गुलाम नबी आजाद के सेना पर बयान से साफ है कि हमें किसी दुश्मन की जरूरत नहीं!
ऑपरेशन ऑल आउट पर गुलाम नबी आजाद के बयान से साफ है कि हमें किसी दुश्मन देश की जरूरत नहीं है और इनका ये बयान सेना का मनोबल तोड़ने का काम करेगा.
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सरकार देश की सुरक्षा को लेकर बेहद सख्त है. सरकार जब सख्त है और पिक्चर ठीक ठाक चल रही है तो मनोरंजन के लिहाज से कहानी के प्लाट में ट्विस्ट आना लाजमी है. ऑपरेशन ऑल आउट को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद बेहद चिंता में हैं. ये शायद गुलाम नबी आजाद की चिंता ही है जिसके चलते वो आहत हो गए हैं और उन्होंने इस मामले पर बयानों की झड़ी लगा दी है. आजाद का कहना है कि जम्मू कश्मीर में सेना के ऑपरेशन में आंतकियों से ज्यादा आम लोगों की जानें जाती है.
मीडिया से हुई बातचीत में आजाद ने अपने तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि अब जबकि भाजपा जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन ऑल आउट की बात कर रही है तो लाजमी है इससे बड़े पैमाने पर आम लोगों की हत्याएं होंगी. साथ ही आजाद का ये भी कहना है कि सैन्य अभियानों में जितने आतंकी मरते हैं, उससे कहीं ज्यादा आम लोगों की 'हत्याएं' होती हैं. उन्होंने बातचीत में पुलवामा में हुए ऑपरेशन का उदाहरण दिया जिसमें सेना ने एक आतंकी को मार गिराया मगर 13 आम नागरिकों को मौत के घाट उतार दिया.
गुलाम नबी आजाद ने जो बयान दिया है वो कई मायनों में निंदनीय है
एक ताजे बयान में अपनी बात रखते हुए आजाद का तर्क है कि, चूंकि ये कार्यवाई आतंकवाद के खिलाफ बताई जा रही है अतः हम इसका स्वागत करते हैं और इस मामले पर सरकार के साथ हैं. घाटी के आम लोगों की सुरक्षा पर बेहद गंभीर होते हुए आजाद का कहना है कि, कार्यवाई के नाम पर आम आदमियों का 'कत्लेआम' नहीं होना चाहिए. आजाद ने कार्यवाई को कत्लेआम की संज्ञा क्यों दी इसपर अपनी बात साफ करते हुए उन्होंने कहा कि, कभी कभी आतंकियों के घनी आबादी में छुपे होने के कारण बड़ी संख्या में आम नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ती है. आजाद का मानना है कि कोई भी कार्रवाई आम आदमियों की जान की कीमत पर बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. हालांकि, जब आजाद ये बयान देते हैं तो वह उस सच्चाई को छुपा जाते हैं कि आम लोगों के भेस में कुछ 'आम लोग' आतंकियों के खिलाफ आर्मी ऑपरेशन में बाधा डालते हैं और उनके भाग जाने में मदद करते हैं.
आजाद के इस बयान के बाद बहस छिड़ गयी है कि आखिर उन्होंने कार्यवाई को 'कत्लेआम' की संज्ञा क्यों दी? इसपर सफाई देते हुए कांग्रेस का कहना है कि चूंकि इसमें आम जनता का खून बह रहा है इसलिए ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया गया है. कांग्रेस का मानना है कि ये कोई तरीका नहीं है कि ऑपरेशन ऑल आउट के नाम पर घाटी के आम लोगों को मारा जाए.
गौरतलब है कि बीते दिनों बीजेपी द्वारा जम्मू कश्मीर की गठबंधन सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद ऐसी चर्चा है कि राज्यपाल शासन के अंतर्गत सैन्य अभियानों पर ज्यादा जोर होगा. ध्यान रहे कि समर्थन वापसी के बाद से ही विपक्षी पार्टियां घटी में भाजपा के मंसूबों पर संदेह जता रही हैं.
विपक्ष के आरोप सही है आजाद के इस बयान से सेना का मनोबल टूटेगा
निश्चित तौर पर ये गुलाम नबी आजाद की तरफ से आया एक बड़ा बयान है. लाजमी है विपक्ष इसकी आलोचना करे. आजाद के इस बयान के बाद भाजपा ने उन्हें घेरना शुरू कर दिया है. भाजपा का आरोप है कि आजाद द्वारा कही जा रही बात से सेना का मनोबल टूटेगा. भाजपा का ये भी तर्क है कि कांग्रेस चाहे तो भाजपा की आलोचना कर सकती है, मगर देश की सेना और सुरक्षा के लिहाज से उसके द्वारा की जा रही कार्यवाई पर अंगुली उठाने से उसे बचना चाहिए.
बहरहाल, वाकई आजाद का ये बयान निंदनीय है और कहना गलत नहीं है कि जब हमारे पास ऐसे नेता हों जो सेना द्वारा की जा रही कार्यवाई को नरसंहार या फिर कत्लेआम की संज्ञा दें तो फिर हमें किसी दुश्मन देश की जरूरत नहीं है. कांग्रेस का शुमार इस देश की पुरानी पार्टियों में है बेहतर है वो आतंकवाद के खिलाफ चलाई जा रही मुहीम के अंतर्गत सरकार का साथ दे और सेना का मनोबल बढ़ाए. यदि कांग्रेस इस बात को समझ गई तो अच्छा है वरना यूं भी उसकी थू थू हो रही है और ऐसे बयान उसे केवल हंसी और आलोचना का पात्र ही बनाएंगे.
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