लीजिए, पाकिस्तान से तारीफ आ गई दिग्विजय के बयान की!
भारत में भले ही दिग्विजय सिंह ट्रॉल के शिकार हो रहे हों, लेकिन पाकिस्तान में उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ने लगी है. ताजा ताजा उन्होंने कश्मीर को 'भारत के कब्जे वाला कश्मीर' बता डाला है.
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पहले सुन लीजिए कि दिग्विजय सिंह ने अपने श्रीमुख से कहा क्या-
#WATCH: Digvijaya Singh addresses J&K as India occupied Kashmir, later clarifies that it's integral part of Indiahttps://t.co/6XC28a2q5T
— ANI (@ANI_news) August 18, 2016
अब इस बयान पर भारत में भले ही दिग्विजय सिंह ट्रॉल के शिकार हो रहे हों, लेकिन पाकिस्तान में उनकी फैन फॉलोइंग बढ़ने लगी है. जैसे ही दिग्विजय का कश्मीर पर विशेष बयान आया पाकिस्तान में एक शख्स ने ट्वीट फौरन लपक लिया.
पाकिस्तान में दिग्विजय के बयान का इस्तेमाल... |
ये कैसी सफाई
सलमान खुर्शीद के बाद कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ मोर्चा अपने हाथ में लिया दिग्विजय सिंह ने, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया.
प्रधानमंत्री ने पाकिस्तान को कठघरे में घसीटते हुए लाल किसे से अपने भाषण में बलूचिस्तान का मसला उठाया था और ये दिग्विजय को नागवार गुजरा.
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कांग्रेस महासचिव दिग्विजय ने मोदी को टारगेट करते हुए कहा, ''उनको पाक अधिकृत कश्मीर की ज्यादा चिंता है. बलूचिस्तान की चिंता है. उन्हें बधाई देते हैं, धन्यवाद देते हैं. लेकिन हिंदुस्तान के कश्मीरियों से बात करने को तैयार नहीं है. चाहे पाक ऑक्युपाइड कश्मीर हो या भारत ऑक्युपाइड कश्मीर हो, अगर विश्वास कायम करना है तो बाचतीच के जरिए हो सकता है. पीएम के इस टकराव से हालात बिगड़ेंगे, सुधरेंगे नहीं.''
जब मीडिया ने दिग्विजय के बयान में 'भारत ऑक्युपाइड कश्मीर' पर तस्वीर साफ करने को कहा तो वो सफाई देने लगे.
मेरे बयान का मतलब वो है जो... |
अपनी सफाई में दिग्विजय बोले, ''मैंने कहा है कि जो हिंदुस्तान का कश्मीर है. वहां की घाटी की चिंता नहीं है, लेकिन पीओके की चिंता है. ऐसा नहीं है, कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. महाराज हरि सिंह जी ने पूरा कश्मीर भारत में मिलवाया था, लेकिन ऐसी स्थितियां बनी जो ऐसा हुआ.''
बलूचिस्तान पर खुर्शीद के बयान को तो कांग्रेस ने निजी राय बताई थी, लेकिन दिग्विजय के बारे में रणदीप सूरजेवाला ने कहा कि उन्होंने खुद सफाई दे दी है इसलिए बिलावजह मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है.
दिग्विजय की हैट्रिक
रासायनिक क्रियाओं के परीक्षण में पहली बार में संभावना जताई जाती है - मसलन, 'एसिटेट हो सकता है'. दूसरी बार में उसकी पुष्टि की जाती है - 'एसिटेट होने की संभावना है'. तीसरी बार तो पक्के तौर पर मान लिया जाता है - 'एसिटेट है'.
2011 में जब अमेरिका ने पाकिस्तान में घुस कर आतंकी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया तो दिग्विजय ने कहा, "ओसामाजी पाकिस्तान में कई सालों से रह रहे थे. ये कैसे संभव था कि पाकिस्तान का अथॉरिटीज उसका पता नहीं लगा पाई." दिग्विजय ने अमेरिका से दरख्वास्त की थी कि ओसामा के शव को सम्मानजनक तरीके से दफनाने का इंतजाम करे.
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2013 में एक मौके पर पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद को लेकर दिग्विजय ने कहा, "हाफिज सईद साहब आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं और पाकिस्तान उनका समर्थन करता है."
पहली बार दिग्विजय का ओसामा बिन लादेन पर बयान आया तो माना गया जबान फिसल गयी. दूसरी बार दिग्विजय ने जब हाफिज सईद को सम्मान दिया तो उसे उनकी भूल माना गया. लेकिन तीसरी बार कश्मीर पर उनके बयान को किस रूप में देखा जाना चाहिये?
कोई न कोई केमिकल लोचा तो है, लेकिन ये भी तो किसी मुन्नाभाई को ही समझ आएगा.
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