Sir Creek इलाके में पाकिस्तान की घुसपैठ के पीछे इरादा खतरनाक है
सेना को गुजरात और सिंध के बॉर्डर पर कुछ संदिग्ध खाली नावें मिलीं. अभी सेना इस उधेड़-बुन में थी कि कहीं इन नावों का इस्तेमाल आतंकियोंने घुसपैठ के लिए तो नहीं किया कि इसी बीच गूगल पर सर क्रीक (Sir Creek) सर्च होने लगा.
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एक ओर जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दों के खिलाफ सेना ने बड़ी कार्रवाई की है और लश्कर-ए-तैयबा के 8 आतंकियों को गिरफ्तार किया है, वहीं दूसरी ओर गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांंत की सीमा पर भी सेना को एक संदिग्ध नाव मिली हैं. आशंका जताई जा रही है कि आतंकियों की योजना कोई बड़ा हमला करने की थी. वैसे भी, मंगलवार को मुहर्रम है और आतंकियों के लिए दहशत फैलाने का इससे अच्छा मौका क्या हो सकता है. लेफ्टिनेंट जनरल सैनी के अनुसार खाली नावों का इस्तेमाल आतंकियों ने किया हो सकता है, जो भारत के दक्षिणी भाग में हमला करने की फिराक में हों. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि वह हर आतंकी हमले को नाकाम करने की पूरी कोशिश करेंगे. अभी सेना इस उधेड़-बुन में थी कि आखिर आतंकियों का प्लान क्या है कि इसी बीच गूगल पर सर क्रीक (Sir Creek) सर्च होने लगा. अब सवाल ये है कि सर क्रीक है क्या?
सेना को गुजरात और सिंध के बॉर्डर सर क्रीक पर कुछ संदिग्ध खाली नावें मिलीं.
सर क्रीक क्या है?
दरअसल, सर क्रीक वह इलाका है, जहां से सेना को संदिग्ध नाव बरामद हुई है. यह भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध को एक दूसरे से अलग करता है. आपको बता दें कि सर क्रीक को लेकर काफी समय से विवाद है, जिस पर पाकिस्तान भी अपना दावा करता रहा है. यह 96 किलोमीटर लंबा इलाका है, जो कच्छ के रण में स्थित है और पानी के कटाव से बना है. इसका नाम पहले बन गंगा था, लेकिन एक ब्रिटिश अधिकारी के नाम पर बाद में इसका नाम बदल कर सर क्रीक कर दिया गया.
क्या है सर क्रीक का विवाद?
आजादी से पहले सिंध और कच्छ दोनों ही बॉम्बे प्रेसिडेंसी और ब्रिटिश इंडिया का हिस्सा थे. लेकिन 1947 में भारत की आजादी के बाद सिंध पाकिस्तान का हिस्सा बन गया, जबकि कच्छ भारत के हिस्से में ही रहा. तभी से सर क्रीक सीमा विवाद की वजह भी बन गया, जो कच्छ और सिंध को अलग करता है. पाकिस्तान दावा करता है कि सिंध की सरकार और कच्छ के राव महाराज के बीच जो बॉम्बे गवर्नमेंट रिजॉल्यूशन 1914 साइन हुआ था, उसके पैराग्राफ 9 और 10 के तहत सर क्रीक पाकिस्तान का हिस्सा है. यह विवाद 1960 में शुरू हुआ और इससे निपटने के लिए 8 दौर की बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका.
1965 के युद्ध के बाद ब्रिटिश प्रधानमंत्री हारोल्ड विल्सन ने दोनों ही देशों को बातचीत के लिए मनाया और इस विवाद के निपटारे के लिए एक ट्रिब्यूनल बनाया. ट्रिब्युनल ने 1968 में अपना फैसला सुनाया, जिसके तहत पाकिस्तान को अपने 9000 किलोमीटर के दावे का सिर्फ 10 फीसदी मिला. 1969 से सर क्रीक के मुद्दे पर 12 बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. यहां 1999 में काफी तनाव भी हो गया था, जब पाकिस्तानी नेवी ने एक मिग-21 फाइटर प्लेन को मार गिराया था. सर क्रीक को लेकर आखिरी बार 2012 में बातचीत हुई थी, तब से अब तक इसकी यथास्थिति बनी हुई है.
सर क्रीक की खासियत क्या है?
एक तो सर क्रीक भारत-पाकिस्तान के बीच में एक स्ट्रेटेजिक लोकेशन है, इसलिए दोनों ही देशों के बीच विवाद की वजह बना हुआ है. वहीं दूसरी ओर, सर क्रीक की सबसे अधिक अहमियत फिशिंग यानी मछली मारने के लिए है. सर क्रीक एशिया का सबसे बड़ा फिशिंग ग्राउंड है. यहां आपको बता दें कि फिशिंग करते-करते अक्सर भारत और पाकिस्तान के मछुआरे गलती से सीमा पार भी कर देते हैं, क्योंकि पानी से उन्हें अंदाजा नहीं लगता कि सीमा कहां तक है. इतना ही नहीं, माना जाता है कि यहां समुंद्र में तेल और गैस का भारी भंडार है, जिसे अभी तक खोजा नहीं जा सका है. वैसे भी, जब तक विवाद का समाधान नहीं होता, तब तक कोई भी देश यहां किसी तरह की खोज नहीं कर सकता है.
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