क्या वाकई तमिल मुस्लिम मक्का में बीजेपी के खिलाफ दुआ मांग रहे हैं?
सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार तारिक फतह ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें मुसलमानों को भाजपा और आरएसएस के खिलाफ मक्का में प्रार्थना करते दिखाया जा रहा है. ये वीडियो अब बहस का विषय बन गया है.
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भगवान के घर जाकर क्या मांगा जाता है? किसी की भलाई, अपनी भलाई, सुख-समृद्धि की या किसी दुश्मन के हार जाने की? हाल ही में ट्विटर पर एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ है जिसने भगवान की प्रार्थना का एक अलग ही रूप ले लिया है. जर्नलिस्ट तारिक फतह ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है जिसमें ये दावा किया जा रहा है कि तमिल मुस्लिम मक्का में भाजपा के खिलाफ दुआ मांग रहे हैं और साथ ही साथ, इस दुआ में आरएसएस का नाम भी शामिल है. इस दुआ में मोदी के दोबारा सत्ता में वापस न आने की बात कही जा रही थी और क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 अपने चरम पर हैं इसलिए इस समय ये वीडियो वायरल होना कई मायनों में राजनीतिक संकेत दे रहा है.
ये वीडियो जैसे ही ट्विटर पर आया वायरल हो गया और यकीनन मोदी और आरएसएस समर्थकों ने मुसलमानों को ट्रोल करना शुरू कर दिया.
Video of Indian Muslim pilgrims in Saudi Arabia at the Kaaba ???? in Mecca, praying for the destruction of the @RSSorg and @BJP4India in India. They all seem to be from Tamilnadu acting like sheep being led by their Mullah. #IndianElections2019 #IndiaElectspic.twitter.com/TL63nrlH4y
— Tarek Fatah (@TarekFatah) April 30, 2019
इस वीडियो को ध्यान से देखकर समझा जा सकता है कि दरअसल, प्रार्थना करवाने वाला कोई एक इंसान है जिसकी बातों को सब दोहरा रहे हैं. इस वीडियो के आने के बाद ट्विटर पर जिस तरह की प्रतिक्रिया की उम्मीद की जा सकती थी वैसी ही मिल रही है.
वैसे तो इस वीडियो के आने के बाद कई सवाल खड़े हो गए हैं और सबसे बड़ा ये सवाल है कि आखिर क्यों इस तरह की प्रार्थना करने की जरूरत पड़ी लोगों को? वो मक्का जैसी जगह पर जो इस्लाम के लिए सबसे ज्यादा पवित्र मानी जाती है. पर इस वीडियो में क्या कहा जा रहा है उसपर थोड़ी रौशनी डालने की कोशिश करते हैं.
1. क्या भाजपा के खात्मे की बात हो रही है?
तारिक़ फ़तह की ट्वीट में लिखा हुआ है कि ये मुसलमान मक्का में ये प्रार्थना कर रहे हैं कि आरएसएस और भाजपा का भारत में विनाश हो जाए. शब्द (Destruction) का इस्तेमाल किया गया है जब्कि ये पूरी तरह से गलत है. प्रार्थना में उनके सत्ता में वापस न आने की बात की जा रही है खात्मे की नहीं. कुछ लोग इस ट्वीट का जवाब खात्मे/विनाश शब्द के आधार पर भी दे रहे हैं.
ट्विटर पर इस वीडियो को लेकर बहुत तीखी प्रतिक्रिया मिल रही है.
2. क्या ये तमिल मुस्लिम हैं?
कम से कम वीडियो में दावा तो यही किया जा रहा है. साथ ही साथ, प्रार्थना आखिर में तमिल भाषा में कही जा रही है. जो इंसान प्रार्थना करवा रहा है वो तमिल भाषा में बात कर रहा है और दुआ करने को कह रहा है. पर वीडियो ये नहीं दिखाता कि क्या वाकई बाकी लोग भी इसे दोहरा रहे हैं या नहीं. और इसके अलावा, कोई जानकारी नहीं है.
3. क्या कहा जा रहा है प्रार्थना में?
शुरुआत में अरबी भाषा में प्रार्थना की जा रही है और उसके बाद आखिरी लाइन में तमिल में कहा जा रहा है कि , 'दुआ करो आरएसएस और भाजपा दोबारा सत्ता में न आएं'. ये कहने वाला भी वो इंसान है जो पहले अरबी में प्रार्थना करवा रहा था.
4. कब का है ये वीडियो?
सबसे बड़ा यक्ष प्रश्न ये है कि ये वीडियो आखिर है कब का? न तो तारक फतेह की ट्वीट में इसकी कोई जानकारी है. ये वीडियो पुराना भी हो सकता है, लेकिन क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 अभी चल रहे हैं इसलिए इसे नया ही माना जा रहा है. अभी इसके अलावा, इस वीडियो से जुड़ी कोई और जानकारी उपलब्ध नहीं है.
ट्विटर पर लोगों का तीखा प्रहार भी नाराजगी दिखाता है-
ट्विटर पर इस वीडियो को लेकर लोगों ने बहुत तीखी प्रतिक्रिया दी हैं.
अपने पवित्र जगह पर भी ये लोग दूसरों की बर्बादी की ही प्रार्थना करते हैं इनका भगवान भी इन पर तरस खाता होगा????
— ???????? आशीष कुशवाह ???????? (@Ashishkushwah3) April 30, 2019
इतना ही नहीं बल्कि सवाल हज सब्सिडी पर भी उठने लगा है. इस वीडियो के वायरल होते ही लोग ये सवाल करने लगे हैं कि आखिर मुसलमानों को भारत में हज सब्सिडी क्यों दी जाती है.
@BJP4India हज़ का कोटा बढ़वाती हैं, और ये लोग उसके विनाश के लिए दुआ मांग रहे हैं , बहुत खतरनाक संकेत हैं।
— चौकीदार Sonpal singh (@JatSpsingh) April 30, 2019
एक बार फिर से वही सवाल सबसे अहम बन जाता है कि आखिर क्यों मुसलमानों को मक्का में ये प्रार्थना करने की जरूरत पड़ी? ये बेहद संगीन बात है क्योंकि इस तरह की प्रार्थना किसी सरकार के प्रति क्रोध या कट्टरता को भी दर्शाती है. सवाल संगीन है और शायद इसका जवाब कभी मिल भी न पाए. मुसलमान नरेंद्र मोदी के खिलाफ रहते हैं ये तो आम धारणा है. लेकिन इस हद तक खिलाफत है कि मक्का में भी ये प्रार्थना की जाए ये बात बहुत अजीब है.
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