रेपिस्ट के बचाव में क्यों खड़े हो जाते हैं मुलायम !
मुलायम सिंह यादव गायत्री प्रजापति को बेकसूर बता रहे हैं. उन्हें गायत्री पर इतना भरोसा है तो उसे कायम रखना चाहिये. अगर बेकसूर हुए तो वो दिन भी आएगी जब वो अदालत से बरी हो जाएंगे. इतने गंभीर मामले में इतनी बेचैनी क्यों है?
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यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के डिनर में मुलायम सिंह यादव की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गूफ्तगू की खासी चर्चा रही. ये दूसरा मौका था जब मोदी के कान में मुलायम को कुछ कहते हुए देखा गया. पिछली बार की बात तो अखिलेश ने बता भी दी थी, इस बार अभी तक पता नहीं चल पाया है. इस बीच, मुलायम सिंह ने रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को भरोसा दिलाया है कि वो उन्हें छुड़ा लेंगे - और जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री मोदी से भी बात करेंगे.
इतना ही नहीं समाजवादी हलके में रेप विमर्श का आलम ये है कि सीनियर नेता आजम खां का वीडियो वायरल हो चुका है जिसमें में उन्होंने सुरक्षा बलों के जवानों को भी लपेट लिया है.
कान में बात
मोदी के कान में कही मुलायम की बात का अखिलेश ने बड़े हल्के-फुल्के अंदाज में खुलासा किया था. पहले कहा कि सुनोगे तो मानोगे नहीं, फिर बताया कि मुलायम ने मोदी से कहा था - 'मेरा बेटा है संभल कर रहना'.
जरा सुनिये...
प्रधानमंत्री के सम्मान में योगी ने लखनऊ में डिनर का आयोजन किया था. न्योता तो अखिलेश यादव और मायावती को भी था लेकिन पहुंचे सिर्फ मुलायम सिंह थे. काफी देर तक उन्हें मोदी के साथ बातचीत करते देखा गया. दोनों एक ही टेबल पर बैठे थे. इस दौरान मोदी के कान में फिर कुछ कहते भी देखा गया. इस बारे में अभी तक किसी ने अखिलेश की तरह सामने आकर कुछ नहीं बताया है. वैसे भी किसी की आपसी बातचीत से किसी दूसरे को क्या लेना देना? हर किसी को ये हक है.
वैसे मुलायम सिंह का वो बयान जिसमें वो गायत्री प्रजापति को छुड़ाने के लिए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बात करने की बात करते हैं अजीब लगता है. आखिर मुलायम न्यायिक प्रक्रिया के रास्ते में जबरदस्ती क्यों घुसना चाहते हैं?
कारनामा बोलता है...
ये ठीक है कि जब तक किसी पर आरोप साबित न हो जाये उसे अपराधी नहीं माना जा सकता. लेकिन किसी मामले में रसूख का इस्तेमाल हो, रसूख के चलते सरकारी अमला उसके खिलाफ एक्शन न ले - यहां तक कि उसकी जमानत भी शक के घेरे में आ जाये तो वो केस सामान्य नहीं माना जा सकता. गायत्री प्रजापति की मुलायम से करीबी की तस्दीक करने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध तस्वीरें ही काफी हैं. एक तस्वीर जो सबसे ज्यादा नजर आती है उसमें गायत्री मुलायम के पैरों में झुके देखे जा सकते हैं. 27 जून को जब मुलायम उनसे मिलने जेल में पहुंचे तो वो इसी तरीके से दस मिनट तक पैरों पर गिर कर रोते रहे.
ये रिश्ता क्या कहलाता है?
17 फरवरी 2017 को गायत्री प्रजापति के खिलाफ रेप की शिकायत पुलिस ने दर्ज की. केस भी सु्प्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुआ. उससे पहले पीड़ित पक्ष धक्के खाता रहा. केस तो दर्ज हो गया लेकिन गायत्री को तब तक गिरफ्तार न किया जा सका जब तक चुनाव के नतीजे नहीं आये. 11 मार्च को नतीजे आये और 15 मार्च को गायत्री प्रजापति अरेस्ट हुए और जेल भेजे गये.
25 अप्रैल को गायत्री को पॉक्सो कोर्ट से जमानत भी मिल गयी. इसके बाद 28 अप्रैल की रात को पॉक्सो कोर्ट के जज को हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति ने सस्पेंड कर दिया. दो दिन बाद ही वो रिटायर होने वाले थे. पाया गया कि जज ने अपराध की गंभीरता को अनदेखा करते हुए आरोपी को जमानत देने में जल्दबाजी दिखायी जिससे उनकी मंशा पर संदेह हुआ. ये पूरा मामला अब जांच के घेरे में है.
बावजूद इसके मुलायम सिंह यादव गायत्री प्रजापति को बेकसूर बता रहे हैं. उन्हें गायत्री पर इतना भरोसा है तो उसे कायम रखना चाहिये. अगर बेकसूर हुए तो वो दिन भी आएगी जब वो अदालत से बरी हो जाएंगे. इतने गंभीर मामले में इतनी बेचैनी क्यों है?
गायत्री से मुलाकात के बाद मुलायम ने पत्रकारों से कहा, "वो बेकसूर है और उसके साथ आतंकवादियों जैसा सलूक हो रहा है." मुलायम की नजर में गायत्री को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है और उनका कहना है कि उसके लिए जरूरत पड़ी तो प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलेंगे और उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे.
बलात्कार के आरोपियों को लेकर मुलायम का एक बयान खासा चर्चित हुआ था - लड़के हैं. लड़कों से गलती हो जाती है. तो क्या फांसी पर चढ़ा दोगे? आखिर मुलायम सिंह को बलात्कार के आरोपियों से इतनी हमदर्दी क्यों रहती है? जिस गायत्री प्रजापति के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि केस दर्ज कर मुकदमा चलाया जाना चाहिये उसे मुलायम बेकसूर क्यों बताना चाहते हैं? जिस गायत्री प्रजापति को जमानत देने वाले जज को हाईकोर्ट सस्पेंड कर देता है उसके लिए मुलायम सिंह प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से बात क्यों करना चाहते हैं?
क्या मुलायम सिंह का न्यायिक प्रक्रिया पर से यकीन उठ गया है? या गायत्री प्रजापति के लिए भी वो वही रास्ते अख्तियार करना चाहते हैं जिस तरीके से कभी अमर सिंह ने उन्हें सात साल की सजा से बचाया था.
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