पंजाब सीएम की कुर्सी के सिद्धू समेत 6 दावेदार, जानिए राहुल के करीब कौन?
कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी के पहले दावेदार तो नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) ही हैं, लेकिन कुर्सी पर तो वही बैठेगा जो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के सबसे ज्यादा करीब होगा.
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कैप्टन की कहानी तो कांग्रेस में खत्म हो गयी. बीजेपी की देखा-देखी ही सही, राहुल गांधी ने भी ये मैसेज देने की कोशिश की है कि कांग्रेस नेतृत्व भी वैसा ही फैसला ले सकता है. गुजरात की तरह पंजाब में पूरा मंत्रिमंडल भले ही न बदला जा सके, लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह (Capt. Amrinder Singh) के करीबियों की मुश्किल तो बढ़ ही गयी है. कम से कम कैप्टन अमरिंदर की तरफ से उनके अगले कदम की घोषणा होने तक.
अब अगर बाबुल सुप्रियो राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा करके भी ममता बनर्जी के साये में तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर सकते हैं, तो कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने भी तो विकल्प खुले ही हैं - और ये बात वो खुद कह भी रहे हैं.
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के पाकिस्तान कनेक्शन का जिक्र कर कैप्टन अमरिंदर ने ये इशारा तो कर ही दिया है कि उनकी नयी पॉलिटिकल लाइन क्या होने वाली है? और ये तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कहते हैं - '...जो ना समझें वो अनाड़ी हैं.' देखा जाये तो कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सिद्धू पर उसी अंदाज में हमला बोला है जैसे बीजेपी नेता किया करते हैं - नये ही क्यों, बूढ़े परिंदों को उड़ने भी वक्त तो लगता ही है.
वैसे कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद नंबर तो नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) का ही आता है. इस्तीफे के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह भी ऐसा ही कह रहे हैं, लेकिन साथ में ये भी जोड़ देते हैं कि जो मंत्री रहते एक डिपार्टमेंट नहीं संभाल सका वो पूरा स्टेट क्या संभालेगा?
बेशक नवजोत सिंह सिद्धू ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी वाड्रा का पसंदीदा युवा जोश नेता बनकर कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ लड़ाई जीत ली हो, लेकिन ये कोई मुख्यमंत्री बन जाने की गारंटी भी तो नहीं है - क्योंकि कतार में राहुल और प्रियंका के करीबी और भी नेता हैं.
नवजोत सिंह सिद्धू
पंजाब में जीता कौन - ये फैसला तो अब जनता ही करेगी और मालूम विधानसभा चुनाव के नतीजे आने पर ही होगा, लेकिन अभी तो ऐसा ही लगता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पर नवजोत सिंह सिद्धू ही भारी पड़े हैं.
कैप्टन अमरिंदर सिंह खुद को भले ही पूर्व प्रधानमंत्री को अपना दोस्त बतायें, लेकिन बच्चों ने तो दोस्ती उनके राजनीतिक दुश्मन नवजोत सिंह सिद्धू ने ही निभायी है - और अभी के हिसाब से देखा जाये तो सिद्धू ने रेस में कैप्टन को पछाड़ तो दिया ही है.
कैप्टन अमरिंदर से सिंह के बाद पहले नंबर पर नवजोत सिंह सिद्धू हैं तो लेकिन ये उनके खिलाफ भी जा सकता है
ये तो शुरू से ही सबको पता है कि नवजोत सिंह सिद्धू की नजर पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है, लेकिन क्या ईंट से ईंट खड़का देने की सरेआम धमकी देने वाले नेता को राहुल गांधी मुख्यमंत्री बनाना चाहेंगे - वो भी तब जब अशोक गहलोत और भूपेश बघेल जैसे मुख्यमंत्री लगातार अपनी मनमानी कर रहे हों?
अगर परगट सिंह की बात मान भी लें कि सिद्धू कांग्रेस नेतृत्व को नहीं बल्कि पंजाब प्रभारी हरीश रावत को धमका रहे थे, लेकिन राहुल गांधी को क्या ये ठीक लगेगा कि जिस नेता को वो पंजाब में कांग्रेस को बचाये रखने की जिम्मेदारी सौंपे हों, उसे ही सरेआम धमकाया जाये?
सुनील जाखड़
सिद्धू से पहले सुनील जाखड़ ही पंजाब कांग्रेस के प्रधान रहे - सिद्धू ने जंग तो छेड़ी थी कैप्टन अमरिंदर के खिलाफ लेकिन कुर्सी सुनील जाखड़ की हथिया ली. कैप्टन के बाद मुख्यमंत्री पद की रेस में सुनील जाखड़ फ्रंट रनर समझे जा रहे हैं.
सुनील जाखड़ मुख्यमंत्री पद की रेस में फ्रंट रनर माने जा रहे हैं.
लोक सभा के स्पीकर रहे बलराम जाखड़ के बेटे सुनील जाखड़ 2012 से 2017 तक पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिविपक्ष रह चुके हैं. 2017 के लोक सभा उपचुनाव में गुरदासपुर से वो लोक सभा के सांसद बने थे.
नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस की कमान सौंपे जाने से पहले किसी हिंदू को पीसीसी अध्यक्ष बनाये जाने की जो मांग हो रही थी, उसकी वजह सुनील जाखड़ ही रहे - क्योंकि सुनील जाखड़ को पंजाब में कांग्रेस का बड़ा हिंदू चेहरा माना जाता है.
कृषि कानूनों का विरोध करने वाले नेताओं में सुनील जाखड़ आगे आगे चलते देखे गये थे - और बीजेपी के खिलाफ राहुल गांधी भी कृषि कानूनों का जोरदार विरोध कर रहे हैं.
रवनीत सिंह बिट्टू
रवनीत सिंह बिट्टू भी पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के विरोधी खेमे के नेता रहे हैं, लेकिन उनकी अपनी हैसियत रही है जो नवजोत सिंह सिद्धू से अलग दिखायी पड़ती है.
रवनीत सिंह बिट्टू को हाल ही में संसद से बाहर अकाली नेता हरसिमरत कौर बादल से उलझते देखा गया था - और जान से मारने की धमकी के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ाकर जेड कैटेगरी की कर दी गयी है.
रवनीत सिंह बिट्टू की मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के पीछे सबसे बड़ी बात राहुल गांधी का करीबी होना है
रवनीत सिंह बिट्टू के राहुल गांधी के करीबी होने की एक बड़ी वजह 2014 और 2019 की दोनों मोदी लहर में उनकी जीत भी है. वो फिलहाल लुधियाना से सांसद हैं - और सुनील जाखड़ से तुलना करके देखें तो पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह के वो पौत्र हैं.
जिन दिनों खबर आयी थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह चाहते हैं कि किसानों का आंदोलन जल्दी खत्म हो जाये, रवनीत सिंह जोर शोर से राहुल गांधी की आवाज बुलंद करते हुए कोशिश कर रहे थे कि किसानों का आंदोलन जारी रहे. राहुल गांधी ने लोक सभा के लिए भी रवनीति बिट्टू को अहम जिम्मेदारी दे रखी है.
सुखजिंदर सिंह रंधावा
पंजाब के मुख्यमंत्री पद की रेस में कैप्टन सरकार में जेल मंत्री रहे सुखजिंदर सिंह रंधावा भी माने जा रहे हैं. सीनियर नेताओं में शुमार सुखजिंदर सिंह रंधावा भी कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मुहिम में विरोध की आवाज रहे हैं.
मुख्यमंत्री पद की रेस में सुखजिंदर सिंह रंधावा को को अनुभवी होने के साथ साथ सिद्धू की पसंद होना डबल बेनिफिट वाला हो सकता है
कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि नवजोत सिंह सिद्धू भी सुखजिंदर सिंह रंधावा के नाम पर राजी हो गये हैं. ये सुखजिंदर सिंह रंधावा ही रहे जो कैप्टन के विरोध में पंजाब के 40 विधायकों के साथ कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मिलने देहरादून पहुंच गये थे.
पंजाब के कांग्रेस विधायक दल ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत कर दिया है - और अनुभवी होने के नाते समझा जा रहा है कि रंधावा भी सोनिया गांधी की पसंद बन सकते हैं, बशर्ते वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को भी पसंद हों.
प्रताप सिंह बाजवा
राहुल गांधी ने कई राज्यों में अपनी पसंद के जिन नेताओं को कमान सौंपी थी, पंजाब से प्रताप सिंह बाजवा का नाम भी उनमें शामिल था. ये प्रताप सिंह बाजवा ही रहे जिनको 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले हटाकर कर कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाया गया था.
रवनीत सिंह बिट्टू और सिद्धू से पहले राहुल गांधी के सबसे करीबी तो प्रताप सिंह बाजवा ही रहे हैं
दरअसल, जब 2012 में दोबारा कांग्रेस विधानसभा चुनावों में हार गयी तो राहुल गांधी ने कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर प्रताप सिंह बाजवा को पीसीसी अध्यक्ष बना दिया था, लेकिन पांच साल के भीतर चुनावों से पहले ही कैप्टन गांधी परिवार के दरबार में फैल गये और तभी माने जब कुर्सी वापस मिली.
सुनील जाखड़ की तरह प्रताप सिंह बाजवा भी कृषि कानूनों के खिलाफ कांग्रेस की तरह से विरोध करने के मामले में आगे दिखायी देते रहे हैं - राहुल गांधी का करीबी होने के नाते प्रताप सिंह बाजवा भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जा सकते हैं.
राजकुमार वेरका
राजकुमार वेरका अमृतसर वेस्ट से कांग्रेस विधायक हैं और उनको मुख्यमंत्री पद का दावेदार समझे जाने की एक ही खास वजह है उनका दलित समुदाय से होना. राजकुमार वेरका अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके हैं.
राजकुमार वेरका की दावेदारी इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि बीजेपी ने पंजाब में अगला मुख्यमंत्री दलित समुदाय से बयाने जाने का प्रस्ताव रख दिया है. बीजेपी की इस मांग के कारण ही अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल ने सत्ता में आने पर दलित डिप्टी सीएम बनाये जाने की घोषणा कर चुके हैं. अकाली दल का दलित नेता मायावती की पार्टी बीएसपी के साथ पंजाब में चुनाव गठबंधन भी हो रखा है.
अगर चुनाव से पहले ही कांग्रेस दलित मुख्यमंत्री बनाना चाहे तो राज कुमार वेरका बेस्ट च्वाइस हैं
हालांकि, हाल ही में राजकुमार वेरका के एक बयान से कांग्रेस की फजीहत भी हुई थी जिसमें उन्होंने कांग्रेस के किसानों के आंदोलन को प्रायोजित करने का दाना कर डाला था.
कांग्रेस विधायक दल के जिस प्रस्ताव में सोनिया गांधी को नया मुख्यमंत्री चुनने के लिए अधिकृत किया गया है, ब्रह्म महिंद्रा ने उसे पेश किया था और राजकुमार वेरका ने अनुमोदन किया है.
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