीद थी कि 'भारत माता की जय' कहकर समापन करेंगे क्योंकि मोदी-शाह समेत तमाम नेता ऐसा करते हैं लेकिन उन्होंने हाथ उठाकर कहा- जय जय श्रीराम!
अपने भाषण के समापन में जय श्री राम कहकर योगी आदित्यनाथ ने एक नयी प्रथा का श्री गणेश किया है
जय जय श्रीराम कहना ग़लत या अनुचित नहीं है, केजरीवाल ने हनुमान को याद किया था तो योगी राम को क्यों नहीं याद कर सकते. लेकिन शील को धारण करने वाले राम के भाग्य में अब यही आया है कि वे ईश्वर कम राजनीतिक मुद्दा ज़्यादा लगते हैं.
योगी ऐसे कह रहे थे मानो जयकारे के साथ युद्धघोष कर रहे हों. यहां यह अटपटा इसलिए भी लगा क्योंकि राम अब वर्चस्व की स्थापना का विषय बनते नज़र आते हैं. राम को ईश्वर की तरह नहीं, राम मंदिर की तरह याद किया जाने लगा है.
वे भारत माता की जय कह सकते थे, कम से कम आज के दिन तो कह सकते थे जब समूचे राज्य ने उन्हें इस तरह सिर-माथे पर बिठाया है लेकिन योगी अपनी राह पर ही चलते हैं. अपना सही-ग़लत स्वयं निर्धारित करते हैं और उसे किसी के लिये नहीं बदलते, राजनीति के लिये भी नहीं. यह कभी उनका गुण हो जाता है कभी उनकी कमी.
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