हनीप्रीत को लेकर खट्टर का ताजा बयान 'विवादास्पद' है
हनीप्रीत के बच निकलने पर हरियाणा पुलिस ने पंजाब के साथ साथ राजस्थान पुलिस पर भी असहयोग के आरोप लगाये थे, लेकिन सीएम मनोहरलाल खट्टर ने सिर्फ पंजाब का ही नाम क्यों लिया?
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हनीप्रीत की कस्टडी के बाद भी हरियाणा पुलिस के हाथ अब तक कुछ खास नहीं लगा है. अगर कुछ लगा भी है तो वो हनीप्रीत को लेकर नहीं बल्कि पंजाब पुलिस की भूमिका को लेकर है.
पंजाब में कांग्रेस की सरकार है और हरियाणा में बीजेपी की. लगता है हनीप्रीत के बहाने दोनों राज्यों के बीच सियासी तकरार शुरू हो चुकी है - क्योंकि खुद सीएम मनोहर खट्टर ने इसकी शुरुआत की है.
दाल में कुछ काला...
हनीप्रीत को लेकर हरियाणा पुलिस बठिंडा के उस घर ले गयी जहां शक है कि वो चार दिन ठहरी थी. वो घर हनीप्रीत की दोस्त सुखदीप कौर का है जिसे साथ में गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, पुलिस के पूछने पर हनीप्रीत का कहना था कि उसे याद नहीं कि वो वहां गई थी या नहीं? डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम की मुहंबोली बेटी हनीप्रीत 10 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड पर है.
आधी दाल में काला क्यों?
इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने हनीप्रीत के इतने समय तक फरार रहने को लेकर पंजाब पुलिस की भूमिका पर शक जताया है. खट्टर का कहना है कि असल बात तो जांच के बाद ही मालूम होगी लेकिन लगता है - दाल में कुछ काला जरूर है.
#WATCH: Haryana Chief Minister Manohar Lal Khattar speaks on Punjab Police's role in #HoneyPreetInsan case, who was earlier absconding. pic.twitter.com/BYuTD6etpY
— ANI (@ANI) October 5, 2017
मीडिया में भी हनीप्रीत को लेकर ऐसी खबरें हैं जिनसे पता चला है कि हनीप्रीत फरार होने के दौरान काफी वक्त पंजाब में छिपती रही. खबर ये भी है कि कुछ पुलिस अफसरों ने भी हनीप्रीत की मदद की. इसमें चौंकाने वाली खबर ये है कि पुलिस अफसरों ने किसी नेता के कहने पर हनीप्रीत की मदद की. लेकिन खट्टर सरकार ये कैसे भूल जा रही है कि ये हरियाणा पुलिस ही रही जो हाथ पर हाथ धरे बैठी रही और हालात इतने बिगड़ गये कि पंचकूला में सेना को बुलाना पड़ा. ये खट्टर सरकार की पुलिस ही रही जो सवा महीने तक हनीप्रीत के नाम पर खाक छानती रही - और हनीप्रीत उसके हाथ तभी लगी जब उसकी ओर से पुलिस से संपर्क किया गया.
पंजाब पुलिस ही क्यों?
हनीप्रीत को पकड़ने के लिए हरियाणा पुलिस लगातार छापेमारी करती रही, लेकिन वो कभी हाथ नहीं लगी. देखा गया कि पुलिस के पहुंचने से पहले ही उसे भनक लग जाती और वो सुरक्षित निकल लेती.
सवाल ये है कि क्या हरियाणा पुलिस की हर गतिविधि की सूचना पंजाब पुलिस को होती थी? तो क्या हरियाणा पुलिस की सूचना पंजाब पुलिस का कोई मुखबीर दे रहा था? या फिर हरियाणा पुलिस की आस्तीन में ही कोई सांप ऐसा था जो हनीप्रीत तक खबर पहुंचा दे रहा था. क्या खट्टर सरकार ने इस बारे में जांच कर ली है कि उन्हीं के पुलिसवालों के रेड की जानकारी हनीप्रीत को कोई सीधे देता था या वाया पंजाब पुलिस?
पुलिस ने तो राजस्थान के मोडिया में हनीप्रीत की तलाश में छापे मारे थे, लेकिन वो पुलिस के पहुंचने से पहले ही पिछले दरवाजे से भाग गयी. वो तो राजस्थान पुलिस का इलाका है, पंजाब पुलिस की पहुंच वहां तो हो नहीं सकती. माना तो ये भी गया ता कि वो राजस्थान में भी छिपती रही.
हनीप्रीत 25 अगस्त की रात से ही गायब पायी गयी. उसी रात डेरा सच्चा सौदा की देखरेख करने वाली विपश्यना के फोन पर हनीप्रीत ने कॉल किया था. जब फोन का लोकेशन पता किया गया तो मालूम हुआ वो जगह बाड़मेर थी.
हरियाणा पुलिस ने हनीप्रीत के ड्राइवर प्रदीप को भी राजस्थान के लक्ष्मड़गढ़ से हिरासत में लिया था. पता चला वो कई दिनों से सालासार में छिपा हुआ था.
इस हिसाब से देखें तो राजस्थान पुलिस पर भी उतनी ही उंगली उठती है जितनी पंजाब पुलिस पर. खट्टर सरकार को राजस्थान पुलिस की भूमिका को लेकर दाल में कुछ काला क्यों नहीं लगता - क्या इसलिए कि राजस्थान में बीजेपी की सरकार है जहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं और पंजाब में कांग्रेस की जहां मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह हैं!
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