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Updated: 30 अगस्त, 2016 05:38 PM
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पुरानी दिल्ली की पहचान लाल किला.. लाल किले के सामने लाल मंदिर.. लाल मंदिर के सामने लाल-पीले हुए लोग... उपवास पर बैठे हैं. डडलानी और तहसीन पूनावाला की अशोभनीय टिप्पणियों के खिलाफ. 'आप' के डडलानी और कांग्रेस के पूनावाला ने दिगम्बर जैन मुनि तरुणसागर जी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी. बवाल मचा तो चुपचाप माफ़ी भी मांग ली.

खैर मुनि तरुणसागर जी ने तो क्षमा कर दिया पर जैन समाज गुस्से में है. समाज के बुज़ुर्ग चक्रेश जैन कहते हैं मुनि श्री तो तपस्वी हैं. संयमी हैं. लेकिन हमें अपने क्षोभ, दुःख और क्रोध पर नियंत्रण के लिए उपाय करने होंगे. इसलिए भी ये उपवास ज़रूरी है.

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जीवन की कला सिखाने वाले जैन धर्म की शिक्षाओं में क्षमा भी है. क्षमा वीरस्य भूषणम के सबक को अमल में उतारने का समय है. जैन समाज दोनों ट्वीटरियों को क्षमा तो करना चाहता है लेकिन एक संदेश और चेतावनी के साथ.

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 जैन गुरू पर अभद्र टिप्पणी

क्योंकि, डडलानी ने मुनि श्री के हरियाणा विधानसभा में प्रवचन पर और तहसीन ने उनके दिगम्बर होने पर अभद्र टिप्पणी की. पूरे देश ने विरोध किया. हाँ, कुछ कथित सेक्युलर लोगों ने ज़रूर इन ट्वीटर जोड़ी की हिमायत की. पर जबरदस्त विरोध के मद्देनजर विशाल घुटनों पर आ गए और बिना शर्त माफ़ी मांगते हुए राजनीति से भी तौबा कर ली.

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विशाल डडलानी के सुर में सुर मिलाते हुए पूनावाला तो दो कदम और आगे निकल गये. उन्होंने एक मॉडल की तस्वीर के साथ जैनमुनि तरुणसागर की तस्वीर लगा कर दोनों की तुलना कर डाली. लिखा कि ये महिला कपड़े उतारे तो वेश्या और ये नँगे घूमें तो महाराज? बस पहले तो बवाल हुआ फिर माफ़ी... क्या मंत्री, क्या सन्तरी सब मुनिजी के सामने नाक रगड़ते नज़र आये... अब बारी जैन समाज और देशवासियों की है.

लेखक

संजय शर्मा संजय शर्मा @sanjaysharmaa.aajtak

लेखक आज तक में सीनियर स्पेशल कॉरस्पोंडेंट हैं.

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