जंतर मंतर मामले में अश्विनी उपाध्याय की गिरफ़्तारी ने बता दिया कानून से ऊपर भाजपा भी नहीं!
जंतर मंतर पर जो हुआ वो एक देश के रूप में भारत की अखंडता और एकता पर सवाल उठा ही रहा था लेकिन मामले में भाजपा के अश्विनी उपाध्याय समेत 6 लोगों की गिरफ्तारी ने बता दिया कि कानून से ऊपर कुछ नहीं है फिर चाहे वो सत्ता धारी दल भाजपा ही क्यों न हो.
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भारतीय संविधान में यूं तो तमाम चीजों का वर्णन है. लेकिन जो बात इसे बेहद खास और लोकतंत्र के रूप में भारत को सशक्त बनाती है. वो है इसमें एकता और अखंडता का जिक्र. संविधान में एकता और अखंडता का मतलब है राष्ट्र के सब घटकों में भिन्न-भिन्न विचारों और विभिन्न आस्थाओं के होते हुए भी आपसी प्रेम, और भाईचारे का बना रहना. ध्यान रहे राष्ट्रीय एकता में केवल शारीरिक समीपता ही महत्वपूर्ण नहीं होती बल्कि उसमें मानसिक,बौद्धिक, वैचारिक और भावात्मक निकटता की समानता भी आवश्यक है. एक तरफ संविधान को लेकर ये बातें हैं दूसरी तरफ दिल्ली का जंतर मंतर है. जहां देश की अखंडता और एकता को ठेंगा दिखाते हुए हेट स्पीच ने एक बार फिर संविधान की धज्जियां उड़ाने का प्रयास तो किया, लेकिन दिल्ली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए मामले में बीजेपी नेता अश्वनी उपाध्याय समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है. आरोपियों में विनोद शर्मा, दीपक सिंह, दीपक, विनीत क्रांति, प्रीत सिंह शामिल हैं. इस पूरे मसले पर विस्तार से चर्चा होगी लेकिन मामले में उपरोक्त 6 लोगों को गिरफ्तार कर दिल्ली पुलिस ने पूरे देश को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि कानून से ऊपर कुछ नहीं है. सत्ताधारी दल से जुड़ा नेता भी नहीं.
जंतर मंतर हेट स्पीच मामला सोशल मीडिया पर लगातार सुर्खियां बटोर रहा है
बताते चलें कि बीते दिन संसद भवन से कुछ ही कदम की दूरी पर स्थित जंतर मंतर पर देश में औपनिवेशिक युग के क़ानूनों के ख़िलाफ़ एक प्रोग्राम हुआ था जहां कथित तौर पर मुस्लिम विरोधी और हिंसा के लिए उकसाने वाले नारे लगे थे. प्रोग्राम का अयोजन सुप्रीम कोर्ट के वकील और दिल्ली प्रदेश बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने किया था जिसमें 100 से ऊपर लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी.
प्रोग्राम का वीडियो सोशल मीडिया पर जंगल की आग की तरह फैला हुआ है. वायरल हो रहे इस वीडियो को यदि ध्यान से देखें और इसका अवलोकन करें तो मिलता है कि प्रोग्राम में शिरकत करने आए लोग देश में रहने वाले मुसलमानों को जान माल का नुक़सान पहुंचाने की धमकियां देते नजर आ रहे हैं.
Ironically, Jantar Mantar is on 'Sansad Marg'.The national capital is brimming with communal mobs baying for blood and the genocidal maniacs in power strategically look away. Happy Independence Day to you too. pic.twitter.com/A0pu6kWZZ8
— Abhishek Baxi (@baxiabhishek) August 8, 2021
गौरतलब है कि मामले के तहत सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस और उसकी कार्यप्रणाली को भी संदेह के घेरों में रखा गया था. कहा जा रहा था कि जिस वक्त ये हेट स्पीच चल रही थी दिल्ली पुलिस मौके पर मौजूद थी लेकिन उसकी तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया. बाद में जब मामले में दिल्ली पुलिस को घेरा गया तो गिरफ्तारी हुई. जिसकी पुष्टि खुद दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिस्वाल ने की है.
पुलिस की तरफ से तर्क ये भी दिया गया है कि आयोजनकर्ताओं की तरफ से प्रोग्राम की परमीशन नहीं ली थी. यदि ऐसा है तो फिर सवाल ये भी है कि जब प्रोग्राम हुआ तो पुलिस ने उस समय एक्शन क्यों नहीं लिया और सबसे बड़ी बात तब इसे लेकर कोई गिरफ़्तारी क्यों नहीं हुई ?
वहीं एक वीडियो वो भी सामने आया है जिसमें प्रोग्राम के आयोजनकर्ता अश्विनी उपाध्याय सामने आए हैं और उन्होंने खुद को निर्दोष बताया है और कहां है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं कि नारे लगाने वाले लोग कौन हैं.
वीडियो असली है या नकली, यह जांच के बाद पता चलेगा लेकिन एक बात तय है कि बनाया गया है #भारत_जोड़ो_आंदोलन और मुझे बदनाम करने के लिए @HMOIndia @LtGovDelhi @CPDelhi @DCPNewDelhi pic.twitter.com/g4KChiQBJS
— Ashwini Upadhyay (@AshwiniUpadhyay) August 9, 2021
सोशल मीडिया पर एक वर्ग ऐसा भी है जो इस घटना को आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव से भी जोड़कर देख रहा है. धुर्वीकरण के लिहाज से अहम इस घटना के सन्दर्भ में कहा जा रहा है कि इसका सीधा असर 2022 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में देखने को मिलेगा जैसे जैसे चुनाव नजदीक आएंगे नफरत को इस तरह ही खाद पानी दिया जाएगा.
Breaking: Police detains youth activists who assembled at Jantar Mantar, New Delhi to protest against hate rally that was held here on August 8 pic.twitter.com/7XUf0v1WxW
— Zafar Aafaq (@ZafarAafaq) August 10, 2021
इस पूरे मामले में जो बात सबसे दिलचस्प है और जो कहीं न कहीं विचलित भी करती है. वो ये है कि लोगों की बहुत बड़ी आबादी है जो भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय के समर्थन में सामने आई है. ट्विटर और फेसबुक पर ऐसे हैशटैग बनाए गए हैं जिनमें अश्विनी उपाध्याय को बेगुनाह बताया गया है और तत्काल प्रभाव में उनकी रिहाई की मांग की गयी है.
घटना ने सियासी रंग ले लिया है और वो लोग भी जंतर मंतर पहुंचे जो इस हेट स्पीच के विरोध में थे लेकिन पुलिस द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
Breaking: Police detains youth activists who assembled at Jantar Mantar, New Delhi to protest against hate rally that was held here on August 8 pic.twitter.com/7XUf0v1WxW
— Zafar Aafaq (@ZafarAafaq) August 10, 2021
देश का भविष्य क्या है? किसी को नहीं पता.लेकिन जंतर मंतर पर जो ये घटना हुई है. उसने निश्चित तौर पर एक लोकतंत्र के रूप में भारत को सवालों के घेरे में डाल दिया है. सवाल ये है कि क्या राष्ट्रवाद का नाम लेकर कुछ देशविरोधी ताकतें देश तोड़ने का काम कर रही हैं? क्या अब एक भारतीय के रूप में हमें भारत को एक सेक्युलर देश कहने से पहले दो बार सोचना पड़ेगा?
बहरहाल पुलिस ने इस मामले में 6 लोगों को हिरासत में लिया है जिसमें भाजपा के नेता अश्विनी उपाध्याय भी शामिल हैं. भले ही दिल्ली पुलिस मामले को लेकर आलोचना से दो चार हो रही हो मगर भाजपा नेता की गिरफ्तारी ने इस बात की तस्दीख कर दी है कि देश में कानून और न्यायपालिका से ऊपर कुछ नहीं है फिर चाहे वो सत्ताधारी दल भाजपा ही क्यों न हो.
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