आईएएस रवि की मौत की सीबीआई जांच से परहेज क्यों?
ब्रूनो खूब रोया. सिर ऊपर उठाकर जोर जोर से. ऐसा लग रहा था जैसे सिर ऊपर उठाकर अपने मालिक को आवाज दे रहा हो. गोपाल ने तिरुमाहल्ली में अपने घर पर फांसी लगा ली. वह एक किसान था. हालांकि, 42 साल के गोपाल के शव के पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला.
-
Total Shares
ब्रूनो खूब रोया. सिर ऊपर उठाकर जोर जोर से. ऐसा लग रहा था जैसे सिर ऊपर उठाकर अपने मालिक को आवाज दे रहा हो. # गोपाल ने तिरुमाहल्ली में अपने घर पर फांसी लगा ली. वह एक किसान था. हालांकि, 42 साल के गोपाल के शव के पास कोई सुसाइड नोट नहीं मिला.ब्रूनो, आइएएस डीके रवि का पालतू है. रवि का शव देखते ही वो परेशान हो उठा. गोपाल रवि का प्रशंसक बताया जा रहा है जो उनकी मौत से काफी निराश था. रवि की मौत उससे बर्दाश्त नहीं हुई और उसने आखिरी रास्ता अख्तिया कर लिया. दक्षिण में फिल्म स्टार और नेताओं की मौत पर ऐसी घटनाएं सुनने को मिलती हैं. किसी ईमानदार अफसर के लिए ऐसा सुनने को कम ही मिलता है. अभी हफ्ता भर भी नहीं हुआ और रवि की दादी को दिल का दौरा पड़ा - और वो चल बसीं.
दिक्कत क्या है सीबीआई जांच में?
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक के गृह मंत्री केजे जॉर्ज का कहना कि रवि ने किसी निजी परेशानी की वजह से आत्महत्या की. ये बात लोगों के गले नहीं उतर रही है. रवि की मां गोरम्मा कहती हैं, 'मेरे बेटे ने खुदकुशी नहीं की होगी. वह ऐसा नहीं था. वह मजबूत इरादों वाला था. मेरा बेटा कायर नहीं था. मैंने ऐसे बेटे को जन्म नहीं दिया था जो खुदकुशी कर ले.'सीबीआई जांच की मांग करते हुए बीजेपी विधायक रवि की मौत के बाद रात भर विधानसभा में ही डटे रहे. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है, ‘ये ऐसा मामला नहीं है जिसे सीबीआई को सौंपा जाए.’ मुख्यमंत्री ने जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपी है. कर्नाटक बीजेपी का आरोप है कि राज्य सरकार इस मामले को रफा दफा करने की कोशिश में है. सवाल ये है कि एक मजबूत इच्छाशक्ति वाला अफसर आखिर ऐसा क्यों करेगा?
साजिश का शक
सामाजिक कार्यकर्ता गणेश एस कौंडिनी कहते हैं, 'जहां तक मुझे याद है गुरुवार और शुक्रवार को मेरी रवि से बात हुई थी. उन्होंने मुझसे कहा था कि उन्होंने कुछ डेवलपर्स और हाउसिंग सोसाइटी पर छापेमारी कर 400 करोड़ रुपये का इनकम टैक्स वसूला था.' कौंडिनी के मुताबिक रवि बेंगलुरु के कुछ बड़े डेवलपर्स के खिलाफ छापेमारी की तैयारी में थे - और वह गैर-कानूनी तरीके से नहीं भरे गए इनकम टैक्स की वसूली करना चाहते थे.रवि ईमानदार छवि के अफसर थे। उन्होंने बालू और खनन माफिया से लोहा लिया था. उनकी मौत के पीछे माफिया गुटों की साजिश का शक जताया जा रहा है. इसीलिए कर्नाटक पुलिस की 'खुदकुशी थ्योरी' किसी के गले नहीं उतर रही है.
क्या हुआ उस दिन
रूटीन बैठक के बाद करीब 11 बजे रवि अपने आवास पर पहुंचे. उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा था कि वो जल्द ही लौट रहे हैं. इसलिए उनका खाना भी दफ्तर में ही पहुंचा दिया गया था. ड्राइवर घर के पास गाड़ी में इंतजार कर रहा था, लेकिन वो बाहर नहीं आए. जब पत्नी वापस आईं तो अपनी ही नारंगी रंग की साड़ी में उन्हें पंखे से लटका पाया. सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची और जो ऊपर से दिखा वैसा बोल दिया. 'प्रथम दृष्टया मामला खुदकुशी का है.'रवि की मौत की जांच की सीबीआई से जांच कराने को लेकर उनके पिता करियप्पा, मां गौरम्मा और भाई रमेश ने विधानसभा के सामने धरना भी दिया. रवि के परिवारवालों ने धमकी दी है कि अगर केस की जांच सीबीआई से नहीं कराई गई तो वे आत्महत्या कर लेंगे.
सामाजिक कार्यकर्ता रवि की मौत के मामले में साजिश का शक जता रहे हैं. रवि का परिवार और विपक्ष सीबीआई जांच की मांग कर रहा है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इसके लिए तैयार हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की संस्तुति का इंतजार है. लेकिन सिद्धारमैया को ये मंजूर नहीं है. उनका कहना है कि केंद्र ने जो रिपोर्ट मांगी थी उसे भेज दी गई है. सदन से सड़क तक विरोध प्रदर्शनों के बावजूद आखिर माफिया और टैक्स चोरों के पीछे लगे एक युवा अफसर की मौत का मामला मुख्यमंत्री को सीबीआई जांच लायक क्यों नहीं लगता?
आपकी राय