मोदी सरकार चाहकर भी हुर्रियत पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती !
बीजेपी जब तक पीडीपी के साथ सरकार चलाती रहेगी तब तक हुर्रियत पर बैन संभव नहीं होगा. या तो वो कश्मीर में सत्ता का सुख ले सकते हैं या हुर्रियत पर प्रतिबन्ध लगा सकते हैं.
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इंडिया टुडे और आज तक की विशेष जांच टीम ने 'ऑपरेशन हुर्रियत' से अलगाववादी नेताओं के चेहरे को बेनकाब कर दिया है. इस रिपोर्ट ने ये स्थापित कर दिया कि कश्मीर में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के तमाम नेता किस तरह पाकिस्तान से करोड़ों रुपए लेकर कश्मीर में हिंसा फैलाने में लगे हैं.
इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने जम्मू कश्मीर के बदहाल स्थिति के लिए ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को दोषी ठहरया, उन्होंने हुर्रियत को पाकिस्तान के पैसों पर वहां पथराव कराने का जिम्मदार ठहराते हुए उस पर बैन लगाने की मांग की है. पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह ने कहा की पैसे लेकर स्कूलों को जलाना आतंकवाद है और इस तरह आतंकवाद फैलाने वालों पर कार्रवाई होगी.
उन्होंने हुर्रियत को आतंवादी संगठन बताया एवं इसपर बैन लगाने की पुरजोर हिमायत की. पर क्या ऐसा हो सकता है? क्या वर्तमान परिस्थितयों में मोदी सरकार ऐसा कर पायेगी?
अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के अनुसार अगर कोई संघठन विघटनकारी गतिविधियों में संलग्न है, या भारत के एकता एवं सम्प्रभुत्ता के विरुद्ध काम कर रहा है तो ऐसे संगठन को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है. इंडिया टुडे के 'ऑपरेशन हुर्रियत' ने ये स्थापित कर दिया है कि हुर्रियत के नेता भारत के खिलाफ काम कर रहे हैं और अगर सरकार ने इनपर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट के प्रावधानों को लगाएगी तो बैन किया जा सकता है.
पर केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह के कहने के बावजूद क्या मोदी सरकार हुर्रियत को आतंकवादी संगठन घोषित कर के इस पर प्रतिबन्ध लगा सकती है? जम्मू एव कश्मीर राज्य में भाजपा, पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. मुख्यमंत्री पीडीपी की नेता मेहबूबा मुफ़्ती हैं.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के कश्मीर के अलगाववादियों के प्रति नरमी जगजाहिर है और पीडीपी के संस्थापक मुखिया दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद तो हमेशा से कश्मीर की स्वायत्ता के पैरोकार रहे हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि महबूबा मुफ्ती का भी अलगाववादियों के प्रति रुख हमेशा नरम रहा है. सत्ता में आने के बाद इनकी सरकार ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी अलगाववादी नेता मसर्रत आलम की रिहाई करवा दी थी. इसके ठीक विपरीत भाजपा हमेशा से अलगाववादियों को सख्ती से कुचलने की पक्षधर रही है.
केंद्रीय मंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह और भाजपा के अन्य नेता भले ही हुर्रियत कॉन्फ्रेंस पर सख्त कार्रवाई की मांग करते रहे, पर जबतक वो पीडीपी के साथ सरकार चलाते रहेंगे तब तक यह संभव नहीं होगा. या तो वो कश्मीर में सत्ता का सुख ले सकते हैं या हुर्रियत पर प्रतिबन्ध लगा सकते हैं. पर महबूबा के साथ सरकार में रह कर वो हुर्रियत पर प्रतिबन्ध नहीं लगा सकते.
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