बुरहान पर महबूबा घिरी नहीं, ये उनका सियासी स्टाइल है!
महबूबा किन बच्चों की बात कर रही हैं? क्या उन बच्चों की जिन्हें वो सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर से मौका मिलने पर छुड़ा लेतीं? या उन बच्चों की बात कर रही हैं जिनकी हिंसा के दौरान मौत हो गई?
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पाकिस्तान को लेकर महबूबा मुफ्ती का लहजा भले ही सख्त नजर आ रहा हो, लेकिन बुरहान पर उनका स्टैंड कहीं से भी अलहदा नहीं है. बीते बरसों में ऐसे तमाम मौके देखने को मिले हैं जब दहशतगर्दी में शामिल कश्मीर नौजवानों के मारे जाने पर वो खुद भी आंसू बहाती हैं- और उनके परिवार वालों को भी रोने के लिए अपना कंधा मुहैया कराती रही हैं.
विरोधी दलों के शोर मचाने पर अपने बयान की सफाई में भी महबूबा ने जो कुछ कहा है वो भी कहीं अलग नहीं नजर आता है.
महबूबा का सियासी कार्ड
जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जब पाकिस्तान को कश्मीरी नौजवानों के प्रति अलग रवैया अपनाने को लेकर कड़ी चेतावनी दी तो लगा उनके तेवर में तब्दीली आ रही है. ऐसा लगा जैसे वो अपने पिता से भी कहीं आगे जा रही हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?
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महबूबा ने कहा था, "पाकिस्तान को हमारे बच्चों को बंदूक उठाने और मरने के लिए हौसलाअफजाई नहीं करनी चाहिये... मेरी नजर में ये ढोंग है. खुद तो पाकिस्तान अपने यहां जो भी हथियार उठाता है उसे यातनाएं देता है और हमारे बच्चों को अलग नसीहत दे रहा है. ये गलत है."
असल में, महबूबा के पिता ने कभी पाकिस्तान के खिलाफ ऐसी सख्ती नहीं दिखाई, बल्कि पिछली बार तो घाटी में शांतिपूर्ण चुनाव का क्रेडिट भी दे डाला था.
सच तो ये है कि हिज्बुल कमांडर बुरहान के एनकाउंटर से अनजान बनकर महबूबा ने सियासी कार्ड खेला है. अब महबूबा कह रही हैं कि उनके बयान का गलत मतलब निकाला गया.
महबूबा का मैसेज और उसके मायने समझने होंगे |
कश्मीर के लोगों को महबूबा ने ये समझाने की कोशिश की कि अगर उन्हें पता होता कि बुरहान सुरक्षाबलों के बीच घिरा है तो उसे बचा लेतीं. महबूबा का कहना था, "सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि उन्हें तीन उग्रवादियों के छिपे होने का शक हुआ. उन्हें नहीं मालूम था कि वे कौन हैं. अगर मुझे उसके के बारे में जानकारी मिलती, तो मैं उसे एक मौका देती."
बयान पर सफाई
महबूबा के बयान पर बीजेपी ने जहां कड़ा एतराज जताया वहीं विपक्षी दलों ने आतंकवाद के मसले पर राजनीति से बाज आने को कहा. फिर महबूबा ने कहा, "मैं यह कहना चाहती हूं कि अगर पता होता की बुरहान वानी वहां है तो एक फीसदी चांस था कि सुरक्षा बल उसे नहीं मारते, क्योंकि घाटी में हालात बेहतर हो रहे थे."
इस मसले पर बीजेपी नेता शाहनवाज हुसैन ने कड़े शब्दों में कहा कि "बुरहान वानी मारा गया, ये हमारे सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी कामयाबी है." मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार सुहेल बुखारी ने भी सरकार का पक्ष रखते हुए कहा "मुख्यमंत्री ने राजनीतिक फायदा पाने के लिए बात नहीं कही. पहले भी कई बार सुरक्षा बलों ने एंटी मिलिटेन्सी ऑपरेशन बंद किए हैं, अगर उसके नुकसान ज्यादा हो गए हों."
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कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘एक ओर तो आप कठोरता बरतने की बात करते हैं और दूसरी ओर गद्दारों के लिए आंसू बहाते हैं.’’ अपने जवाबी हमले में महबूबा ने राजनीतिक विरोधियों को ताकीद की है कि वे गरीब नौजवानों की कब्र पर सियासत से बाज आएं.
किसकी कुर्बानी?
पीडीपी के स्थापना दिवस के मौके पर अपने नेताओं के साथ मीटिंग के बाद भी महबूबा ने कहा कि कश्मीर में जो बच्चे मारे गए हैं उनकी कुर्बानी बेकार नहीं होने देंगे.
अब सवाल ये है कि महबूबा किन बच्चों की बात कर रही हैं? क्या उन बच्चों की जिन्हें वो सुरक्षाबलों के साथ एनकाउंटर से मौका मिलने पर छुड़ा लेतीं? या फिर, उन बच्चों की बात कर रही हैं जिनकी हिंसा के दौरान मौत हो गई?
वो ये जताने की कोशिश जरूर कर रही हैं कि वो पाकिस्तान और आतंकवादियों को चेतावनी दे रही हैं, लेकिन अपनी बातों से वो जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री कम और पीडीपी की नेता ज्यादा नजर आ रही है.
लगता तो ऐसा ही है कि महबूबा अपने लोगों तक अपनी बात पहुंचा रही हैं. वो बिलकुल वही बोल रही हैं जो पॉलिटिकली उन्हें सूट करता है.
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