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Updated: 05 मई, 2019 11:48 AM
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यूपी में कांग्रेस उम्मीदवारों को लेकर प्रियंका गांधी वाड्रा के एक बयान पर खूब बवाल हो रहा है. बवाल बढ़ने पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने यू-टर्न भी ले लिया है फिर भी विरोधी दलों की बयानबाजी नहीं थमी है.

यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और कांग्रेस के बीच एक आभासी समझौते की तस्वीर शुरू से ही धुंधली नजर आ रही है. राहुल गांधी का गठबंधन के नेताओं को सम्मान और मायावती की दूर रहने की हिदायत भी काफी अजीब लगा.

रायबरेली में समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में प्रियंका वाड्रा के अचानक धमक जाने से लोगों का चौंक जाना - और लखनऊ में शत्रुघ्न सिन्हा का कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करना - चुनावी मौसम में बड़े अजीब वाकये लगते हैं.

समाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में प्रियंका वाड्रा चीफ गेस्ट

जब कांग्रेस महासचिव ने आज तक के साथ इंटरव्यू में बीजेपी के वोट काटने और कई जगह कांग्रेस के मजबूत उम्मीदवार होने की बात कही, तो अखिलेश यादव की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आयी. झट से प्रियंका गांधी ने भूल सुधार कर ली और कह दिया कि कांग्रेस ने कोई कमजोर कैंडिडेट नहीं उतारे हैं.

रायबरेली के ऊंचाहार में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्म में प्रियंका वाड्रा का मुख्य अतिथि बन कर जाना भी गठबंधन के साथ घालमेल की ओर ही इशारा करता है. ऐसे मंच पर जहां अखिलेश यादव की तस्वीर लगी हो और चारों तरफ समाजवादी पार्टी के झंडे और चुनाव निशान छाये हुए हों, प्रियंका वाड्रा का जाना यूं ही तो नहीं लगता. कार्यक्रम के आयोजक समाजवादी पार्टी के विधायक और यूपी के पूर्व मंत्री मनोज कुमार पांडेय के कांग्रेस से अच्छे रिश्ते बताये जाते हैं - लेकिन ये क्या बात हुई? क्या दो दलों के नेताओं के आपसी रिश्ते अच्छे होंगे तो वे एक दूसरे के राजनीतिक कार्यक्रमों में ऐसे ही तफरीह के लिए आते जाते रहेंगे?

जब मायावती और अखिलेश यादव एक मंच पर आते हैं तो ब्रेकिंग न्यूज होता है. जब मायावती और मुलायम सिंह यादव मंच शेयर करते हैं तो यूपी की राजनीति के इतिहास में ऐतिहासिक घटना मानी जाती है.

रिश्ते तो ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के भी अच्छे ही कहे जाएंगे. ये तीनों शरद पवार के घर पर मिले और गठबंधन तक की बात हो गयी. मगर ये तीनों दिल्ली में विपक्ष की रैली में मंच साझा नहीं किये - ये तो यही बता रहा है कि राजनीति में रिश्ते घरों तक सीमित होते हैं, चुनावी रैली तक उनकी पहुंच नहीं होती.

आज तक के साथ इंटरव्यू में प्रियंका वाड्रा ने कहा था कि यूपी में कांग्रेस ने जीतने वाले और मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं - और जो नहीं जीत पाएंगे वो राज्य में बीजेपी को डैमेज करेंगे. प्रियंका वाड्रा ने कहा, 'हमने उत्तर प्रदेश में मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं. वैसे तो सब जीतेंगे और जो नहीं भी जीत रहे हैं, वे बीजेपी का वोट काटेंगे. कांग्रेस ने ऐसे उम्मीदवार उतारे हैं जो जीत सकते हैं अथवा जिनके पास राज्य में बीजेपी की उम्मीदों को नुकसान पहुंचाने की क्षमता है.' बाद में प्रियंका वाड्रा ने अपना बयान सुधार लिया था और कहा था कि कांग्रेस ने सभी मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं.

priyanka vadra, manoj pandeyसमाजवादी पार्टी के कार्यक्रम में प्रियंका गांधी वाड्रा का क्या काम?

रायबरेली में सपा-बसपा गठबंधन की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं है, प्रियंका वाड्रा के मनोज पांडेय के कार्यक्रम में शामिल होने के पीछे ये भी वजह बतायी जा रही है. माना जा रहा है कि सपा-बसपा कार्यकर्ता कांग्रेस को सपोर्ट कर रहे हैं - लेकिन ये बात खुले तौर पर तो अब तक सामने नहीं आ सकी है. कम से कम अखिलेश यादव या मायावती के कांग्रेस को लेकर दिये गये बयानों में नहीं ही ऐसा हुआ है.

रायबरेली के कार्यक्रम में प्रियंका वाड्रा ने सपा कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया और उनके काफिले में लाल टोपी लगाये आखिलेश यादव के समर्थक भी देखे गये - ये सब यूं ही तो नहीं होता. वो भी जब चुनावी माहौल चरम पर हो.

शत्रुघ्न सिन्हा के लिए तो सपा और कांग्रेस घर जैसे हैं

शत्रुघ्न सिन्हा तो लखनऊ में कांग्रेस नेतृत्व की अनुमति से वैसे ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं जैसे फिल्म बजरंगी भाईजान में परमिशन लेकर एक छोटी बच्ची को छोड़ने सलमान खान पाकिस्तान गये थे. शत्रुघ्न सिन्हा अपनी पत्नी और सपा-बसपा उम्मीदवार पूनम सिन्हा के लिए लखनऊ में लगातार प्रचार कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ऐसा वो कांग्रेस के सहयोग से कर रहे हैं.

फिर तो सवाल यही है कि कांग्रेस प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम को किस कैटेगरी का टिकट मिला हुआ है - खुद के बूते जीतने वाला या बीजेपी उम्मीदवार का वोट काटने वाला. लखनऊ से बीजेपी के उम्मीदवार केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हैं.

poonam, shatrughna sinha, akhilesh yadavशत्रुघ्न सिन्हा को राहुल गांधी का कितना सहयोग मिल रहा है?

शत्रुघ्न सिन्हा डिंपल यादव के साथ पूनम सिन्हा के रोड शो में तो शामिल हुए ही, अखिलेश यादव के साथ भी चुनाव प्रचार कर रहे हैं. मौका मिलते ही जैसे प्रधानमंत्री मोदी को कोसते हैं, उसी अंदाज में अखिलेश यादव की तारीफों के पुल भी बांध देते हैं. शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी छोड़कर कुछ ही दिन पहले कांग्रेस ज्वाइन किया है और अपनी इच्छा के मुताबिक बिहार की पटना साहिब सीट से ही चुनाव लड़ रहे हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा ने अखिलेश यादव को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी बता डाला है. सवाल है कि क्या इसमें भी शत्रुघ्न सिन्हा को कांग्रेस नेतृत्व का सहयोग मिल रहा है? ये तो बड़ा अजीब है कि कांग्रेस के लोग राहुल गांधी के अलावा किसी और को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार मान लें. शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं कि सही मायने में कहा जाए तो अखिलेश यादव रोल मॉडल हैं और दुनिया को आकर सीखना चाहिए कि उन्होंने कर्मठता, ईमानदारी और देश सेवा की भावना के साथ क्या-क्या काम किया है.

ये सब देखने के बाद किसी को भी आखिर क्या समझ आएगा? ऐसा लगता है जैसे यूपी में हाथी के दांत की तरह दिखाने के गठबंधन अलग हैं और चुनावी राजनीति के अलग.

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