मौत के बाद ही क्यों जागती है सरकार !
ठंड से उड़ाने रद्द, ट्रेनें लेट और यात्रियों को हो रही परेशानी तो आम तौर पर दिखाई जाती है, पर जो खबर दबकर रह जाती है वो है गरीबों की मौतें. सरकार ने ठंड को लेकर बजट पास करवा लिया लेकिन क्या कुछ काम हुआ?
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पूरे देश के समाचारों में इस समय ठंड का मतलब - ठंड और कोहरे से यातायात प्रभावित, 81 ट्रेनें लेट, 3 रद्द और 13 उड़ानों पर असर पड़ा है आदि ही है, जबकि उत्तर प्रवेश में 16 लोगों की मौत की खबर, गरीब मौतों की तरह ही मार गई.
सांकेतिक फोटो |
पूरा उत्तर भारत इन दिनों कड़ाके की ठंड की चपेट में है. दिल्ली समेत पूरे एनसीआर में शुक्रवार सुबह की शुरुआत ही जबरदस्त कोहरे से हुई. मौसम विभाग के मुताबिक अगले पांच दिनों तक इस तरह की ठंड बरकरार रहेगी. राजधानी दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में शीतलहर से बढ़ी ठिठुरन जानलेवा हो गई है. इस खबर के बाद की नोटबंदी के कारण भारत में करीब 60 लोगों की मौत हो चुकी है, लखनऊ में कोहरे से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, सुलतानपुर, बाराबंकी, अमेठी, सीतापुर, लखीमपुर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच व श्रावस्ती में कोहरे के साथ शीतलहर तेज हो गई है. पश्चिमी हवाएं सक्रिय हो गई हैं. इससे सर्द हवाएं चलने से तापमान में काफी गिरावट आ रही है. आने वाले दिनों में प्रदेश में तापमान में और कमी आने की संभावना है.
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वैसे अभी तो ठंड पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुई है आज सुबह मैं जब इस खबर से रूबरू हुआ कि शीतलहर के प्रकोप से उत्तर प्रदेश में पिछले 24 घंटों में 16 मौत की घटनाएं हुईं, तो सचमुच एक बार फिर से ये सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या गरीब होना इस देश में सबसे बड़ा अभिशाप है, वैसे ठंड का पूरी तरह से शुरू होना बाकी है और पूरा उत्तर भारत शीत लहर की चपेट में अभी तक पूरी तरह नहीं आया, इन 16 मौतों से से बहुत सारे उनुत्तरिक सबाल खड़े होने शुरू हो गए हैं.
हालाँकि, प्रदेश सरकार ने उत्तर प्रदेश में शीतलहर से निपटने के लिए 18 करोड़ 81 लाख रूपए मंजूर करवाए हैं. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि शीतलहर के कारण पैदा होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखते हुए निराश्रित, असहाय एवं कमजोर वर्ग के असुरक्षित व्यक्तियों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से कंबल खरीदने के लिए हर तहसील के लिए पांच लाख रूपए की व्यवस्था की गई है. सरकार ने ये भी आदेश दिया है कि ठंड से लोगों की मौत न हो, इस बाबत पर्याप्त कदम उठाए जाएं. प्रदेश सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुपालन में गरीब एवं निराश्रित लोगों को शीतलहर से बचाव हेतु सार्वजनिक स्थानों पर अलाव, रैन-बसेरा एवं कम्बलों का वितरण व्यापक रूप से कराया जाए.
सांकेतिक फोटो |
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2007 तक करीब 826 मौतें ठंड के कारण हर साल होती रही हैं. वर्ष 2002 से 2012 तक, करीब 10,740 लोगों की मौत का कारण बनी ठंड. पिछले साल 2015-16 भारत की राजधानी दिल्ली में जाड़े में 164 लोगों के मरे जाने की खबर आई थी, त्रासदी ये है कि प्रति रात 8 लोग ठंड से कालकवलित हो रहे हैं ये आंकड़ा अगर भारत की राजधानी का है, तो सचमुच शर्मशार करने वाला है. सरकारें भी न तो कभी इन आंकड़ों पर ध्यान देती हैं, न ही जबावदेही लेती हैं, जिला प्रशासन द्वारा लोगों को ठंड से निजात दिलाने के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था अभी तक नहीं की गई है. ऐसे में खासकर गरीब-गुरवों का ठंड में हाल-बेहाल हैं.
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एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 1 लाख 35 हज़ार लोग भारत में बेघर हैं और मौसम की मार झेलने को अभिशप्त हैं, दुखद ये भी है कि सरकार, गैर सरकारी संस्थाओं जैसी तमाम संस्थाओं और NGO ने कभी भी इस बात के लिए तत्परता नहीं दिखाई की ठंड के मौसम की शुरुआत के पहले ही तमाम एहतियात के कदम उठाए और असमय लोगों की कल के गाल में जाने से बचा लिए जाए.
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