वसीम रिजवी के हिंदू हो जाने के बाद मथुरा मस्जिद की 'घर-वापसी' कराने की तैयारी!
वसीम रिजवी के बाद असली तैयारी तो मथुरा मस्जिद को कनवर्ट कराने की है. इसे पढ़कर हैरत में आने की कोई जरूरत नहीं है. एक ऐसे समय में जब यूपी विधानसभा चुनावों को बस कुछ दिन शेष रह गए हों हिंदूवादी संगठनों की इच्छा वही है जो हिंदू वोटबैंक को एक करेगी और जिसका फायदा भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में मिलेगा.
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आखिरकार वो वक़्त आ ही गया जिसका इंतेजार देश को लंबे समय से था. शिया वक़्फ़ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी ने इस्लाम का त्याग कर सनातन धर्म अपना लिया है. अब भविष्य में वसीम रिजवी, जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी के नाम से जाने जाएंगे. तो क्या देश को वसीम के इस निर्णय से किसी तरह की कोई हैरत हुई? होने को तो इस प्रश्न के सैंकड़ों जवाब हो सकते हैं. लेकिन सच्चाई यही है कि बीते कुछ वक्त से वसीम रिज़वी जिस तरह की बातें कर रहे थे ख़ुद ब खुद इस बात की तस्दीख हो चुकी थी कि आज नहीं तो कल वो दिन आएगा जब इस्लाम का दामन छोड़ वसीम भगवा ओढ़ेंगे. तो अब जबकि वसीम जनता की उम्मीदों की कसौटी पर खरे उतरे हैं तो जिस बात को लेकर वाक़ई हैरत होनी चाहिए वो है जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद सरस्वती द्वारा उन्हें सनातन धर्म ग्रहण करवाना. वसीम, यति नरसिंहानंद सरस्वती के जरिये हिंदू हुए हैं. और हमने इस बात को हैरत से जोड़ा है. तो ये यूं ही नहीं है. इसके पीछे पर्याप्त कारण हैं.
सनातन धर्म अपनाकर वसीम ने हिंदूवादी संगठनों को मथुरा के कन्वर्जन का मौका दे दिया है
भले ही यति अपने को महंत, एक योद्धा और हिंदू हृदय सम्राट बताते हों लेकिन उसका असली चेहरा क्या है? उनकी सोच कैसी है? सफल महिलाओं के प्रति उनका क्या नजरिया है? गर जो इन सभी सवालों के जवाब तलाश करने हों तो कहीं दूर क्या ही जाना बेहतर है हम उनके उस बयान का अवलोकन कर लें जो अभी बीते दिनों वायरल हुआ है और जिसमें उन्होंने भाजपा की महिला नेताओं के विषय में अनर्गल और अतार्किक बातें कही हैं.
विषय बहुत सीधा सा है. एक न एक दिन वसीम इस्लाम को छोड़ेंगे ये सबको पता था लेकिन ये सब यति नरसिंहानंद सरस्वती की देख रेख में होगा शायद ही इसका अंदाजा किसी को होगा. कहना गलत नहीं है कि अपने द्वारा लिए गए फैसले से जहां एक तरफ मुसलमानों को आहत किया है तो वहीं यति की क्षरण में जाने के कारण हिंदू धर्म से जुड़े लोग भी वसीम से खफा हैं. यानी कन्वर्ट होकर वसीम ने मुसलमानों को तो चिढ़ाया. साथ ही उन्होंने हिंदुओं और हिंदुत्व का भी अपमान किया उन्हें ठेंगा दिखाया.
बताते चलें कि सनातन धर्म अपनाने से पहले वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने कहा था कि, मुझे इस्लाम से बाहर कर दिया गया है. मेरे सिर पर हर शुक्रवार को ईनाम बढ़ा दिया जाता है. इसलिए मैं सनातन धर्म अपना रहा हूं. अपने इस फ़ैसले पर अपना पक्ष रखते हुए वसीम रिजवी ने ये भी कहा था कि,'धर्म परिवर्तन की यहां कोई बात नहीं है, जब मुझे इस्लाम से निकाल दिया गया तो फिर मेरी मर्जी है कि मैं कौन-सा धर्म स्वीकार करूं.
वसीम ने ये भी कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जितनी उसमें अच्छाइयां पाई जाती हैं, और किसी धर्म में नहीं हैं. इस्लाम को हम धर्म ही नहीं समझते. हर जुमे को नमाज के बाद हमारा सिर काटने के लिए फतवे दिए जाते हैं तो ऐसी परिस्थिति में हमको कोई मुसलमान कहे, हमको खुद शर्म आती है.'
On behalf of all Sanatanis, @ ULTIMATE ASTROLOGER, welcomes Shri Tyagi ji (Ex Mr. Wasim Rizvi) back to the True and Original Religion of entire Mankind. ???May Mahadev guide you towards further Glory & Greatness.#WasimRizvi #Global pic.twitter.com/v2KYQSmkkY
— @ ULTIMATE ASTROLOGER (@ultimateastrol1) December 6, 2021
वहीं बीते कुछ वक्त से वसीम संग कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे और उन्हें अपना भाई बताने वाले यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कहा कि हम वसीम रिजवी के साथ हैं, वसीम रिजवी त्यागी बिरादरी से जुड़ेंगे. यति उर्फ त्यागी के जरिये रिज़वी के त्यागे बनने से हैरत न होने की एक बड़ी वजह वो वसीहत भी है जो अभी बीते दिनों उस वक़्त लोगों की जुबान पर चढ़ी थी जब वसीम रिज़वी ने साधू संतों के बीच हरिद्वार में अपनी विवादास्पद किताब मोहम्मद का विमोचन किया था.
ध्यान रहे किताब के कंटेंट के कारण जहां एक तरफ वसीम रिज़वी को जान से मारने की धमकी मिली थी वहीं मौलानाओं और मुफ्तियों तक ने इस बात को भी कह दिया था कि वसीम रिज़वी को मरने के बाद कब्रिस्तान में जगह नहीं दी जाएगी.
Many asked my views about Wasim RizviIts same today as 5 years back. He is male version of #NusratJahanCashing opportunity of Sanatan uprisingYou are known by the company you keep and he is with Deepak TyagiKeep an ? on him like you do on Deepak Tyagi ?#वसीम_रिज़वी pic.twitter.com/OIUTx0phnJ
— #डाक्टर_साब ?? (@daakter_saab) December 6, 2021
मौलानाओं की इस चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देते हुए वसीम रिज़वी ने अपनी वसीयत सार्वजनिक की थी और कहा था कि मरने के बाद उन्हें दफनाया न जाए, बल्कि हिंदू रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाए और उनके शरीर को जलाया जाए. वसीम रिजवी ने कहा था कि यति नरसिम्हानंद उनकी चिता को अग्नि दें.
वसीम रिज़वी कंवर्ट हो गए हैं तो क्या कहानी पर पूर्ण विराम लग गया है?
रिज़वी से जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बने वसीम को जो करना था वो उन्होंने कर लिया. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या कंवर्जन का चैप्टर वसीम पर आकर बंद हो गया है? जवाब है नहीं. कह सकते है कि इस पूरे खेल में वसीम एक मोहरा हैं और असली बाजी तो मथुरा में चली जा रही है.
On the great day of #ShauryaDiwas, it is official that Wasim Rizvi (Once a Shia Waqf Board Chairman) did a #GharWapsi and becomes Jeetendra Narayan Singh Tyagi Jai Shree Ram @WasimRizvi_IND Ji आपका स्वागत है pic.twitter.com/QIQHqLkKd1
— IndUS Lens (@IndusLens) December 6, 2021
वसीम रिजवी के बाद असली तैयारी तो मथुरा मस्जिद को कनवर्ट कराने की है. इसे पढ़कर हैरत में आने की कोई जरूरत नहीं है. एक ऐसे समय में जब यूपी विधानसभा चुनावों को बस कुछ दिन शेष रह गए हों हिंदूवादी संगठनों की इच्छा वही है जो हिंदू वोटबैंक को एक करेगी और जिसका फायदा भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में मिलेगा.
दरअसल मामला कुछ यूं है कि 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर मथुरा में चार हिंदूवादी संगठनों- अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास, नारायणी सेना और श्रीकृष्ण मुक्ति दल ने शाही ईदगाह मस्जिद में जलाभिषेक कार्यक्रम का ऐलान किया था. अखिल भारतीय हिन्दू महासभा नेप्रशासन परिसर में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करने की इजाजत मांगी थी. हालांकि, प्रशासन ने इन संगठनों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है. जिसके बाद बवाल बढ़ गया है.
मथुरा में कुछ यूं तैनात हैं सुरक्षा बल
शहर में प्रशासन ने धारा-144 लगा दी है. सुरक्षा के तहत मस्जिद और उसके आसपास उत्तर प्रदेश पुलिस, पीएसी के जवान और आरएएफ के जवान तैनात किए गए हैं. मस्जिद की तरफ जाने वाले हर शख्स का पहले पहचान पत्र चेक किया जा रहा है, फिर उसकी बकायदा तलाशी ली जा रही है. उसके बाद ही मस्जिद की तरफ जाने दिया जा रहा है.
चूंकि मौजूदा वक्त में तिल को ताड़ बनाने के लिए सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है इसलिए मथुरा पुलिस सोशल मीडिया पर न केवल कड़ी निगरानी रख रही है बल्कि अराजक तत्वों पर एक्शन भी ले रही है.सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने पर शहर के गोविंदनगर और कोतवाली पुलिस थाने में 4 अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुईं हैं वहीं पुलिस ने आरोपियों पर कार्रवाई की बात को भी स्वीकार किया है.
साफ है कि अयोध्या के बाद अब हिंदूवादी संगठनों का इरादा मथुरा मस्जिद को कराने का है. संगठन अपनी मुहीम में कितना कामयाब होता है इसका फैसला तो वक़्त करेगा लेकिन मथुरा से पहले जिस तरह वसीम कन्वर्ट होकर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बने हैं तमाम हिंदूवादी संगठनों ने किले पर सेंध लगा दी है. भविष्य में जो जंग होगी यकीनन मंजर देखने लायक रहेगा.
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