बंगाल में 5 इंच की जमीन से लड़ा जा रहा है भाजपा का चुनावी युद्ध
भाजपा की आईटी सेल ने पश्चिम बंगाल में कैसे अपना प्रचार किया इसकी जानकारी मिल गई है. एयर स्ट्राइक से जुड़ी पोस्ट कैसे लोगों तक पहुंचाई गईं ये खुद भाजपा आईटी सेल के एक सदस्य ने बता दिया.
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आए दिन ऐसी खबरें सुनने में आती हैं कि पश्चिम बंगाल में मोदी, योगी का हेलिकॉप्टर नहीं उतरने दिया गया या फिर भाजपा का प्रचार-प्रसार बंगाल में फीका है, पर असलियत तो ये है कि भाजपा का प्रचार पश्चिम बंगाल में किसी हेलिपैड का मोहताज नहीं है. बंगाल में भी भाजपा IT सेल बेहद सतर्क है और जिस तरह से काम चल रहा है वो दिखाता है कि 5 इंच की मोबाइल स्क्रीन भी भाजपा के लिए चुनावी जमीन तैयार करने में मदद कर रही है.
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार का एक इंसान जो हर वक्त अपने हाथ में दो मोबाइल फोन और स्मार्टफोन चार्जर लिए चलता है पहली बार देखने पर एकदम साधारण सा लगेगा, लेकिन भाजपा के लिए ये इंसान बहुत काम का है. दीपक दास जो भाजपा की आईटी सेल में काम करते हैं वो पार्टी के वॉट्सएप और सोशल मीडिया योद्धा है.
दीपक और उनकी टीम 24 घंटे व्यस्त रहते हैं.
1114 वॉट्सएप ग्रुप और भाजपा के ट्विटर-फेसबुक पेज के संचालक-
जहां आम तौर पर घरों में फेसबुक, वॉट्सएप आदि को कामकाज का दुश्मन माना जाता है वही दीपक के लिए घर चलाने का काम है. दैनिकभास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक दीपक सिर्फ पार्टी से जुड़ी खबरें और जरूरी जानकारियां ही शेयर करते हैं. दीपक के पास दो मोबाइल नंबर हैं और एक से 229 ग्रुप और दूसरे से 885 वॉट्सएप ग्रुप चलाए जाते हैं. हर ग्रुप में 30 से लेकर 250 लोग शामिल हैं.
क्यों इतने बड़े नेटवर्क की जरूरत पड़ रही है बंगाल में?
दीपक की मानें तो टीएमसी के आंतक के कारण जमीनी प्रचार संभव नहीं है और सोशल मीडिया गुप्त हथियार की तरह काम करता है. दीपक 2014 से ही भाजपा से जुड़े हुए हैं. यही कारण है कि सोशल मीडिया में व्यस्तता बढ़ाई गई है.
कैसे होता है काम?
दीपक लोगों को पार्टी के अकाउंट की ओर आकर्षित करते हैं. वो लोगों को अन्य उम्मीदवारों के अकाउंट्स और पोस्ट के बारे में बताते हैं. जरूरी खबरें शेयर करते हैं. वो अलग-अलग मुद्दों पर लोगों को बहस में भी शामिल करते हैं और पार्टी मैसेज भी शेयर करते हैं.
इन ग्रुप्स के जरिए भाजपा की योजनाओं, संदेश आदि को शेयर करते हैं. मसलन अगर पार्टी ने कोई फैसला लिया है तो उससे जुड़ी पोस्ट बनाकर इन ग्रुप्स के जरिए वायरल की जाती है. यहां ये समझने वाली बात है कि भाजपा के आईटी सेल के कुछ लोग आम लोग बनकर ये पोस्ट शेयर करते हैं.
पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक के दिन 24 घंटे काम-
पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत की तरफ से की गई एयर स्ट्राइक को भुनाने के लिए भाजपा आईटी सेल ने पूरा दम लगाया था. खुद दीपक की मानें तो सर्जिकल स्ट्राइक वाले दिन पूरी टीम ने 24 घंटे काम किया था और लगभग हर ग्रुप में पोस्ट की गई थी.
विपक्ष को डील करने का अलग तरीका-
भाजपा आईटी सेल के लोग असल में दूसरी पार्टियों की आईटी सेल द्वारा बनाए गए पेज का हिस्सा भी बने रहते हैं. कारण? अन्य पार्टियां क्या काम कर रही हैं, कैसे उन पार्टियों के नेताओं के विवादित बयानों का इस्तेमाल किया जा सकता है, कैसे विपक्षी पार्टियों के खिलाफ पोस्ट वायरल किए जा सकते हैं ये सब कुछ इसी आधार पर तय किया जाता है.
यानी रणनीति बनाने में भी सोशल मीडिया के योद्धा कुछ कम नहीं हैं. इसे तो चाणक्य नीति ही कहा जाएगा कि दुश्मन की कमजोरी को पता कर उसके खिलाफ इस्तेमाल किया जाए. भाजपा आईटी सेल के लोगों को बाकायदा इसकी ट्रेनिंग दी गई है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे करना है.
खुद दीपक का फेसबुक अकाउंट देखा जाए तो इसमें भाजपा के प्रचार के अलावा कुछ और नहीं दिखेगा.
भाजपा IT सेल टीवी से लेकर फेसबुक तक फतेह-
हाल ही में ये बात सामने आई है कि विवादित NamoTV भाजपा के आईटी सेल द्वारा चलाया जा रहा है और अमेठी से लेकर वाराणसी तक चुनावों की कैंपेन में भाजपा आईटी सेल का बहुत बड़ा योगदान है. कुछ नहीं तो भाजपा की #MainBhiChowkidar कैंपेन ही देख लीजिए जो भाजपा आईटी सेल की हिट कैंपेन का नतीजा है. सोशल मीडिया पर आने वाले मीम्स से लेकर ट्विटर के ट्रेंडिंग हैशटैग तक बहुत कुछ ऐसा है जो भाजपा की आईटी सेल करती है.
विपक्षी नेताओं की गलतियों को सामने लाने का काम भी बहुत हद तक आईटी सेल का ही होता है. वॉट्सएप, सोशल मीडिया, वायरल वीडियो और अब टीवी तक सब कुछ इसी आईटी सेल की मेहनत का फल है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि भाजपा का आधा कैंपेन तो 5 इंची जमीन से ही चल रहा है. बीजेपी के सोशल मीडिया कैंपेन में कितनी ताकत है, इसका उदाहरण है त्रिपुरा का चुनाव. जहां बीजेपी के पास मजबूत संगठन के अभाव और वामपंथियों के ताकतवर नेटवर्क की खाई को बीजेपी आईटी सेल ने पाट दिया. मैदानी चुनाव प्रचार में पार्टी कार्यकर्ताओं का आमना-सामना होना, और फिर उसमें बड़े पैमाने पर हिंसा होना आम बात है. ऐसे में सोशल मीडिया पर खामोशी से चलने वाला प्रचार कामयाब साबित हुआ. बीजेपी ने बड़ी ही आसानी से वामपंंथियों के त्रिपुरा दुर्ग में सेंध लगा दी. 60 सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा में कम्युनिस्ट पार्टी 16 सीटों तक सिमट गई. अब यही डर बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को सता रहा है.
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