पाकिस्तानी खुराफात का सबसे बड़ा जानकार कश्मीर पर सच बोल रहा है, लेकिन क्यों?
इस मंत्री ने कहा है 'हम पूरी दुनिया में कहते हैं कि भारत ने कश्मीर में कर्फ्यू लगाया है, वो वहां लोगों को मार रहे हैं, खाने को नहीं दे रहे हैं, वहां जुल्म किया जा रहा है. मगर हमारी कोई बात मानने को तैयार नहीं है और हर कोई भारत की बात पर ही विश्वास कर रहा है.'
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दुनिया के सामने जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान भले ही कितना भी सर पटक ले, मगर उसे भी पता है कि उसकी बात पर दुनिया यकीन नहीं करती. जिसका कबूलनामा अब इमरान खान सरकार में बड़े मंत्री खुद करने लगे हैं. पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री (गृह मंत्री) ब्रिगेडियर एजाज अहमद शाह ने एक इंटरव्यू में कबूला है कि पाकिस्तान का अतंरराष्ट्रीय सुमदाय में कोई विश्वास नहीं करता. एजाज शाह ने कहा कि 'हम पूरी दुनिया में कहते हैं कि भारत ने कश्मीर में कर्फ्यू लगाया है. वहां लोगों को मारा जा रहा है, खाने को नहीं हैं, जुल्म किया जा रहा है. मगर हमारी बात मानने को कोई भी तैयार नहीं है. इसके उलट सब भारत की बात पर ही विश्वास कर रहे हैं.' इतना ही नहीं, एजाज अहमद ने अपने प्रधानमंत्री इमरान खान पर भी हमला बोला. उन्होंने देश की छवि बिगाड़ने के लिए इमरान खान के साथ-साथ रूलिंग एलिट क्लास को भी जिम्मेदार ठहराया. अब सवाल उठता है कि एजाज अहमद शाह हैं कौन? क्या है उनका बैकग्राउंड? इतनी कड़वी सच्चाई बोलने की हिम्मत उन्होंने क्यों दिखाई? क्या हैं उनके इस बयान के मायने, या क्या है इस बयान के पीछे पाकिस्तान की अंदरुनी सियासत?
एजाज अहमद शाह ने कहा है कि हर कोई भारत की बात पर ही विश्वास कर रहा है.
ब्रिगेडियर शाह का बैकग्राउंड
पाकिस्तान के गृह मंत्री ने दुनिया में कश्मीर मसले पर हार की बात क्यों की, इसको समझने से पहले एजाज अहमद शाह के प्रोफाइल को समझना जरूरी है ताकि फिर पूरी सियासत समझने में आसानी हो. पाकिस्तान के गृह मंत्री बनने से पहले ब्रिगेडियर एजाज अहमद शाह पाकिस्तान में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं. एक तो उनके नाम में लगे ब्रिगेडियर से ही पता चलता है कि वो सेना के कितने बड़े अधिकारी थे.
- ब्रिगेडियर शाह पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के भी काफी भरोसेमंद थे. मुशर्रफ के कार्यकाल में वो 2004 से 2008 तक पाकिस्तान इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) के महानिदेशक के रूप में कार्य किया. इस दौरान उन पर कई बड़े नेताओं ने गंभीर आरोप लगाए.
-पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने तो एक सार्वजनिक चिट्ठी लिखकर ये कहा था कि उनकी हत्या अगर होती है तो इसके लिए एजाज शाह भी जिम्मेदार होंगे.
-एबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को सुरक्षित पनाह मुहैया कराने में भी एजाज शाह का नाम आया था.
-वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर डैनियल पर्ल के अपहरण और हत्याकांड का मास्टरमाइंड उमर सईद शेख का आत्मसमर्पण भी ब्रिगेडियर शाह ने ही कराया था.
-बाद में शाह को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का गृह सचिव बना दिया गया.
-एजाज शाह को पाकिस्तान में आतंकियों से बेहद गहरे संबंध हैं. मुशर्रफ के दौर में पाकिस्तान सरकार, अलकायदा और तालिबान के बीच शाह ही सबसे प्रमुख कड़ी थे.
-इस साल जुलाई में भी एजाज शाह की आतंकी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के सरगना खादिम रिजवी के साथ फोटो वायरल हुई थी.
-आतंकी संगठनों के साथ संबंध के कारण ऑस्ट्रेलिया ने इन्हें पाकिस्तान के राजदूत के तौर पर अपने यहां नियुक्ति की स्वीकृति देने से इनकार कर दिया.
-अब एजाज शाह इमरान सरकार में सेना के सबसे खास 'वजीर' माने जाते हैं. कहा जाता है कि सेना के कहने पर ही इमरान ने इन्हें अपना आंतरिक मामलों के मंत्री बनाया है. जिसके पीछे सेना का मकसद देश के अंदरुनी व्यवस्था पर भी अपनी पकड़ बनाए रखना है.
शाह के बयान के मायने
कश्मीर मसले पर पूरी दुनिया में मुंह की खाने के बाद पाकिस्तान की अंदरुनी सियासत गरमाई हुई है. विपक्षी पार्टियां इमरान खान पर हमलावर है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने तो यहां तक कह दिया कि पहले हम लोग श्रीनगर की बात करते थे लेकिन अब तो मुजफ्फराबाद को बचाने की बात होती है. वहीं नवाज शरीफ की पार्टी PML(N) समेत तमाम विपक्षी पार्टियां कश्मीर मसले पर मुंह की खाने के लिए सेना और सरकार दोनों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. एक सभा में पूर्व पीएम नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज ने पूछा कि जब भारत कश्मीर से धारा 370 हटाने की तैयारी कर रहा था तब सेना और सरकार कहां थी. पहले से इसके खिलाफ कोई तैयारी क्यों नहीं की गयी थी. पाकिस्तान मीडिया में भी इन मुद्दों पर खूब बहस हो रही है.
इसके साथ ही पाकिस्तान में आर्थिक हालात भी दिन व दिन बिगड़ते जा रहे हैं. महंगाई अपने चरम पर, जनता में त्राहिमाम है. ऐसे में पाकिस्तान में इमरान और सेना को अपनी छवि बचाने के लिए एक मात्र सहारा कश्मीर था. इस मुद्दे पर अगर वो थोड़ी बहुत सफलता भी हासिल कर लेते तो जनता को समझाना आसान होता. लेकिन भारत की पुख्ता तैयारी की वजह से ऐसा नहीं हो सका. इन सब वजहों से महज एक साल के शासन में इमरान खान सरकार की साख पाकिस्तान में पूरी तरह गिर चुकी है. जिसके मद्देनजर वहां के कद्दावर नेता फजल-उर-रहमान और उनकी पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम ने अक्टूबर में उनके खिलाफ बड़ा धरना-प्रदर्शन करने और सरकार को गिरा देने धमकी दी है. जिससे पाकिस्तान में अब संकट पैदा हो गया है कि तमाम मसलों पर सरकार की नाकामी और खासकर कश्मीर मसले पर फेल्योरिटी का दोष किसपर मढ़ा जाए.
जानकारों का मानना है कि इन नाकामियों के लिए ब जनता भी सरकार के साथ सेना को भी जिम्मेदार माने लगी है. क्योंकि पाकिस्तान की जनता भी समझती है कि इमरान खान सेना के ही एक मोहरा मात्र हैं. उनके पास कोई पावर नहीं है. ऐसे में सेना खुद को बचाने के लिए अपने 'वजीर' ब्रिगेडियर एजाज शाह को आगे कर दिया. ताकि वो इमरान खान समेत पूर्व के तमाम नेताओं को इसके लिए जिम्मेदार बताएं. और शाह ने ऐसा ही किया. इस बीच इमरान खान की सबसे बड़ी मजबूरी यह है कि वो चाहकर भी सेना के खिलाफ जाकर अपने मंत्री की बात को ना तो पूरी तरह नकार सकते. और ना ही उनपर कोई कार्रवाई कर सकते हैं. बल्कि अब अगर उन्हें सत्ता में बने रहना है तो सेना जो चाहेगी, जैसे चाहेगी वैसे करना होगा. अगर उन्होंने नहीं किया तो उन्हें नवाज शरीफ का हाल पता है. उन्हें ये भी पता होगा कि वहां कि सेना का चरित्र ही ऐसा है. क्योंकि ऐसा नहीं है कि सेना ऐसा पहली बार कर रही है. इससे पहले कारगिल में हार के लिए भी सेना ने तत्कालीन पीएम नवाज शरीफ को जिम्मेदार ठहराते हुए उनकी तख्ता पलट दी थी. जबकि कारगिल के लिए पूरी तरह जिम्मेदार खुद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मुशर्रफ थे.
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