Wadhawan family news: उद्धव ठाकरे सरकार हीरो से जीराे के करीब पहुंच गई!
सैर सपाटे पर निकले जो वधावन भाई (Kapil Vadhawan and Dheeraj Vadhawan) महाबलेश्वर में लॉकडाउन का उल्लंघन (Lockdown Violation) करते पकड़े गये हैं - 23 दिन पहले ही बीमारी और कोरोना वायरस से खतरे के नाम पर ED के सामने पेश होने से मुकर गये थे. बीजेपी उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार से इसी बात का जवाब मांग रही है.
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जिस दिन महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा मौतों की खबर आयी, उसी रोज देर शाम DHFL वाले वधावन भाइयों (Kapil Wadhawan and Dheeraj Wadhawan) का परिवार सैर सपाटे पर निकल पड़ा - खंडाला से महाबलेश्वर के लिए. महाबलेश्वर में वधावन ब्रदर्स का फॉर्म हाउस है - और वहीं के लिए ये परिवार उद्धव ठाकरे सरकार के एक बड़े अफसर का पत्र लॉकडाउन पास के तौर पर लेकर चल पड़ा था.
दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन (DHFL) के प्रमोटर कपिल वधावन और धीरज बधावन दोनों हाल में सामने आये यस बैंक घोटाले में भी आरोपी हैं. मार्च, 2020 में जब इन्हें प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ के लिए बुलाया था तो कोरोना वायरस के खतरे का हवाला देकर बहाना बना लिये थे. 9 अप्रैल, 2020 को दोनों भाइयों को देश में लागू संपूर्ण लॉकडाउन के उल्लंघन (Lockdown Violation) के आरोप में महाराष्ट्र की सतारा पुलिस ने हिरासत में ले लिया और क्वारंटीन में रखा है.
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी सरकार के लिए कोरोना वायरस महामारी जहां सबसे बड़ा चैलेंज बना हुआ है, वहीं वधावन तफरीह कांड ने एक ही झटके में विरोधियों के निशाने पर ला दिया है. कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले में महाराष्ट्र पूरे देश में पहले नंबर पर है जहां 1300 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाये गये हैं.
महाराष्ट्र सरकार ने भले ही वधावन भाइयों के लिए फेमिली पास जारी करने वाले अफसर को जबरन छुट्टी पर भेज दिया है - लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उसे महज बलि का बकरा माना है. बीजेपी नेता फडणवीस अफसर नहीं बल्कि उसे संरक्षण देने वाले पर राजनैतिक नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं.
कोरोना वायरस के आतंक के चलते जब पूरा देश घरो में लॉकडाउन है. जब सड़क पर पैदल ही निकल पड़े हजारों मजदूरों को उनके गृह राज्यों की सीमा पर बने क्वारंटीन में रखा गया है. जब जगह जगह हॉट-स्पॉट को सील कर दिये जाने के बाद जन-जीवन ठहर गया हो, वैसी हालत में कई घोटालों के आरोपी वधावन फेमिली को महाराष्ट्र में फॉर्म हाउस जाने की इजाजत देकर, उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सरकार ने चार महीने की कमाई को मिट्टी में मिला दिया है.
संपूर्ण लॉकडाउन का ये सबसे बड़ा मजाक है
जब पूरे देश में सड़कों पर सन्नाटा पसरा हो और तभी अचानक एक के पीछे एक पांच बड़ी गाड़ियां रफ्तार भरती कहीं से गुजरें या पहुंच जायें तो किसी को भी एकबारगी शक ही होगा. महाबलेश्वर के लोगों को भी यही देख कर शक हुआ और तत्काल उन लोगों ने तहसीलदार और नगर निगम के अफसरों को सूचना दी. तहसीलदार जब पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो वे स्वास्थ्य संबंधी कोई तकलीफ बताने लगे. पूछताछ में वो ऐसी कोई भी बात नहीं बता पा रहे थे जो मौजूदा हालात में इमरजेंसी जैसी लगे.
उद्धव ठाकरे को वधावन भाइयों ने बुरा फंसाया
वधावन भाई पूरी तैयारी के साथ निकले थे. बड़े रौब के साथ उन्होंने वो पत्र भी दिखाया जिसके चलते रास्ते में किसी की रोकने की हिम्मत नहीं हुई. ये पत्र महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग में प्रिंसिपल सेक्रेट्री अमिताभ गुप्ता के लेटर हेड पर था और नीचे उनका हस्ताक्षर भी था.
खंडाला से महाबलेश्वर 185 किलोमीटर है - और ये लोग पांच गाड़ियों में सवार होकर एनएच 4 पर लॉकडाउन को धता बताते चले जा रहे थे. लंबे चौड़े काफिले में दोनों वधावन भाइयों के परिवार के अलावा उनका कुक, घरेलू नौकर और एक सुरक्षाकर्मी भी शामिल था. पुलिस ने सभी 23 लोगों के खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 188 के तहत केस दर्ज किया है.
हैरानी की बात ये है कि कोरोना वायरस के तेजी से फैलने के कारण पुणे और सतारा दोनों ही जिलों को सील कर दिया गया है - बावजूद इसके वधावन भाइयों का परिवार बड़े आराम से सैर सपाटे के लिए निकल पड़ा था.
कितने ताज्जुब की बात है ना. वधावन भाइयों को जब ED ने 17 मार्च को पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था, तो दोनों ने खराब सेहत का हवाला देकर मना कर दिया - और 23 दिन बाद ही खंडाला से पूरे लाव लश्कर के साथ महाबलेश्वर पहुंच गये.
जरा इनके बहाने भी जान लीजिये. प्रवर्तन निदेशालय के सम्मन के जवाब में कपिल वधावन लिखते हैं, 'मैं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से गुजर रहा हूं. कोरोना वायरस महामारी और मेरी उम्र के चलते मेरी पहले से खराब सेहत के लिए जोखिम ज्यादा है. इसलिए मेरे लिए मुंबई की यात्रा करना मुश्किल है.'
तकरीबन मिलता जुलता पत्र कपिल वधावन ने भी लिखा था, 'कोविड-19 महामारी फैल रही है. मेरी सेहत और उम्र की वजह से मैं हाई रिस्क में हूं... अपनी सुरक्षा और सेहत को देखते हुए, मेरे लिए मुंबई आना मुश्किल है - मेरी गुजारिश है कि आज के हालात को देखते हुए स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी जाये.'
अगर अफसर नहीं तो कौन?
जब ये खबर फैली तो पूरे महाराष्ट्र में हड़कंप मच गया. महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि इस बात की जांच हो रही है कि वधावन परिवार के 23 सदस्यों को कैसे खंडाला से महाबलेश्वर जाने की अनुमति दे दी गयी. अनिल देशमुख ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बातचीत के बाद अमिताभ गुप्ता को छुट्टी पर भेज दिया गया है - और उनके खिलाफ भी जांच शुरू की जा रही है. जांच रिपोर्ट आ जाने के बाद अफसर पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
As per discussion with Hon. CM, Mr Amitabh Gupta, Principal Secretary (special), has been sent on compulsory leave with immediate effect, till the pending of enquiry, which will be initiated against him.#LawSameForEveryone
— ANIL DESHMUKH (@AnilDeshmukhNCP) April 9, 2020
सबसे दिलचस्प बात तो अफसर के खत के मजमून में नजर आ रही है. भाषा और कंटेंट से ऐसा लगता है जैसे अफसर ने सरकारी लेटर हेड पर निजी हैसियत से ये पत्र जारी किया हो - क्या मजाक है. प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बातचीत में कहा था कि देश में सोशल इमरजेंसी की स्थिति है और देश के उस हिस्से में जहां कोरोना का सबसे ज्यादा असर देखा जा रहा है, कानून व्यवस्था लागू करने वाले इसे इतने हल्के में ले रहे हैं.
बतौर लॉकडाउन पास जो पत्र मिला है उसमें महाराष्ट्र सरकार के सीनियर अफसर ने वधावन भाइयों को पारिवारिक मित्र बताया है. कितने ताज्जुब की बात है कि दोनों भाइयों में से एक कपिल वधावन जिसे ईडी ने एक मनी लॉन्डरिंग केस में गिरफ्तार किया था और वो जमानत पर छूटा हुआ हो - कोई सीनियर आईपीएस अफसर उसे अपना फेमिली फ्रेंड बता रहा हो. इतना ही नहीं यस बैंक घोटाले में राणा कपूर के खिलाफ चल रही जांच के सिलसिले में ईडी और सीबीआई के रडार पर भी दोनो भाई हैं.
अमिताभ गुप्ता वधावन बंधुओं के लिए जारी किये गये पत्र में लिखते हैं - ये सभी मेरे परिचित हैं और मेरे पारिवारिक मित्र हैं. फैमिली इमरजेंसी की वजह से खंडाला से महाबलेश्वर जा रहे हैं... इस लेटर के जरिये आपको जानकारी दी जा रही है कि इनका सहयोग करें.’
बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने अमिताभ गुप्ता के पत्र के साथ एक ट्वीट में पूछा है कि लॉकडाउन के बीच वधावन परिवार महाबलेश्वर कैसे पहुंच गया - क्या सरकार येस बैंक के आरोपियों को VVIP ट्रीटमेंट दे रही थी?
Home Ministry Government of Maharashtra letter for VVIP treatment to Wadhwan Brothers @BJP4Maharashtra @BJP4India @Dev_Fadnavis pic.twitter.com/X3Qki2ItVO
— Kirit Somaiya (@KiritSomaiya) April 9, 2020
किरीट सोमैया की तरह महाराष्ट्र सरकार पर हमला तो पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी बोला है, लेकिन वो पत्र जारी करने वाले अफसर को ज्यादा जिम्मेदार नहीं मानते - और इसके पीछे उनकी अपनी मजबूत दलील भी है.
देवेंद्र फडणवीस पूछ रहे हैं - क्या महाराष्ट्र में रसूखदार और धनी लोगों के लिए लॉकडाउन नहीं है?
लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने जिस तरीके से महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाया है वो सीधे निशाने पर जाकर लग रहा है. देवेंद्र फडणवीस ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और गृह मंत्री अनिल देशमुख से सफाई मांगी है - देवेंद्र फडणवीस का सवाल इसलिए भी दमदार है क्योंकि वो भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
देवेंद्र फडणवीस ट्विटर पर लिखते हैं - ‘कोई भी पुलिस की आधिकारिक अनुमति से महाबलेश्वर में छुट्टियां नहीं मना सकता - ये संभव ही नहीं है कि कोई सीनियर IPS अफसर इस तरह की गलती करे, ये जानते हुए भी कि इसका नतीजा क्या होगा. किसके आदेश से ये हुआ. मिस्टर CM और HM क्या आप स्पष्ट करेंगे?’
With whose order or blessings was this done ? Mr. CM & HM you owe us an explanation.(2/2)
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) April 9, 2020
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