अमेरिका में भी भारतीय ही तय करेंगे कौन बनेगा प्रेसिडेंट!
अमेरिकी प्रेसिडेंट के चुनाव में इंडो-अमेरिकन वोट्स तख्ता पलट करने के लिए काफी हैं. ट्रम्प या हिलेरी जिसकी भी तरफ ये तब्का होगा उसके जीतने की गुंजाइश बढ़ जाएगी.
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अमेरिका में 45वें राष्ट्रपति चुनाव के लिए कल वोटिंग होने वाली है. इस बार का चुनाव रोचक इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पहले से विवादित ईमेल से लेकर इलेक्शन कैम्पेन के खर्च तक बहुत से मामले सामने आ चुके हैं. ऊपर से इस बार चाहे दोनों में से कोई भी जीते रिकॉर्ड बनना तो तय है. डोनाल्ड ट्रम्प अगर अमेरिका के राष्ट्रपति बनते हैं तो वो अमेरिकी इतिहास के सबसे उम्रदराज प्रेसिडेंट होंगे. वो 70 साल के हो चुके हैं और इससे पहले 69 साल के रोनाल्ड रीगन राष्ट्रपति बने थे. इसके अलावा, अगर हिलेरी क्लिंटन बनती हैं तो वो अमेरिकी इतिहास की पहली महिला प्रेसिडेंट होंगी और साथ-साथ उम्रदराजों के रिकॉर्ड की बराबरी भी करेंगी.
इंडियन-अमेरिकन्स को लुभाने की कोशिश?
इस बार अमेरिकी इलेक्शन में एक और खास बात देखी गई है. मुद्दा ये है कि इस बार अमेरिका में रहने वाले भारतीयों और अन्य एशियाई लोगों पर कुछ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. वजह साफ है कि ये एक बड़ा तबका है जिसका वोट बैंक ट्रम्प और हिलेरी दोनों को ही फायदा पहुंचा सकता है.
सांकेतिक फोटो |
हिलेरी के पक्ष में वहां रहने वाले लगभग 5 प्रतिशत भारतीय हैं. इसके अलावा, न्यूजर्सी में दी गई अपनी स्पीच में ट्रम्प ने ये कहा था कि वो भारतीयों को सपोर्ट करते हैं और मुस्लिम अतिवाद (extremism) को दूर करने में मदद करेंगे. इसके बाद से ट्रम्प ने कई भारतीय सपोर्टर बना लिए हैं.
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आखिर क्यों हैं भारतीय जरूरी?
अमेरिकी इलेक्शन में भारतीय वोटों का खासा प्रभाव पड़ेगा. अमेरिका में करीब 3.2 मिलियन भारतीय भूल के लोग हैं और इनमें से करीब 56 प्रतिशत के पास वोटिंग राइट्स हैं. ये आंकड़ा 2013 के रिकॉर्ड के हिसाब से है और अभी ये और बढ़ गया होगा. ऐसे में ये वो वोटर ग्रुप है जिसे नकारा नहीं जा सकता.
इस तबके में शामिल हैं-
- हायर इन्कम ग्रेड के भारतीय. अमेरिका में एवरेज इन्कम $51,939 है और एवरेज इंडियन-अमेरिकन की इन्कम $88,000 (2013 के अनुसार) है.
- इनमें से 28 प्रतिशत साइंस या इंजीनियरिंग सेक्टर में काम करते हैं.
- ये ग्रुप इलेक्शन कैम्पेन फंड्स देने वाला एक बड़ा ग्रुप है.
कैसे होता है इलेक्शन?
अमेरिका में एक बड़े चुनाव की जगह 51 छोटे-छोटे इलेक्शन होते हैं - 50 स्टेट्स के और 1 अमेरिकी कैपिटल वॉशिंगटन का. चुनाव के नतीजे के तौर पर नक्शे को दो रंगों में विभाजित किया जाता है इसमें लाल रंग रिपब्लिकन पार्टी और नीला डेमोक्रैट्स के लिए होता है. व्हाइट हाउस की रेस में जीतने के लिए कैंडिडेट को 538 इलेक्टोरल वोट्स (सीट्स) में से 270 जीतने होते हैं.
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भारतीयों के वोट निर्णायक क्यों?
भारताय-अमेरिकी वोट्स ओहायो, कोलोराडो और फ्लोरिडा राज्यों का नतीजा ही बदल सकते हैं. ओहायो और नॉर्थ कैरोलिना में 18 और 15 इलेक्टोरल वोट्स हैं. इनके अलावा, फ्लोरिडा में अकेले 29 इलेक्टोरल वोट्स हैं. ओबामा ने 2012 का इलेक्शन बड़े ही कम अंतर से जीता था और 2000 में जॉर्ज बुश ने अल गोर को महज 537 वोटों के अंतर से हराया था. इसका मतलब कुछ 2 या 3 इलेक्टोरल वोट निर्णायक साबित हुए. ये वोट फ्लोरिडा से ही आए थे. अब अगर इंडो-अमेरिकन हिलेरी के पक्ष में जाते हैं तो फ्लोरिडा में सबसे ज्यादा अंक हिलेरी को मिल सकते हैं.
यही कारण है कि इंडो-अमेरिकन वोट इस अमेरिकी इलेक्शन में ज्यादा जरूरी हो गये हैं.
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