क्या हिन्दू टेरर सियासी साजिश थी !
मालेगांव विस्फोट कांड के आरोपी ले. कर्नल श्रीकांत पुरोहित को जमानत मिलने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच में भगवा आतंकवाद था, या फिर ये उस समय की कांग्रेस सरकार की दिमाग की उपज थी.
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सुप्रीम कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट कांड के आरोपी ले. कर्नल श्रीकांत पुरोहित को कुछ शर्तों पर जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. वे करीब 9 वर्ष से जेल में थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में बॉम्बे हाईकोर्ट के संबंधित आदेश को खारिज कर दिया.
कोर्ट ने हालांकि कुछ शर्तें भी रखी हैं, जिनमें कर्नल पुरोहित को देश से बाहर जाने पर रोक भी शामिल है. मालेगांव ब्लास्ट मामले में ही बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल, 2017 में आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत दे दी थी. लेकिन इसी मामले में आरोपी कर्नल पुरोहित को जमानत नहीं मिली थी. उस समय हाईकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. ले. कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज जमानत मिल गयी.
कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट ने बेल दी
अगर देखें तो हिन्दू टेरर का आरोप झेलने वाले कई बड़े लोग जेल से बाहर आ चुके हैं.
इससे पहले साध्वी प्रज्ञा सिंह और असीमानंद को भी बेल मिल चुकी है. मार्च 2017 में स्वामी असीमानंद को मक्का मस्जिद धमाके के मामले में जमानत मिली थी. जयपुर के स्पेशल कोर्ट ने उन्हें मार्च 2017 में ही एक और मामले 2007 अजमेर बम विस्फोट कांड में बरी कर दिया था.
मार्च 2017 में रिहा हुए थे स्वामी असीमानंद
मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत पहले ही मिल चुकी है. अप्रैल 2017 में एनआईए ने अजमेर दरगाह ब्लास्ट मामले में भी उन्हें क्लीन चिट दे दी थी. सुनील जोशी हत्याकांड में भी प्रज्ञा ठाकुर को जमानत मिल चुकी है. इन मामलों में बेल मिलने के बाद साध्वी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि भगवा आतंकवाद कांग्रेस की देन है.
मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर भी रिहा हो चुकी हैं
सबसे पहले पी. चिदंबरम ने भगवा आतंकवाद शब्द का उपयोग किया था. मालेगांव बलास्ट केस में जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अप्रैल 2017 में कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए थे. साध्वी का आरोप था कि कांग्रेस ने उन्हें पूरी तरह से खत्म करने का षडयंत्र रचा था.
सबसे बड़ा सवाल
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सचमुच में हिन्दू टेररिज्म या भगवा आतंकवाद था या फिर ये उस समय की कांग्रेस सरकार की दिमाग की उपज थी. भारतीय जनता पार्टी और संघ के कई लीडर कई बार भगवा आतंकवाद की अवधारणा के खिलाफ बोलते आए हैं. न केवल वे, बल्कि कई विचारक भी कहते रहे हैं कि मालेगांव और अजमेर ब्लास्ट के बहाने कांग्रेस हिन्दू आतंकवाद नामक धारणा को थोपने में लगी हुई थी. दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे ने कई बार हिन्दू आतंकवाद का राग आलापा है.
फिलहाल अदालतों में इन मामलों में केस जारी हैं. हिन्दू टेरर सियासी साजिश थी या नहीं इससे पर्दा उठाना बहुत जरुरी है और तभी दूध का दूध और पानी का पानी सबके सामने लाया जा सकेगा.
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