प्रधानमंत्री मोदी कहीं हताश तो नहीं हो गए?
यूपी इलेक्शन और भी दिलचस्प मोड़ लेता जा रहा है. अब मोदी के नए बयान से कुछ ऐसा लग रहा है कि वो जरा हताश हो गए हैं और बीजेपी उत्तर प्रदेश में अपनी वही सदियों पुराना दांव खेल रही है. तो क्या है मोदी के भाषण के मायने?
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उत्तर प्रदेश के तीसरे चरण के मतदान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़तेहपुर में एक चुनावी रैली में समाजवादी पार्टी पर जाति और धर्म के नाम पर भेदभाव करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस तरह की राजनीति से हर कोई प्रभावित हो रहा है. उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं से हर किसी को फ़ायदा हो रहा है न कि किसी ख़ास जाति और धर्म के लोगों को. फतेहपुर में चौथे चरण के चुनाव में 23 फ़रवरी को मतदान होना है.
मोदी ने कहा ''रमज़ान में बिजली आती है तो दिवाली में भी आनी चाहिए. भेदभाव नहीं होना चाहिए. यदि क़ब्रिस्तान है तो श्मशान भी होना चाहिए. ईद और होली दोनों के मौके पर बिजली आनी चाहिए. किसी भी सूरत में भेदभाव नहीं होना चाहिए.''
अब प्रधानमंत्री के इस बयान को किस तरह से लिया जाए? प्रथम दृष्टया तो यही लगता है कि वे अब तीन चरणों के मतदान के बाद शायद समझ गए हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुमत नहीं मिलने वाला है इसलिए वो अपनी विकास का नारा छोड़कर बीजेपी का परंपरागत दांव "हिंदुत्व" का कार्ड खेल दिया है.
जब उन्होंने रमजान, क़ब्रिस्तान, श्मशान, और ईद जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया तो ये बात साफ़ हो चुकी थी कि मोदी ने इशारों-इशारों में विरोधियों पर 'मुस्लिम तुष्टिकरण' का आरोप मढ़ दिया है. इस बयान के बाद ऐसा प्रतीत होने लगा है जैसे मोदीजी अपनी पुरानी रंगत में आ चुके हैं और उत्तर प्रदेश में भाजपा की वापसी के लिए 'हिंदुत्व कार्ड' का आखिरी दांव खेल चुके हैं. प्रधान मंत्री के इस बयान पर दिल्ली के मुख्यमंत्री ने ट्वीट भी किया-
''मोदी जी का ये बयान दिखाता है की भाजपा यूपी में बुरी तरह हार रही है और मोदी जी बहुत नर्वस हैं.''
अभी तक उत्तर प्रदेश में तीन चरणों में आधे से अधिक सीटों पर यानि 403 में से 209 सीटों पर मतदान हो चुका है. अगर हम इन तीन चरणों में 2012 के विधानसभा में भाजपा के प्रदर्शन की बात करें तो पार्टी को मात्र 26 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी.
बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश कितना महत्वपूर्ण?
नोटबंदी के बाद पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं जिसमे उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है. उत्तर प्रदेश में बीते 15 साल के दौरान भाजपा की सरकार नहीं बनी है. हालांकि, 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपना दल के साथ मिलकर राज्य की 80 सीटों में से 73 सीटें जीतीं थी.
उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए बेहतर प्रदर्शन इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि जुलाई में ही देश के नए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव होना है और देश का सबसे बड़ा राज्य होने के नाते वहां के वोटों का मूल्य भी अधिक होता है. तब उसके पास अपने सहयोगियों के साथ ये चुनाव जीतने के लिए जरूरी संख्या मिल जाएगी और इस तरह उसे अपनी पसंद का व्यक्ति राष्ट्रपति बनवाने में आसानी होगी. लेकिन यूपी में हार मिलने पर यह समीकरण थोड़ा गड़बड़ा जाएगा और बीजेपी को AIADMK जैसे दल के दबाव में आना पड़ सकता है. शायद इसीलिए यह भी कहा जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव नतीजे भाजपा के लिए आगे का दिशा व दशा निर्धारित करेंगे.
फिलहाल उत्तर प्रदेश में चुनाव जारी हैं और मोदी के इस बयान का भाजपा को कितना फायदा पहुंचने वाला है ये तो मार्च 11 को ही पता चल पायेगा जब चुनावों का रिजल्ट आएगा.
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